क्या कोरोना वायरस से लड़ने की दवा मिल गयी है. अगर नहीं तो हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) की इतनी चर्चा क्यों है ? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फेंस के दौरान कहा कि अगर भारत ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) दवा उसे नहीं दी तो भारत को अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. ना सिर्फ अमेरिका बल्कि श्रीलंका नेपाल जैसे देश भी भारत से इस दवा की मांग कर रहे हैं.ऐसा क्या है इस दवा में कि अमेरिका को आग्रह के साथ- साथ भारत को धमकी भी देनी पड़ी.
क्यों बढ़ गयी है अचानक से मांग
इस दवा को कोरोना वायरस के इलाज के लिए सही माना जा रहा है. यही कारण है कि अचानक से वैश्विक स्तर पर इसकी मांग इतनी बढ़ गयी है. कोविड-19 (Covid-19) मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
मलेरिया के इलाज के लिए यह एक पुरानी और सस्ती सी दवा है. इसे एंटी मलेरिया ड्रग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इसे मलेरिया के साथ – साथआर्थराइटिस के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने रिसर्च के बाद कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस दवा के इस्तेमाल की सलाह दी थी. इसके इस्तेमाल के बाद बेहतर परिणाम आये जिससे इसकी मांग तेजी से बढ़ गयी.
अब सवाल है कि क्या कोरोना वायरस का इलाज मिल गया है
इसका सीधा और सटीक जवाब है नहीं. इस दवा के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा कम होता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि यह दवा आम लोगों को लेने से बिल्कुल बचना चाहिए. यह सिर्फ COVID से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए है. इसे डॉक्टर की देखरेख में लेना चाहिए नहीं तो गंभीर परिणाम आ सकते हैं.
भारत की तरफ सबकी निगाहें क्यों ?
भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्यातक है. जैसे ही रिसर्च यह बात सामने आयी की दवा कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करती है. भारत ने घरेलू बाजार में दवा जमा रखने के लिए निर्यात पर रोक लगा दी हालांकि 7 अप्रैल को यह प्रतिबंध हटा लिया गया.
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