जयराम महतो |
झारखंड में एक नाम की खूब चर्चा है। जयराम महतो। गिरिडीह से लोकसभा चुनाव लड़ रहा यह युवक झारखंड में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है। इस वीडियो में हम आज जयराम महतो को जानेंगे। कौन है, कैसे पहचान बनी और भविष्य क्या हो सकता है। वैसे तो भविष्य बताने का काम ज्योतिष करते हैं लेकिन राजनीतिक भविष्य का आंकलन वर्तमान को देख कर लगाया जा सकता है।
शिक्षा पोस्ट ग्रेजुएट, संपत्ति 2 लाख से अधिक, 12 आपराधिक मुकदमे और एक केस में गिरफ्तारी के हालात। जयराम 29 साल के हैं। 2 लाख रुपए की संपत्ति पैतृक है या उन्होंने अपने श्रम से कमा कर जमा किया है पता नहीं लेकिन एक उभऱते हुए युवा नेता के अकाउंट की शुरुआत लाखों से तो हुई है। जयराम यह दावा करते हैं कि उन्हें लोग चंदा दे रहे हैं ताकि इस चुनाव में वो प्रचार कर सकें। सोशल मीडिया पर जयराम के कई वीडियो वायरल है।
पहले भाषा आंदोलन फिर खतियान की लड़ाई से उभरे इस नेता ने एक – एक कदम आगे बढ़ाया है और यहां तक पहुंचे हैं। जन्म 27 सितंबर 1994 को मानटांड़, तोपचाची धनबाद में। छोटे से गांव में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति। परिवार में एक छोटा भाई भी है।
जयराम भाषण बहुत अच्छा देते हैं औऱ नेता में यही गुण है जो उसे नेता बनाती है। जयराम जिस माटी से उठे हैं वहां की रग- रग से वाकिफ है। अपने गांव की, आदिवासी मूल वासियों की समस्या समझते हैं। जब वो इसका जिक्र करते हैं तो लोग मानते हैं कि उनके बीच का कोई व्यक्ति उनकी बात कर रहा है। उनकी समस्याओं की बात कर रहा है।
जयराम गिरिडीह से चुनाव लड़ रहे हैं। अब सवाल है कि वो हारेंगे या जीतेंगे। उनकी हार जीत पर मेरे आंकलन की चर्चा इस वीडियो के अंत में करेंगे पहले यह समझते हैं कि इस राह पर चलकर नेता बनने वाले जयराम पहले नहीं है। आंदोलन से उपजी एक और पार्टी आज महागठबंधन का हिस्सा है।
आम आदमी पार्टी के सफऱ को देखिये। भ्रष्टाचार और लोकपाल की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन जिसका नेतृत्व अन्ना हजारे कर रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने भूख हड़ताल की धीरे- धीरे वो भी इस आंदोलन का चेहरा बने और आज भ्रष्टाचार के मामले में ही जेल में थे फिलहाल चुनाव में वह बेल पर बाहर हैं। परिवारवाद और एक पद एक व्यक्ति की वकालत करने वाले केजरीवाल दिल्ली के सीएम भी है और पार्टी के मुखिया भी। इससे पहले चलें तो जेपी आंदोलन ने कई ऐसे नेताओं की फौज खड़ी की जो तानाशाही औऱ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़कर नेता बने और इस राह पर चलते – चलते खुद कब भ्रष्टाचारी हो गये पता नहीं चला।
जयराम के लिए जीत औऱ हार से ज्यादा मायने रखती है इस रास्ते पर चलते हुए खुद को सुरक्षित रखना, बेदाम रखना जो लगभग असंभव लगता है। राजनीति अच्छे – अच्छों की राह बदलती है खासकर हम उस राज्य में है जहां तीन आईपीएस, राज्य के मंत्री और मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद हैं।
अब सबसे अहम सवाल क्या जयराम जीतेंगे। संभावना कम है, उन्होंने इस चुनाव से अपनी पहचान और मजबूत जरूर कर ली है लेकिन जीतना आसान नहीं होगा। पूरे गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा आते हैं। गिरिडीह, डुमरी,गोमिया, बेरमो, टुंडी, बाघमारा यह हार जीत का गणित किसी एक विधानसभा से नहीं पूरे छह के छह विधानसभा से तय होता है। पैसा, पॉवर औऱ संगठन की मजबूती हार जीत में अहम भूमिका निभाती है। जयराम के पास ना पैसा है ना मजबूत संगठन की ताकत।
जयराम हारे भी तो हारेंगे नहीं। वह एक मजबूत नेता के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक है, संभव है कि वह विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमायें। राजनीतिक एक्सपर्ट यह मानते हैं कि अभी जयराम को तैयारी विधानसभा की करनी चाहिए थी हालांकि जयराम बडी लड़ाई में कूदे हैं ऐसे में छोटी लड़ाई उनके लिए आसान हो सकती है प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र कहते हैं ना यूपीएसपी की तैयारी करो राज्य में नौकरी तो मिल ही जायेगी।
आंकलन और गणित अपनी जगह राजनीति और क्रिकेट में बहुत अनुमान काम नहीं करते। परिणाम के लिए हममें 4 जून तक इंतजार करना होगा। परिणाम के बाद जयराम महतो की रणनीति और उनके भविष्य पर एक और वीडियो में मिलेंगे तब तक इजाजत दीजिए।
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