अटल जी की अस्थियां देश भर के कई नदियों में बहायी जा रही है. उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि क्या सिर्फ ऐसी ही दी जा सकती है ?. बहुत सारे लोगों को अटल की कही एक – एक बात याद है ,तो कई युवी पीढ़ी अटल को ज्यादा नहीं जानती लेकिन राजनीति जानती है, जानती है कि कैसे अटल का इस्तेमाल करके खुद को चमकाना है. अटल आज की राजनीति पर क्या सोचते थे ?. राजनीति में पैसे के इस्तेमाल पर क्या सोचते थे ?. अयोध्या मामले पर उनकी क्या राय थी ?. गुजरात दंगे पर क्या सोचते थे ? क्या उन्होंने नरेंद्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी ? 2004 में अटल जानते थे कि यह उनका अंतिम चुनाव है. राजनीति से दूर जाकर वह क्या करना चाहते थे. आज निजी हमले खूब होते हैं, वह इस तरह के बयानबाजी पर क्या सोचते थे.
राजनीति में पैसे का इस्तेमाल बढ़ रहा है जनतंत्र धनतंत्र में बदल रहा है
भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है. पार्टी निकाय चुनावों में भी खूब प्रचार और धन खर्च करती है. अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1957 में चुनाव लड़े थे. उस वक्त पार्टी की तरफ से उन्हें एक जीप मिली थी और एक किराये पर ली थी. जीप खराब होने के कारण मतदान की समाप्ति पर अटल नहीं आ सके थे. राजनीति में धनबल के बढ़ते इस्तेमाल पर अटल की बातें आपकी आंखें खोल सकती है. वाजपेयी ने कहा, राजनीति बहुत खराब स्थिति में जा रही है. जनतंत्र धनतंत्र में बदल रहा है. यह देश के लिए अच्छा नहीं है. जिसके पास पैसा हो वही चुनाव लड़ सकता है , वही जीतकर आ सकता है. अबतक पैसा देने वाले अपनी नीतियों पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे हैं, मैं “ज्यादा जोर” का प्रयोग कर रहा हूं. पूंजी का प्रभाव बढ़ रहा है. यह आगे जाकर देश के लिए अभिशाप होगा.
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नरेंद्र मोदी और विनय कटियार का सोनिया पर निजी हमला करना गलत है
राजनीति में निजी हमलों का अटल बिहारी वाजपेयी खुलकर विरोध करते थे. 2004 में नरेंद्र मोदी, विनय कटियार ने सोनिया गांधी के विदेशी होने पर सवाल खड़े किये थे. उन्होंने कहा था कि इस तरह का निजी हमला नहीं होना चाहिए. मेरे मना करने के बाद भी दोनों ने बयान दिया गलत है.. हालांकि उन्होंने विदेशियों के बड़े पद पर होने को लेकर सवाल खड़ा किया था. प्रधानमंत्री के रूप में सबसे बड़ी उपलब्धि पर जब अटल से सवाल किया गया था, तो उन्होंने कहा, मेरे लिए यह तय करना बेहद मुश्किल है. पाकिस्तान के सवाल पर उन्होंने कहा था कि अगर सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बन जाते हैं तो मैं उनको अपनी उपलब्धि मानूंगा.
गुजरात दंगा : क्या मोदी को दी थी राजधर्म निभाने की सलाह
भारतीय जनता पार्टी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साल 2002 में गुजरात दंगे का नाम अबतक जुड़ा है. जब 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी से पूछा गया कि आपने राजधर्म निभाने की बात कही थी तो उन्होंने सिर हिलाते हुए हामी भरी और कहा, मैंने उस वक्त तक दोनों तरफ की बातें नहीं सुनी थी. यह नहीं देखा था कि हिंदू जिंदा जलाये गये. मैं यह नहीं कह रहा है कि हिंदू जलाये गये तो मुस्लिमानों की हत्या जायज है यह गलत हुआ था. अटल से जब कठोर फैसले लेने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, पार्टी को यह फैसला करना पड़ा क्योंकि वह कोई दूसरा फैसला नहीं ले सकती थी. कई मामलों पर समझौता करना पड़ता है उसकी कीमत चुकानी पड़ती है. इस इंटरव्यू में अयोध्या, गुजरात समेत गठबंधन पर भी सवाल किये गये थे.
वीएचपी के बयान पर कहा, आरएसएस के साथ जुड़े होने के कारण मजबूर
अयोध्या के मामले पर जब उनसे वीएचपी के बयान का जिक्र किया जिसमें वीएचपी उन्हें निकम्मा पीएम बताती है. इस पर अटल ने कहा, यह मजबूरी है आरएसएस के साथ जुड़े होने की. यह गठबंधन नहीं है. मंदिर का मसला सुलझ सकता है, सुलझाया जा सकता है. अयोध्या तो टूट गया लेकिन काशी और मथुरा को मानकर समझौते का रास्ता निकाला जा सकता है लेकिन संभव नहीं कि सारे मुसमान इसे मान लेंगे.
जो युवा इस वक्त राजनीति में आना चाहते हैं पढ़ें अटल का संदेश
आजकल फेसबुक पर युवा किसी खास पार्टी के साथ तस्वीरें शेयर करते हैं जो लोग राजनीति में आना चाहते हैं उन्हें अटल जी की यह बात जरूर जाननी चाहिए अटल जी ने कहा था, युवा राजनीति में आये उन्हें सिद्धांतों के साथ आना चाहिए. अगर इसकी कीमत चुकानी पड़े तो चुकानी चाहिए. अभी भी लोग आदर्शों के साथ चलने को तैयार है. अटल से जब पूछा गया कि क्या आपने कभी समझौता किया है राजनीति में कदम पर कदम पर समझौता करना पड़ता है लेकिन आप किस कीमत पर समझौता कर रहे हैं आपको इसके लिए क्या देना पड़ा है यह अहम है. जीवन के मूल्यों के साथ समझौता नहीं हो सकता है. आपकी प्रमाणिकता ही सबसे बड़ा सिद्धांत है.
क्या है पत्थलगड़ी के पीछे की कहानी ?
रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे
इस इंटरव्यू में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी इच्छाओं का जिक्र किया जिसमें वह सरकार में रहते क्या करना चाहते हैं. उन्होंने कहा था, मेरी चले तो मैं ऐसा नियम बनाने के पक्ष में हूं अगर किसी पर कोई आरोप साबित हो तो मैं उसके दोबारा चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाए. इस वक्त मुझे पार्टी चलानी है इसलिए यह हो नहीं सका. महिलाओं के आरक्षण का विधेयक मेरी प्राथमिकता है यह पहला काम होगा. अटल बिहारी वाजपेयी से उनके संन्यास पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा यह मेरा आखिरी चुनाव है. पार्टी में इस पर आम सहमति है मैं संन्यास के बाद लेखन के क्षेत्र में जाना चाहूंगा.
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