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झारखंड में नक्सवाद : राजनीतिक वादे, आत्मसमर्पण और जमीनी हकीकत

कुंदन पहान,डीजीपी डीके पांडेयऔर सीएम साहब की एडिटेड तस्वीर 

इससे पहले कि मैं सरेंडर पॉलिसी, कुदन पहान के आत्मसमर्पण पर
अपनी बात रखूं. डीजीपी पांडेय के नये बयान के साथ पुराने बयानों को कोट कर रहा
हूं. नये बयान में उन्होंने हीरो की तरह डॉयलॉग मारते हुए कहा,
 नक्सली अजय महतो को खोज कर गोली मारेंगे. उसके
साथ जो भी नक्सली है
, एक-एक को चुन-चुन कर जल्द सफाया करेंगे. अजय महतो
व उसके एक-एक आदमी को एक-एक हजार गोली मारेंगे
. गजब, कमाल है एक पुलिस
वरिष्ठ अधिकारी बोल रहा है या किसी सी ग्रेड की फिल्म का हीरो, गैंग ऑफ वासेपुर के
सरदार खान याद आ गये.



खैर, अब जरा इनके पुराने
बयानों पर नजर डालिये, जनवरी 2016 में इन्होंने कहा, दिसंबर 2016 तक राज्य में
नक्सल पूरी तरह खत्म हो जायेगा. सीएम साहेब कहां पीछे रहते उन्होंने  मई 2016 में कह दिया अगले महीने नक्सल झारखंड से
खत्म हो जायेगा.

इतने में दोनों कहां रूकने
वाले थे, जनवरी 2017 में दोनों ने मिलकर कहा कि इस साल नक्सल खत्म हो जायेगा. कह
तो रहे हैं खत्म होगा लेकिन कैसे कोई नहीं बता रहा है. अगर बयानों पर नजर डालें तो
लगता है क्या चुन चुन कर मार देने से नक्सलवाद खत्म होगा. अगर आप दोनों सच में
नक्सलवाद खत्म करना चाहते हैं, तो गांवों में जाइये, पता कीजिए आखिर कारण क्या है
नक्सलवाद के बढ़ने का

?. अगर फिर भी ना समझ आये तो, बीबीसी समेत कई वेबसाइट,
अखबार न्यूज चैनल की स्टोरी देखिये
, पढ़िये नक्सलवाद पर आप भले
समझें ना समझें नक्सलवाद पर लिखने और रिपोर्टिंग करने वाले खूब समझते हैं.  जबतक गरीबी, भूखमरी और बेरोजगारी को आपलोग चुन
चुन कर एक हजार गोली नहीं मारेंगे, नक्सलवाद खत्म  नहीं होगा.


इतने सालों से जिसकी एक पुरानी
तस्वीर लेकर आप भटकते रहे उसने सामने आकर समर्पण किया और आपने उसे गोद में बिठा
लिया.
झारखंड में कई सालों तक नक्सलवाद को खतरनाक स्तर तक ले जाने
में जिस व्यक्ति की अहम भूमिका रही. अब सरेंडर के बाद वह सरकार और आम लोगों को
लेकर आगे बढ़ने की बात कह रहा है. राजनीति में आने के संकेत दे रहा है  कुंदन पहान के आत्मसमर्पण के बाद सरेंडर पॉलिसी
पर खूब सवाल उठे. कई राजनेताओं ने खुलकर बात रखी तो किसी ने चुप्पी साध ली. तमाड़ विधानसभा
के विधायक विकास सिंह मुंडा कुख्यात नक्सली कुंदन पहान को कड़ी सजा देने की मांग
को लेकर धरने पर बैठे लेकिन कुछ दिनों में ही सरकार ने उन्हें समझा कर किनारे कर
दिया. 

भूमि विवाद से शुरू हुआ यह नक्सलवाद आज भी खतरनाक मोड़ पर है कम नहीं हो रहा
है. कुछ महीनों के डाटा को देखकर आप अपनी पीठ नहीं थपथपा सकते. आज भी कई जगह
गाड़ियां जलायी जा रही है. अब तो इतने ग्रुप हो गये हैं कि इन्हें खत्म करना
मुश्किल होगा. गृहमंत्रालय भी मानता है कि वैसे ग्रुप जो लेफ्ट विंग से अलग होकर
बनें है वह ज्यादा खतरनाक है.  नक्सवाद के
जहर ने सांसद सुनील महतो, विधायक महेन्द्र सिंह, रमेश सिंह मुंडा, बाबुलाल मरांडी
के बेटे अनुप मरांडी, लोहरदगा के डीएसपी अजय कुमार, चतरा के एस.डी.पी.ओ विनय भारती
समेत कई लोगों की जान ले ली. इनकी शहादत क्या बेकार गयी
?.  अब आकड़े पर आइये देश भर में 1084 नक्सल घटनाएं
हुई जिनमें 323 झारखंड में हुए. 


आपके सहयोगी राज्य भी इस खतरे से नहीं उबर रहे साहब,
छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, बंगाल सब नक्सलप्रभावित हैं.
 आप कैसे इसे खत्म कर देंगे. नक्सवाद पर भी जब
सरकार राजनीतिक वादा करती है
, तो दुख होता  है. मोमेंटम झारखंड के नारे के साथ क्या
बेरोजगारी खत्म हो रही है, मनरेगा का क्या हाल है, सिंचाई की असुविधा के कारण
कितने लोग आज जमीन होते हुए भी मजदूरी करने के लिए मजबूर  है. 

आपके डोभा निर्माण में हुए घोटाले और
धांधली पर कुछ नहीं कहेंगे आप. आप योजनाएं तो अच्छी बना रहे हैं लेकिन उन
बिचौलियों का क्या. वायदे कीजिए लेकिन सोच समझ कर ,योजनाएं बनायें लेकिन पूरे
रिसर्च के साथ, कुछ कंपनियों के आ जाने से आप पोस्टरबॉय हो गये, मोमेंटम झारखंड
में भी सब तरफ आपके पोस्टर थे और अब कुछ वादे पूरे होने पर भी पोस्टरबाजी. झारखंड
को हवा में मत उड़ाइये जमीन पर रहने दीजिए और वैसे काम जो जमीनी स्तर पर जरूरी हैं
उसे कीजिए. हम सभी ने आपको वोट दिया है. आपको गलत रास्ते से खींचकर सही रास्ते पर
लाने का हक बनता है हमारा. 

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