ये एक समान्य सी घटना है ,जो शायद हर पत्रकार या उन लोगों पर घटी होगी जो जुगाडु प्रजाति के है
पत्रकार बहुत जुगाडू प्रजाति है, बच्चे का मुंडन हो या बेटे की शादी सारी चीजें जुगाड कर देते हैं . मुझे भी इसका अहसास कराया गया , रांची में वनडे मैच खेला जाना है जिस दिन से इसकी घोषणा हुई. तब से जो फोन घनघनाना शुरू हुआ जो अबतक बदस्तूर जारी हैं .
एक दिन रात के तकरीबन 12 बजे का वक्त होगा, मै सोने की कोशिश में था तभी एक अनजान न0 से फोन आया मैंने फोन रिसीव किया, दूसरी तरफ अनजानी सी आवाज में एबे कैसा है भाई. मैंने कहा ठिक हूं, कौन बोल रहे है , पहचान नहीं रहा क्या, मैनें कहा जाहिर है इसलिए तो पूछ रहा हूं, अबे अपने स्कुल के दिनों के दोस्त को भूल गया क्या, मैंने कहा आप नाम तो बताइये, उसने नाम बताया. दोस्त तो था पर कितने सालों से उससे कोई संपर्क नहीं था. सो मैने पुछा और क्या चल रहा है उसने कहा चल तो तेरे शहर में रहा है भाई मैच होगा ना , मुझे पता चला कि तू पत्रकार बन गया है 2 टिकट का जुगाड़ कर दे यार.
मैं और तेरी भाभी मैच देखने की सोच रहे अब बस तुझ से उम्मीद है .मैं समझ नहीं पा रहा था क्या कहूं इतना पुराना दोस्त इतने दिनों बाद फोन करके कुछ कह रहा, मैने भी कहा कि कोशिश करता हूं . उस दिन से मेरे राहु काल की शुरूआत हो गयी जो मैंच के बाद ही जाने वाली थी . क्योकि दीदी के ससुराह वाले , भुले बिसरे दोस्त , के अलावा हर उन लोगों ने फोन किया जिन्हें लगता था कि मैं कुछ कर पाउगां ,खैर उनकी उम्मीदे वो जाने की कैसे रख ली . अब तो हालात इस तरह के थे के कोई फोन आता तो मै आंतकित हो जाता था .
जब कुछ लोगों के फोन मैंने उठाने बंद किये तो एसएमएस से हमला शुरू किया . अब तो लग रहा था कि फोन ऑफ कर के कहीं छुप कर बैठ जाऊं. ये तो हो नहीं सका. मजबूरी में मैं कुछ लोगों की टिकट के लिए गया तो लाइन में भारी भीड़,अब टिकट लेना जरूरी और मजबूरी दोनों थी. तो टिकट खरीद ली और दोस्त को दे दी . मुझे सदमा तब लगा जब दोस्त ने कहा यार एक और टिकट दिला दे साला भी जाना चाहता है. साले को मना भी नहीं कर सकता . सारे टिकट बिक चुके थे. अब मै समझ नहीं पा रहा था करूं मैनें फिर कहा कोशिश करता हूं .
शाम को भुख लगी तो एक लिट्टी की दुकान पर अपनी भूख मिटाने पहुंचा, तभी दोस्त का फोन आया क्या हुआ टिकट का, मैने कहा यार थोड़ी मुश्किल है, तभी लिट्टी वाले ने कहा भईया टिकट चाहिये का, मैंने कहा हां उसने कहा हमरे पास तो है पर 1200 का टिकट का 2000 लेगें . समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं, दोस्त लाइन पर ही था उसने कहा खरीद ले यार बीवी जान ले लेगी नहीं तो ,मैंने टिकट खरीद के उसे दे दिया . और चैन की सास ली . ये राहत कुछ देर के लिए ही थी थोड़ी देर बाद बड़े भईया के साले का फोन आया जीजाजी एगो टिकटवा दिलवा दिजिए ना
मैं और तेरी भाभी मैच देखने की सोच रहे अब बस तुझ से उम्मीद है .मैं समझ नहीं पा रहा था क्या कहूं इतना पुराना दोस्त इतने दिनों बाद फोन करके कुछ कह रहा, मैने भी कहा कि कोशिश करता हूं . उस दिन से मेरे राहु काल की शुरूआत हो गयी जो मैंच के बाद ही जाने वाली थी . क्योकि दीदी के ससुराह वाले , भुले बिसरे दोस्त , के अलावा हर उन लोगों ने फोन किया जिन्हें लगता था कि मैं कुछ कर पाउगां ,खैर उनकी उम्मीदे वो जाने की कैसे रख ली . अब तो हालात इस तरह के थे के कोई फोन आता तो मै आंतकित हो जाता था .
जब कुछ लोगों के फोन मैंने उठाने बंद किये तो एसएमएस से हमला शुरू किया . अब तो लग रहा था कि फोन ऑफ कर के कहीं छुप कर बैठ जाऊं. ये तो हो नहीं सका. मजबूरी में मैं कुछ लोगों की टिकट के लिए गया तो लाइन में भारी भीड़,अब टिकट लेना जरूरी और मजबूरी दोनों थी. तो टिकट खरीद ली और दोस्त को दे दी . मुझे सदमा तब लगा जब दोस्त ने कहा यार एक और टिकट दिला दे साला भी जाना चाहता है. साले को मना भी नहीं कर सकता . सारे टिकट बिक चुके थे. अब मै समझ नहीं पा रहा था करूं मैनें फिर कहा कोशिश करता हूं .
शाम को भुख लगी तो एक लिट्टी की दुकान पर अपनी भूख मिटाने पहुंचा, तभी दोस्त का फोन आया क्या हुआ टिकट का, मैने कहा यार थोड़ी मुश्किल है, तभी लिट्टी वाले ने कहा भईया टिकट चाहिये का, मैंने कहा हां उसने कहा हमरे पास तो है पर 1200 का टिकट का 2000 लेगें . समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं, दोस्त लाइन पर ही था उसने कहा खरीद ले यार बीवी जान ले लेगी नहीं तो ,मैंने टिकट खरीद के उसे दे दिया . और चैन की सास ली . ये राहत कुछ देर के लिए ही थी थोड़ी देर बाद बड़े भईया के साले का फोन आया जीजाजी एगो टिकटवा दिलवा दिजिए ना
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