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मोदी जी दिख रहे हैं एक महीने में अच्छे दिन के संकेत


भारतीय जनता पार्टी ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो मोदी सिर्फ गुजरात मॉडल के सहारे आम लोगों को सपना दिखाते हुए आगे बढ़ते गये. भारत में भले सपने सच हो या ना हो लेकिन इसकी मार्केटिंग से सपना बचने वालों को सपने जरूर सच होते है. गुजरात के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा और देखिये उनका

सपना पूरा हो गया.

लेकिन हम सभी मानते है कि उनके लिए यह रास्ता आसान नहीं था. चुनावी रैलियों में उनकी मेहनत, विरोधियों पर तंज कसने का हुनर. मोदी की मेहनत और हुनर का जलवा ही कि हजारों लाखों की भीड़ उनकी ओर खींची चली आती थी. मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां की चुनावी प्रचार में प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक, बैनर, पोस्टर, सोशल मीडिया से लेकर पारंपरिक मीडिया तक का जमकर इस्तेमाल किया. राज्य के छुटभैया नेता जो विधानसभा चुनाव जीतने का भी दम नहीं रखते मोदी के नाम पर उछलते कुदते लोकसभा की सीढ़ियों तक पहुंच गये.

मोदी ने भारत की आम जनता को अच्छे दिनों के सपने दिखाये इन सपनों के सच होने की चाह में जनता ने काबिलियत और औकात से ज्यादा सीटें मोदी को भेंट कर दी. मोदी ने भी इसकी अहमियत समझी और भारत के लोकतंत्र की ताकत को पूरी दुनिया तक पहुंचाने के उद्धेश्य से शपथग्रहण समारोह को एक विशाल रूप दिया. सभी शार्क देशों को निमंत्रण भेज कर. यहां तक तो सब ठीक था लेकिन जैसे ही मोदी सरकार के एक महीने पूरे हुए उन्होंने गोवा में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छे दिन लाने के लिए कई कड़े फैसले लेने होंगे. अब आम लोग जो अच्छे दिनों की उम्मीद लागये बैठें है उन्हें ये तो नहीं पता ना कि सेहत में सुधार लाने के लिए कड़वी दवा पीनी होगी आपने तो सिर्फ मीठे दिनों की बात की थी, तो यह आभास होता भी तो कैसै. खैर रेल भाड़े में हुई बढ़ोत्तरी पर तर्क वितर्क किये जा सकते हैं.

कई एक्सपर्ट की राय है कि इसमें बढ़ोत्तरी होनी चाहिए लेकिन इस बढ़ोत्तरी के बदले आप हमें क्या सुविधा देंगे. रेलवे में किस तरह के सुधार लाये जायेंगे. किन कमियों को दूर किया जायेगा. इन सारी बातों को भी बढ़ोत्तरी के साथ बताया होता तो कड़वी दवा का घुंट पीने में हमें आसानी होती लेकिन आपकी सरकार का यह बयान की रेल किराये में बढ़ोत्तरी का फैसला यूपीए का था लेकिन आचारसंहिता लागू होने के कारण सरकार इसे लागू नहीं कर पायी हमें गुमराह करता है. खैर हम पहले से महंगाई की मार झेलते आये है आपकी एक थपेड़ भी झेल लेंगे. महंगाई के अलावा आपकी सरकार अब कई और मुद्दों पर घिरती नजर आ रही है.  हमें अच्छी तरह याद है चुनावी सभाओं में आपने महिलाओं पर हो रहे हिंसा को लेकर कितना कड़ा बयान दिया था. एक कार्यक्रम में आपने मुलायम के बयान ( लड़कों से गलती हो जाती है) की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि मुलायम जी वहीं कमजोर पड़ जाते है जहां उन्हें सख्त होना चाहिए.

मोदी जी आम जनता को भी महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, बलात्कार जैसे गंभीर मुद्दों पर आपसे उसी सख्ती की उम्मीद थी जिसकी आप बात किया करते थे. अब जब आपके एक मंत्री निहालचंद मेघवाल पर एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है आपकी पार्टी के सारे प्रवक्ता टीवी पर मंत्री के दामन में लगे छीटे को साफ करने में जुटे है. पीड़िता आपसे( देश के प्रधानमंत्री) सिर्फ दो मीनट का वक्त मांग रही है ताकि उसपर हुए अत्याचार की हकीकत बयां कर सके लेकिन आप बस अपने अच्छे दिनों की खुमारी में है. आपके मंत्री नेहाचंद का बयान हमें भी नेहाल कर रहा है मीडिया के सवालों का बेबाकी से जवाब देते हुए कहते हैं कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा.

पीड़िता की शादी का वीडियो भेल ही इस बात की गवाही देता हो कि मंत्री साहेब उन्हें अच्छे से जानते थे. राजस्थान के एसपी ने पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच कही लेकिन जांच नहीं हुआ. आप जब विपक्ष में थे तो ऐसे कई मुद्दों को आपकी पार्टी तूल देती थी भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों पर आपने तो बंसल के इस्तीफे तक ले लिये थे तो क्या हम ये समझे कि बलात्कार भ्रष्टाचार से छोटा मुद्दा है. अगर अच्छे दिनों की उम्मीद कहीं बाकि भी रखें तो कैसे एक महीने में आपने कड़वी दवा पिला दी ऊपर से आपके मंत्री पर जिसतरह के आरोप लगे है आप उनसे मिलकर बात कर रहे हैं योजनाएं बना रहे हैं एक बार पीड़िता से भी उसकी हालत जान लेते हो सकता है वो भी आपके करोड़ो वोटरों में एक रही हो.

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