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मजदूरी : एक पइला धान

आज फिर फसल कटी और हमरे हिस्सा में छेदा वाले पइला में एक पइला
धान आया जिसका आधा हिस्सा ऐने- ओने गिर गया. मजदूरी के बारे में हर मजदूर को बताना
होता है, भैया केतान कुदाल पार दिये. खेत में अनाज कितना हुआ. हम मजदूरों की हालत
भी ना, कमाल की है. खेत में अगर भंयकर हरियाली हुई और खून पसीना एक करके अच्छी
खेती कर दी, तो तो भी मिलेगा वही एक पइला धान और हमारी कमरतोड़ मेहनत के बाद भी हमें
दी गयी खराब बीज और मौसम की मार पड़ी, तो भी एक पइला धान. लेकिन एक बात है इ दोनों
सुरतों में हमारी कुटाई ही हैं. 


अगर एक दो ओंजरा धान ज्यादा जाना भी है, तो उनको
जो सिर्फ रात में मालिक के कान के सामने बैठकर चिल्लाते रहे जागते रहो….. मालिक
भी इतमिनान रहे कि भैया रात को जंगली जानवरों से रक्षा करके ई मजदूरवा, तो बड़ी
मेहनत कर रहा है. ओहे बखत को याद करके एक दो ओजरा ज्यादा मिल जाता है उन्हें. ई
बात अलग है कि इसमें से कुछ मजदूर सच्ची में खटते हैं हमको भी बड़ा खुशी होता है
जब खटने वाले मजदूरों को एक ओंजरा धान ज्यादा मिलता है. हां एक बात और कहे दे
रहे हैं भैया आजकल का जमाना भी ना थोड़ा बदल गया है. कृषि वैज्ञानिक टाइप के लोग आ
गये हैं मालिक भी उनसे थोड़ा गुर सीख के लेक्चर पेल देते हैं कि ऐसे खेती करो तो
सही फसल होगी. अब हम ठहरे मजदूर आदमी जैसे कहे वैसे कर दें. अब एक बात बताओ फसल
में कोउनो खराबी आ गयी, तो हम मजदूरन का कैसा दोष. हमरी एक पइला धान काहे कटे भाई.
हम अपना हिस्सा दे, तो काहे. आपलोग तो ठहरे मालिक आदमी एक पइला धान से आपकी होंडा वाली बड़की गड़िया  का एक किलोमीटर का पेट्रोल आ जाता है पर आपके दो मिनट के कार के सफर के चलते
हमरी जिंदगी के सफर पर ब्रेक लगता है उसका का मालिक
?. चार
पांच
साल से कोई मजदूर एक ही खेत में काम कर रहा है इसका मतलब भी समझते हैं
? आप
तो फटाक से कह देते हैं कि हमरे खेत में काम नहीं करना, तो दोसरा खेत धर लो. मने
हम जो खेत में अपना खून पसीना एक करके आज एक मन धान पैदा करने लगाक बना दिये उसे
फटाके से छोर दें . 

हम ई नहीं कर रहे हैं मालिक की इसमें हमरा एकले का मेहनत है हम
15 मजदूर हैं लेकिन उसमें एको ढेला क्रेडित, तो हमरा होगा कि नहीं. पहिला काम का
प्रेम आप समझिये नहीं पाइयेगा. आपको हमरा एक पइला धान बहुत गड़ता है ना ठीक है मालिक
हम, तो कहीं न कहीं एक पइला धान कमा ही लेंगे. आपके यहां मजदूरी कर -कर के एतना तो
मने की हम सीखिये ना गये हैं. लेकिन साल भर ई बरसात के सीजन के बाद फसल कटाई के
इंतजार में हमलोग टकटकी लगाये रहते हैं, कि इस बार हमरो एक ओजरा ज्यादा मिलेगा
लेकिन हर बार वही एक पइला मिलता है अउऱ अब तो आपके पइला में भी छेद है मालिक. 

मालिक
आउर एगो बात ना हमरे छोट दिमाग के ऊपर से निकल गया आप कह दिये कि तुमरा एक पइला
में भी छेद इहे खातिर है कि हम तोहरे धान का थोड़का हिस्सा से 4 गो मजदूर का धान
बढ़ा देंगे .मने धानों दिखा तो इहे गरीब का धान ना. आप अपना चार बोरी में से एक बोरी
हमनी में बांट देते, तो हमलोग केतना दुआ देते आपको. हमनी के खाए के खुद्दी नहीं है
कहां से दान करेंगे.  हम तो समझिये नहीं पा
रहे हैं कि हम अपनी मेहनतवा आपको बतायें तो कईसे नई तो आपही बता दीजिए कि हमरी
मजदूरी में कहां कमी रह जाता है हर बार. आप जब हमरे पहिलके वाले मालिक से खेत खरदे, तो हमरी हालत देखकर आप रो दिये थे याद है मालिक कि भूला गये … अगर भूला गये तब
तो ठीक है अक्सर बड़ गाड़ी में चलने वाला लोग सड़क पर रेंगने वालों को ध्यान कहां
देता है लेकिन अगर याद है तो हमको बहुत दुख है मालिक की आप हमरी ऊ उम्मीद को मार
दिये. राम कसम हम उस बखत आपसे किये थे उम्मीद. आऊऱ लास्ट एगो बात अऊर कह दे रहे
हैं गुस्साइयेगा मत जब आप हमरी ऊहे उम्मीद को पूरा नहीं कर पाये तो अब नया का
उम्मीद रखें आपही कहिये… आप सोच रहे होंगे ई तो एतना कुछ कह दिया अब हमरा खेत
में काम नहीं करेगा, तो मालिक हमरी मां भी कहती है कि भगवान ना हमको थोड़का दोसरा
मिट्टी से बना दिया है.  हम आपके खेत में अऊऱ
बढ़िया से मजदूरी का काम करना है. आपके हाथ से एक ओंजरा जब तक एकस्ट्रा धान नई ना मिलेगा
मालिक तब तक छोड़ेंगे नई.

( मालिक हम इ चिट्ठी तो आपको लिख रहे हैं लेकिन जानते हैं
गुस्साइयेगा मत  आप तो जानते हैं  मजदूर केतना कम दिमाग का होता है. हमको कइसे न
कइसे तो आपको बताना था कि आपका दिया हुआ धान से ना साल भर का पेट नहीं चलेगा लेकिन
पेट कइसे ना कइसे पाल लेंगे लेकिन हाथ जोड़ते हैं ए मालिक प्लीज उम्मीद मत पालने
कहियेगा)
  

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