आफत तो जिंदगी है, बरसों चला करती है.
हमारी जिंदगी उम्मीदों से भरी है. उम्मीदें हम सिर्फ अपने बच्चे, मां – बाबा, भाई -बहन दोस्तो से नहीं रखते बल्कि अपनी जिंदगी से भी उम्मीदें पाल लेते हैं. इसी के भरोसे हम प्लान बनाते हैं. सिर्फ कल की ही नहीं बरसों की चिंता में डूबे रहते हैं. रिटायरमेंट के बाद शहर के बाहर छोटी सी जमीन लेकर घर का सपना, घूमने का सपना. प्लानिंग जरूरी है , भविष्य की चिंता भी जरूरी है लेकिन सिर्फ तबतक जबतक आपका आज आपके आने वाले कल से प्रभावित ना होने लगे.
जिंदगी के लिए पैसे जरूरी है , पैसों के लिए काम और मेहनत. इन सबसे ज्यादा जरूरी है जीना जो हम भूल जाते हैं. आपके ऑफिस, घर के बाहर भी एक जिंदगी है. ये जिंदगी किसी कोने में खड़ी आपको बुलाती है लेकिन आपका कल आपको इसके नजदीक जाने नहीं देता. आपके छोटे – छोटे सपने जिसे आप पूरा नहीं कर पाते…..
पता नहीं आप जिंदगी को किस तरह देखते हैं लेकिन मैं जानता हूं कि जब – जब मौत की खबर आप तक पहुंचती है, तो आप रूकते हैं, उसी कोने में खड़ी जिंदगी की तरफ मुस्कुरा कर देखते हैं. कुछ दिन उसके साथ बिताते हैं लेकिन आपका आने वाले कल का सपना इतना मजबूत है कि आपको फिर उससे दूर कर देता है.
यकीन मानिये, इंसान अपने अनुभवों से ही सीखता है. मैंने मौत को नजदीक से देखा है. उसे छू कर लौटा हूं, कल कुछ नहीं है. जो है आज है यहां है अभी है. मैं कल की चिंता कम करता हूं. जानता हूं इसके नुकसान भी हैं लेकिन उस कल की तैयारी ही क्या करना जिसे देखा नहीं. मैं आज में जीता हूं और कल भी आज में ही जीऊंगा. महाभारत का एक प्रशंग है, 13 साल का वनवाश काटने के बाद युधिष्ठिर ने अपने सभी भाइयों को खो दिया. पीने के पानी के लिए यक्ष के प्रश्नों को नजरअंदाज करने वाले भाई मृत हो गये.
युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों को ध्यान से सुना और जवाब दिया. इसी क्रम में एक सवाल था. सवाल जो हमें सबक देता है. यक्ष ने पूछा,संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है?. युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, हम हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों की मृत्यु हो जाती है. यह देखते हुए भी इंसान अमरता के सपने देखता है.
मेरी नहीं युधिष्ठिर की मानिये, आप अमर नहीं हैं. हम में से कुछ लोग बिस्तर पर लेटे – लेटे चले जायेंगे. कोई लंबी बीमारी के बाद , कोई दुर्घटना में, कोई जिंदगी को बोझ समझ कर आत्महत्या कर लेगा, किसी को दिल का दौरान पड़ेगा तो कोई वैसे ही चला जायेगा जैसे आज श्री देवी चली गयी .( कार्डियक अरेस्ट). क्या भरोसा है इस जिंदगी का. मरते वक्त आपको अफसोस नहीं होना चाहिए बस… आंखें बंद हो तो महसूस होना चाहिए कि मैंने अपनी जिंदगी खुलकर जी ली. जो चाहा वो किया कल के इंतजार में नहीं रहा.
श्री देवी की मौत पर हैरान मत होइये, ये मत ढुढ़िये कि कैसे मर गयी, अचानक… मौत अचानक ही आती है. जाना सबको है. एक व्हाट्सएप का मैसेज याद रह गया मुझे. यकीन मानिये जिंदगी का सार है…. जब हमारा जन्म होता है ,तो हमारा नाम नहीं होता सिर्फ सांसे होती है. जब जिदंगी खत्म होती है तो सांसे नहीं होती सिर्फ नाम होता है. श्री देवी जी का नाम है अब आप जरा सोचिये आज रात आप मर जायें तो ..
आपने क्या कमाया…क्या कोई दोस्त कमाया ,जो आपके जाने के बाद आपको पूरी जिंदगी याद रखेगा. क्या आफिस में कोई सहकर्मी से इतनी नजदीकी बनायी कि आपकी मौत उसे ऑफिस में अकेला महसूस करायेगी. आपके रिश्तेदार आपकी मौत पर रो लेंगे, कोई ऐसा आदमी कमाया जो आपकी मौत के सालों बाद भी आपके किस्से हंसते हुए सुनाये.. जिंदगी के जो सपने हैं पूरे कीजिए. जहां घूमना है आज और अभी जाइये कल नहीं… और हां कोने में देखिये वहीं जिदंगी खड़ी है आपको बुला रही है, थोड़ा रूकना सीखिये… ऐसे भागते भागते कहां निकल जाना चाहते हैं आप…
भगवान उन सभी की आत्मा को शांति दे जो आज हमारे साथ नहीं है. इस दुनिया को छोड़कर किसी और दुनिया में चले गये.
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