रईस और काबिल इन दिनों इन दोनों फिल्मों की खूब चर्चा है. रईस ने शुरूआत में रफ्तार पकड़ी लेकिन काबिल की शानदार कहानी ने अपने दम पर धीरे- धीरे जगह बना ली. मैंने दोनों फिल्में देख लीं. काबिल मुझे शानदार फिल्म लगी हालांकि कहानी कोई असाधारण नहीं है बस असाधारण लोग जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं उनकी ताकत को दिखाने की कोशिश की गयी है. आपने भी दोनों में से एक फिल्म देखी होगी या फिर दोनों देखी या दोनों ही नहीं देखी होगी. अगर आप शाहरुख के फैन हैं, तो रईस देखिये लेकिन वक्त मिले तो एक बार काबिल भी देख लीजिए. बहुत साधारण शब्दों कई बातें कहने की कोशिश की गयी है. काबिल संदेश देती है कि जिनके जीवन में अंधेरा है वो भी खुशियां महसूस कर सकते हैं. देख नहीं सकते लेकिन सपने देख सकते हैं. रईस एक गैंगस्टर की कहानी है गुजरात में शराब का कारोबार करने वाला एक गुंडा कैसे अपनी महत्वकांक्षा के पीछे दौड़ते – दौड़ते अपनी जिंदगी खत्म कर लेता है.
काबिल
फिल्म की कहानी बेहद साधारण है दो लोग जो अपनी आंखों से दुनिया नहीं देख सकते एक साथ मिलकर सपने देखते हैं.फिल्म में एक शानदार डॉयलाग है अंधेरे में किसी का साथ हो तो डर कम लगता है. दो लोग जो एक साथ नयी जिंदगी की शुरूआत करते हैं. उनके इस मासूम से प्यार को नजर लग जाती है आंख वालों, जो इन दोनों को खुश नहीं देख सकते. फिल्म में पहले दिखाया गया है कि एक बेबस सा लड़का जो दुनिया को अपनी नजरों से नहीं देख सकता. न्याय के लिए भटकता है. फिर उसे अहसास होता है कानून भी उसकी तरह अंधा है. सच नहीं देख सकता. इसके बाद रोहन भटनागर जिम्मेदारी उठाता है खुद न्याय करने की . जब आप फिल्म देख रहे होंगे तो आपको कई नयी चीजें नजर आयेंगी. फिल्म देखकर जब आप लौटेंगे तो आपको ऐसे कई काबिल लोग नजर आने लगेंगे तो हमारी तरह कुदरत से सबकुछ लेकर नीचे नहीं आये. उनके पास कुछ कमियां हैं लेकिन वो आपसे ज्यादा काबिल है.
रईस
जैसा फिल्म का नाम है वैसी ही फिल्म भी है. शाहरुख खान की दमदार एक्टिंग और उनकी आवाज में बोला गया डॉयलाग फिल्म के रिलीज से पहले हिट था. फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार मीरा के काम को लेकर काफी विवाद हुआ लेकिन उनका अभिनय मुझे कुछ खास नहीं लगा. ऐसा नहीं है कि अपनी भूमिका से उन्होंने मेरे दिमाग में कोई छवि बना ली हो जिससे मैं उन्हें दोबारा देखना चाहूं. फिल्म की कहानी 70 और 80 के दशक की तरह है. जिसमें एक मां अपने बेटे को मुश्किल से पाल कर बड़ा करती है. मां कि एक बात उस लड़के की जिंदगी बदल देती है जिसमें वो कहती है कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. पैसे कमाने की चाह उसे शराब के गैरकानूनी कारोबार में उतार देती है. फिर वही घिसी पिटी कहानी है एक गैंगस्टर के कई दुश्मन है वो उस पर हमला करते हैं गैंगस्टर बदला लेता है और उसका अंत हो जाता है. हालांकि कई दृश्य बहुत शानदार तरीके से फिल्माये गये हैं. नवाजउद्दीन की दमदार एक्टिंग की चर्चा किये बगैर फिल्म की बात खत्म करना बेमानी होगी. नवाज और शाहरुख की जोड़ी ने दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच कर लाने को मजबूर कर दिया.
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