हेडलाइन देखकर क्लिक कर ही देते हैं, जायरा वसीफ के फैन हैं, उनके बॉलीवुड छोड़ने
पर हैरान हैं या फिर आप कट्टर हिंदू या मुसलमान हैं. अब मुद्दे पर आते हैं, तो
काहे चिंतित हैं भाई. जायरा मात्र 18 साल की हैं. सबसे पहले एक विज्ञापन में काम
किया और उसी विज्ञापन के दम पर उन्हें “दंगल” मिली. दंगल
के बाद मिली “सीक्रेट सुपरस्टार” और जायरा की आखिरी फिल्म है “द
स्काइ इज पिंक” . महज तीन फिल्मों में ही कश्मीर की इस लड़की ने अपनी प्रतिभा
दिखा दी. पहली फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड जीत लिया.
ही जायरा ने बॉलीवुड छोड़ने का ऐलान किया. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा
शुरू हो गयी. कुछ ने मुसलमानों को दोषी ठहराया, तो कुछ ने उन्हें ही( जायरा वसीम)
दोषी ठहरा दिया. कुछ उनके फैसले का सम्मान भी करते हैं, मैं भी उनमें से एक हूं..
5 years ago I made a decision that changed my life and today I’m making another one that’ll change my life again and this time for the better Insha’Allah! 🙂 https://t.co/ejgKdViGmD— Zaira Wasim (@ZairaWasimmm) June 30, 2019
है, तो आग्रह है कि उनकी चिट्ठी पढ़िये, किसी ने जायरा के उस लंबे खत को नहीं पड़ा,
जो उन्होंने अपने सोशल अकाउंट पर साझा किया. सबने दो लाइन का हिंदी अनुवाद देखा और
पढ़ा जो मीडिया ने दिखाया- पढ़ाया. पूरा खत पढ़ेंगे, तो समझेंगे एक 18 साल की
बच्ची के मन में क्या चल रहा है, वह किन बातों को सोच रही है, क्या समझना चाहती है
और बॉलीवुड छोड़ने की असल वजह क्या है.
भले सबकुछ दिया लेकिन इस शोहरत के साथ कई अनचाही चीजें भी आती हैं. जायरा उससे
परेशान थी. जायरा मुसलमान हैं, अगर वह हिंदू भी होती और ईश्वर को समझना चाहती तो
क्या हम उसे इसी नजरिये से देखते या कुछ लोगों की तरह ही यह कहते कि कट्टर हिंदुओं
के कारण यह फैसला लिया गया, जवाब है नहीं चलिये, कुछ उदाहरण देता हूं. बरखा मदन याद हैं, इन्हें रहने दीजिए क्योंकि यह उतनी फेमस नहीं हुई कुछ टीवी शो में दिखी और बौद्ध धर्म की तरफ बढ़ गयीं.
आपको
तनुश्री दत्ता याद हैं. कुछ सालों पहले उन्होंने भी फिल्मों से दूरी बना ली और
ईश्वर की शरण में चली गयीं. जब वह कुछ सालों के बाद लौटी तो उनसे सबने सवाल किया
कि आप इतने दिन कहां थी उन्होंने जवाब में कहा कि मैं थोड़ा वक्त खुद को देना
चाहती थी. ईश्वर को समझना चाहती थी इसलिए फिल्मों से दूरी बना ली. फिल्मों की
छोड़िये हाल में ही एक पैसे वाले अमीर व्यक्ति ने संन्यास ले लिया, जिसकी खूब
चर्चा हुई. कई बार नौकरी से,घर से परेशान लोगों से सुना है, मन होता है हिमालय चला
जाऊं. कई लोग चले जाते हैं. अगर जायरा अपने ईश्वर को समझना चाहती हैं. अल्लाह की
राह में वक्त बिताना चाहती हैं, तो आपको उनके करियर का गम काहे खाया जा रहा है.
कौन सा आप इस जगह पर ही कि जायरा को सलाह दे सकें.
वानप्रस्त आश्रम और संन्यास आश्रम और 16 संस्कार है जिनमें गर्भाधान संस्कार से
लेकर अंतिम संस्कार तक हैं हम इनमें से कितने का पालन करते हैं आप ? गर्माधान और अंतिम संस्कार तो चाहे ना
चाहे पालन हो ही जाता है बाकि क्या आप अपने धर्म की राह पर चलते हैं, अगर जवाब हां
तो कोई आपके साथ चलने की इच्छा रखते हैं परेशानी क्या है और अगर जवाब ना है, तो
काहे लोड रहे हैं आप जो आप नहीं कर पा रहे कोई और कर रहा है.
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