कहानी जालियावाला बाग के 20 साल पहले की है। साल 1899 झारखंड का खूंटी जिला यहीं ब्रिटिश फौजों ने हजारों आदिवासी प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाईं, जिसमें 4000 से अधिक लोग मारे गए। यह बिरसा मुंडा के नेतृत्व में उलगुलान (विद्रोह) का दौर था, जब आदिवासियों ने “अबुआ दिशोम, अबुआ राज” (हमारी जमीन, हमारा शासन) का नारा बुलंद किया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) से 20 साल पहले, झारखंड में यह भीषण नरसंहार हुआ, लेकिन इसे इतिहास की किताबों से मिटा दिया गया। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में आदिवासियों ने अंग्रेजों की जमीन-लूट, जबरन कर वसूली और धर्मांतरण के खिलाफ विद्रोह किया। अंग्रेजों ने इसे “मुंडा विद्रोह” कहा, लेकिन यह भारत की आजादी की पहली जंगों में से एक था।
क्या हुआ था उस दिन? पूरी कहानी इस वीडियो में है
- Birsa Munda’s Ulgulan: The Forgotten 1899 Tribal Revolt Against the British”
- “Khunti Massacre: When British Troops Killed 4000 Tribals in Jharkhand”
- “Abua Dishom Abua Raj: The War Cry of Jharkhand’s Tribal Rebellion”
- “Before Jallianwala Bagh: India’s Bloodiest British Massacres”
- “Why History Forgot the 1899 Munda Rebellion in Jharkhand?”
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