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वाह सरकार, आपकी शानदार BMW कार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नयी कार खूब चर्चा में है. सोशल मीडिया, अखबार से लेकर न्यूज चैनल  तक इस कार ने हाहाकार मचा रखा है. आजादी के जश्न के लिए जब सीएम पहुंचे तो पहली बार जब कैमरा मुख्यमंत्री की तरफ नहीं, उनकी कार की तरफ ज्यादा देख रहा था. दूसरे दिन अखबार में मुद्दों पर कम मॉडल पर ज्यादा चर्चा थी.  

खबर खोजता रहा ,लेकिन नहीं मिली की इस कार की जरूरत क्या थी ? पुरानी कार कितनी पुरानी थी ? अगर पुरानी थी, तो उस कार का इस्तेमाल अब कौन कर रहा है. अगर इस्तेमाल नहीं हो रहा है तो उसका क्या हुआ ? मतलब हजारों मीडिल क्लास सवाल मन में हैं. 

कोरोना संक्रमण के दौरान मेरी जानकारी में पहली बार कोई कार्यक्रम बाहर आयोजित किया गया था . 15 अगस्त यानि आजादी का दिन सभी को नये कार का दिदार हुआ, जब हेमंत सोरेन की पार्टी चुनाव जीती थी. तो उनकी तस्वीर साइकिल में छपी थी. सीएम अपने घर के छोटे से बागीचे में साइकिल चला रहे थे. सीएम नहीं बने थे तो साइकिल चर्चा में थी आज स्टेट्स के हिसाब से बीएमडब्लू चर्चा में है.  

नंबर भी वीवीआईपी है, JH-01DZ 3333. गाड़ी की फीचर और इसकी डिटेल यहां नहीं लिखूंगा क्योंकि आप पढ़ चुके होंगे, नहीं पढ़ा हैं तो मेहनत कीजिए पढ़िये , इस गाड़ी के इतर मेरे कुछ सवाल हैं, जो मैं आपसे पूछना चाहता हूं. मेरी आवाज का यह व्लॉग शायद मुख्यमंत्री तक पहुंचे. सीएम सर सुना है मंत्रियों के लिए भी गाड़ियां खरीदी जानी है.  राज्य में झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन के मंत्रियों में से किसी को भी नयी कार चाहिए. 

पुराने मंत्रियों के कार विभाग के होंगे यानि सरकारी. उन कार का क्या हुआ ?  क्या सच में इस वक्त कार खरीदना बेहद जरूरी है.  कोरोना संक्रमण के वक्त आपके ट्विटर वॉल की तस्वीर कह रही है घर में रहे सुरक्षित रहें, जब कहीं जाना ही नहीं है तो कार का करना क्या है ? 

आप मुख्यमंत्री हैं, राज्य के मुखिया है. बेहतर इंसान भी हैं और टि्वटर पर आपके ट्वीट देखकर लगता है, आप सबको प्रतिक्रिया देते हैं, अगर जरूरी है तो. सच बताइये सर क्या बेरोजगारी भत्ते पर बेरोजगार युवा के सवाल आपतक नहीं पहुंचते, रोजगार  पाने के लिए युवा, हर रोज आपको ट्वीट करते हैं, सोशल साइट पर हैशटैग के जरिये विशाल रैली करते हैं, नजर नहीं पड़ती.

 मुख्यमंत्री साहेब आपसे लोगों को उम्मीदें हैं, महंगी ऐसी कार में इस बात का ध्यान रखियेगा काले शीशे चढ़ जाने से बाहर की दुनिया का रंग बदल जाता है लेकिन शीशा उतारेंगे तो असल दुनिया दिखने लगती है, उम्मीद करता हूं आप इस फर्क को समझगें और कार से इतर असल मुद्दों पर ध्यान देंगे आप अपने मंत्रियों की सुनिये उन्हें महंगी कार भी दे दीजिए लेकिन जनता ने जिस जनहित काम के लिए आपको चुना है उनका भी ध्यान रखियेगा.  

नये सरकारी की नयी सवारी होनी चाहिए लेकिन पुराने मुद्दों को देखने का उसे हल करने का तरीका भी इस नयी कार की तरह बिल्कुल नया होना चाहिए, एकदम चकचक. सरकार जो वादा करके कुरसी पर बैठी है उस पर जमी धूल भी साफ होनी चाहिए. सरकार जो खरीदना है खरीदे किसी का ऐतराज नहीं  है लेकिन समस्याओं का हल ना मिले तो ऐतराज है. रोजगार और बेरोजगारी भत्ते के सवाल पर जवाब ना मिले तो ऐतराज है. 

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