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हमारा लॉकडाउन आज से शुरू हुआ है और हमने बड़ा पंगा ले लिया है


‘जब देश के लिए दौड़े तब किसी ने ना पूछा और अब सबे ढूंढ रहे हैं ‘.  ये डॉयलॉग फिल्म “पान सिंह तोमर” का है. अगर देखी होती तो जरूर याद होगी. जिन्होंने नहीं देखी उनके लिए बता दूं कि पान सिंह तोमर जब बागी(डकैत) बन जाते हैं, तो पत्रकार उनके इंटरव्यू के लिए आता है. पान सिंह देश के लिए खेल चुके थे. मेडल भी मिला था लेकिन उनकी चर्चा नहीं हुई डकैत बनने के बाद खूब चर्चित हुए. उपरोक्त कथन उसी संदर्भ में कहे गये थे..  कभी – कभी सोचता हूं कि पान सिंह हालातों के आगे मजबूर होकर डकैत नहीं बनते, तो उन पर फिल्म बनती ? इतनी चर्चा होती ? सीधा और सरल जवाब है नहीं… पान सिंह तोमर सेना से रिटायर होने के बाद कोच बन सकते थे लेकिन घर की परिस्थिति की वजह डकैत बन गये. 
अपने साथ भी हालात कुछ ऐसे हैं, अरे ना, ना हम बागी ( डकैत ) नहीं बन रहे लेकिन अपन भी आज दो रास्ते पर खड़े हैं. पूरी बात बताता हूं, पहले एक परिचय करा लूं , शायद और बेहतर समझा पाऊंगा. हमारे एक पुराने वरिष्ठ सहयोगी थे ( अबे, थे मतलब जिंदा हैं लेकिन हमारे सहयोगी नहीं हैं, दूसरी जगह काम करते हैं, बेकार सोचने लगते हो यार भक ) हर क्षेत्र में अद्भुत ज्ञान, अरे मतलब खतरनाक ज्ञान- अध्यात्म पूछ लो, डिजिटल पूछ लो, राजनीति पूछ लो, अर्थव्यस्था पूछ लो और तो और विदेश नीति पूछ लो. सब जानते थे. जब मन तब बइठा के ज्ञान देते थे. कई बार मजा भी आता था, ज्ञान वर्धन जो होता था. पर गुरू कभी कभी  तो  लगता था, अबे जाने दो यार लेट हो रहा है. घर जाना है ऊपर से मां बोली है आलू ले आना लेट हो गये तो सब्जियों नई मिलेगा. अब ध्यान सब्जी में अटका हो तो ज्ञान भी आने से मना कर देता है.. खैर आज के दौर में अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर दिये हैं और धकाधक वीडियो बना रहे हैं. कभी- कभी हम भी देख लेते हैं. मने मार्कट में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. सुना है, एक बड़ी वेबसाइट जो आज करोड़ों की है करोड़ों की तब बनी जब उसे बनाने वाले को कहीं नौकरी नहीं मिली, खैर गुरू छोड़ो अपन तो नौकरी पेशा वाले हैं..

अब अपने को भी उनकी ( अरे वही वरिष्ठ सहयोगी )  तरह भटकने की आदत हो रही है. अब  मुद्दे की बात सुनो, हां तो गुरू हमारे हालात  भी पान सिंह तोमर दद्दा जैसे हैं. या तो सरेंडर कर दें या बागी बन जाएं. तो दस दिनों तक हम थोड़े से आजाद है. मतलब अब अपना आधिकारिक तौर पर लॉकडाउन शुरू हुआ है. हमने फैसला लिया है कि इन दस दिनों में हम अपने खुद के इकलौते यूट्यूब चैनल पर दस वीडियो अपलोड करेंगे. इस वीडियो में चेहरा भी हमरा, कंटेंट भी हमारा, एडटिंग भी हमारा. दस दिन, दस मिनट से ज्यादा का वीडियो और हर सुबह दस बजे आपके लिए थाली में परोस के अपने चैनल पर तैयार… बहुत कठिन है नई,  चलो और थोड़ा कठिन करते हैं. 

इन दस दिनों में हमने अपने ब्लॉग के लिए भी सोच रखा है.  दस दिनों में तीन आर्टिकल.  इता बड़ा काम हमसे अकेले नहीं हो पायेगा. हाथ जोड़कर विनती है. आप वीडियो देखियेगा, आर्टिकल पढ़ियेगा नहीं तो आधे में सब छोड़ देंगे हां, अच्छा लगे तो बताइयेगा बुरा लगे तब भी. कसम से इस अग्निपथ पर हम अकेले नहीं चल पायेंगे, आप साथ देंगे तब ही इन दस दिनों को हम यादगार बना पायेंगे. हमने 2012 जून में यूट्यूब पर पहला वीडियो अपलोड किया था. काम में इतना व्यस्त रहा  कि कभी पूरी तरह ध्यान नहीं दे सके. जब भी मौका मिलता था वीडियो अपलोड कर देते थे.  अबतक हमारे यूट्यूब चैनल पर  575 लोग साथ हैं. अब और मेहनत करने की ठानी है तो उम्मीद कि आप भी साथ देंगे. 
यहां तक पढ़ लिया है तो आपको एक क्लिक की दूरी पर अपना यूट्यूब चैनल है, यहां क्लिक करके देख लीजिए ठीक लगे तो अभी से साथ दे दीजए नहीं तो कंटेंट बनने के बाद 

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