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क्या पाया आपने इस लॉकडाउन से

क्यों खिड़की के बाहर ही दिखती है जिंदगी….
हमने  ( मैंने नहीं लिखेंगे हम थोड़ा टीम टाइप लगता है जैसे हमरे अंदर पांच – सात आदमी काम करता है) #10din10Video चैलेंज की जब शुरुआत की थी तो तीन आर्टिकल का भी जिक्र किया था. पहला तो पबजी है पढ़ लिये होंगे, नहीं पढ़ें तो लिंक दिये हैं भाई क्लिक कर लीजिए. 
कल आखिरी दिन है (अबे हमरी जिंदगी का नहीं यार,भक) वीडियो चैलेंज का, तो आज दूसरा आर्टिकल भी बाजार में आ गया, तीसरा कल अंतिम वीडियो के साथ आ जायेगा. तो मन लगाकर पढ़िये बहुत ज्ञान है आपके लिए. 
इस लॉकडाउन में लोगों को समझिये, यही वक्त है जब आप अपने दोस्तों को, शुभचिंतकों ( जो ज्यादातर दिखावे वाले हैं, असल में..) को समझ सकते हैं. कैसे, बड़ा आसान है. रिश्ता सिर्फ फोन तक सीमित नहीं होता है  या दिन भर बात करना नहीं है. इंसान समझना है, तो उसके व्यवहार से समझिये, नहीं समझें थोड़ा और सरल कर देता हूं आपके लिए. पहले खुद से पूछिये कि आप किन लोगों में हैं आपको किसकी चिंता ज्यादा है. सड़क पर भूखा घूम रहे मजदूरों की, सड़क पर भूखा घूम रहे जानवरों की या यूट्यूब पर कैरी मिनाटी के वीडियो हटने से आपको झटका लगा है ?

अगर इन तीनों में से किसी ने आप पर कोई असर नहीं डाला तो आपने अपनी दुनिया बहुत छोटी कर ली है. घर की चारदिवारी के बाहर कभी झांका तक नहीं, आप खुद की समस्या के आगे किसी को बड़ा नहीं समझते लेकिन सच तो यह है कि दुनिया में कितना गम है… ( गाना है सुन लीजिएगा वक्त मिले तो कम से कम इतना तो निकालिये यार कि गाना वाना सुनिये) 

बाकि यूट्यूब वाला पूरा मामला समझना चाहते हैं तो वीडियो नीचे हैं क्लिक कीजिए और फटाक से सब जान जाइये. 
लॉकडाउन और हम 
आप क्या सोचते हैं ? आप घर में बंद है या परिवार के साथ वक्त बिता रहे हैं ? इस बंद से परेशान है या खुद को बेहतर करने के लिए कुछ कर रहे हैं. दिनभर टिकटॉक और यूट्यूब के साथ हैं या .. खैर छोड़िये आप अपना आंकलन खुद कीजिए. 

18 से 31 मई तक चौथा चरण लॉकडाउन का शुरू हो चुका है. कबतक खत्म होगा, बहुत कठिन सवाल है इस पर एक वीडियो व्लॉग है विस्तार से जवाब है. नीचे है प्ले करके देख लीजिए.  

जरा याद कर लें कब क्या हुआ ? 
पहले वाला लॉकडाउन मजेदार रहा होगा ना ? पहले जनता कर्फ्यू लगाया गया. थाली पिटे थे याद है ना फिर कोरोना की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार से लॉकडान का ऐलान कर दिया गया.  इस लॉकडाउन में क्या छूट है वीडियो है नीचे प्ले कर लीजिए, हमसे मत पूछिए. 
पहला फेज: 25 मार्च से 14 अप्रैल तक, यह 21 दिन का रहा. सख्त रहा सिर्फ जरूरी सामान की दुकानें खुली थी. कई तरह की अफवाह थी. इस लॉकडाउन के ऐलान के बाद से ही लोगों ने घरों में सामान भरना शुरू कर दिया था. कई चीजें महंगी हो गयी थी और जरूरी सामान की कालाबाजी भी शुरू हो गयी थी हालांकि सरकार इस पर कड़ी नजर रख रही थी. 

दूसरा फेज- दूसरे फेज  15 अप्रैल से 3 मई, यह 19 दिन का रहा. हॉटस्पॉट (रेड जोन) को छोड़कर ऑरेंज और ग्रीन जोन में दुकानें खोलने की परमिशन दी गई. कई जगहों पर हल्की राहत मिली जहां खतरा कम था या संक्रमण के मामले ना के बराबर थे. 

तीसरा फेज: 4 मई से 17 मई, यह 12 दिन का था. हॉटस्पॉट (रेड जोन) को छोड़कर ऑरेंज और ग्रीन जोन में दुकानें खोलने की परमिशन दी गई. इसके अलावा, प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेनें और बस चलाई गईं. विदेशों में फंसे लोगों को भी भारत लाया गया हालांकि इस चौथे फेज के बाद भी मजदूर सड़क पर हैं और पैदल ही अपने घर की तरफ आ रहे हैं.  इस पर भी वीडियो है नीचे क्लिक करके देख लीजिए. 
प्रवासी मजदूर जो बड़े शहरों को और बड़ा बना रहे थे उनकी हालत समझिये, Stranded Workers Action Network (SWAN) के द्वारा किया गया सर्वे बताता है, अप्रैल 8 से अप्रैल 13 के बीच लगभग 90 फीसद प्रवासी मजदूरों को राशन नहीं मिला. लगभग 90 फीसद को उनका वेतन नहीं मिला. मार्च 27 से लेकर अप्रैल 13 तक 70 फीसद प्रवासी मजदूरों के पास सिर्फ 200 रुपये बचे थे. 72 फीसद प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उनके पास जो राशन है वह दो दिनों में खत्म हो जायेगा. 44 फीसद लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक वक्त का खाना छोड़ दिया है. 
इसका भी वीडियो है नीचे 
बाकि तो जीवन है आप चाहें तबतक चलेगा ही. वक्त है आप जैसे चाहें काट लें लेकिन बाद में अफसोस ना करें कि बहुत वक्त था काम भी कम था लेकिन किया क्या ? जो भी करें अपने लिए करें किसी दबाव में आकर नहीं. आज का सोचिये लेकिन भविष्य की चिंता भी जरूरी है. उतना ही कीजिए जितना हमेशा कर सकते हैं. 

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