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क्राइम पेट्रोल और सीआईडी सीरियल की तरह काम नहीं करती पुलिस

पुलिस वालों की न दोस्ती अच्छी ना दुश्मनीआपने
भी यह जरूर सुना होगा लेकिन पिछले कुछ महीनों में मेरी इनसे दोस्ती भी हुई और
दुश्मनी भी. होली के दो दिन पहले से इनके चक्कर में पड़ा हूं और अब तक चक्कर काट
रहा हूं.  पुलिस स्टेशन और पुलिसवालों को
पूरी तरह तो नहीं पर थोड़ा बहुत समझने लगा हूं. अक्सर हम टीवी पर क्राइम पेट्रोल
और सीआईडी जैसे शो देखकर सोचते हैं पुलिस ऐसे ही काम करती होगी लेकिन यकीन मानिये
मेरा अनुभव बिल्कुल उलट रहा है. 

होली के कुछ दिनों पहले मेरे दफ्तर में काम करने
वाले मेरे एक सहयोगी सुशील जी अपने घर से दफ्तर के लिए निकले. रास्ते में कुछ
लोगों ने उन्हें रोककर धक्का मुक्की और मारपीट की. सभी शराब के नशे में धुत थे.
उन्होंन मुझे फोन किया मैं भागा- भागा पहुंचा तबतक वो लोग जा चुके थे . हमने
उन्हें ढुढ़ने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मिले. मैंने सलाह दी कि इस मामले में
आपको शिकायत दर्ज करानी चाहिए. हम दोनों रात के तकरीबन 10 बजे थाने पहुंचे. वहां
पहुंचे तो फटे पूराने कपड़े पहने एक व्यक्ति पहले से  खड़ा था जिसके नाक पर बैंडेज था और पुलिस वाले
के सामने हाथ जोड़े खड़ा होकर रोते हुए कह रहा था, साहेब हमसे एक हजार रूपया
रंगदारी मांगा है, बताइये ना, कहां से देंगे. शौचालय के सामने चावल- रोटी का दुकान
चलाते हैं पईसा नई दिये, तो मार के नाक फोड़ दिया और दुकान का सामनों फेंक दिया.
पुलिस वाले ने कहा लिख कर दो, साहेब लिखना, तो नई आता है तब पुलिस वाले ने पुलिस
की गाड़ी चालने वाले को बुलाया और बोलकर पूरी शिकायत लिखवायी और कहा जाओ देखते हैं
क्या कर सकते हैं . ये सब खत्म हुआ तब हमने अपनी घटना बतायी  बेमन से उसने पूरी बात भी नहीं सुनी और कहा अरे
सड़क में ई सब होते रहता है  उसने कई बातें
ऐसी कही जिससे हमारे बीच थोड़ी बहस भी . हमने कहा, एफआईआर दर्ज करानी है पहले तो
वो आनाकानी करता रहा लेकिन जब सुशील जी ने परिचय दिया कि हम पत्रकार  हैं , तो उसके स्वभाव में थोड़ी नरमी आ गयी . 

हमने लिखित में शिकायत दर्ज की. मैंने ही पूरी शिकायत लिखी और पुलिस वाले को
दिखाया तो उसने कहा अरे कई चीज रह गया है मैंने कहा क्या रह गया तो उसने कहा, कहां
मारपीट हुई, समय क्या था ई सब कहां लिखे हैं मैंने कहा ध्यान से पढ़िये नीचे पूरी
घटना का मैंने विस्तार से जिक्र किया है. पुलिस वालों ने सुशील जी को मेडिकल कराने
की सलाह दी और सरकारी अस्पताल में दिखाने के लिए एक नोट लिखकर दिया. हमने शिकायत
की एक कॉपी मांगी तो जवाब मिला अरे कल ले जाइयेगा ना आपलोग का तो आनाजाना लगा रहता
है.  

इस पूरी प्रकिया के दौरान एक और मामला थाना पहुंचा जिसमें एक
लड़के का सिर फटा हुआ था और अपने सिर के बहते खून को कपड़े से रोकने की नाकाम
कोशिश कर रहा था. थाने में एक सिपाही ने कहा, अरे हीरा जी( पुलिस वाले का नाम)
पहले ई लड़का को मेडिकल के लिए भेज दीजिए खून बह रहा है उस पर हीरा लाल ने कहा,
अरे बहे दीजिए केतना सर फड़वा के लोग आता है. अब हम भी आदमिये ना हैं काम करिये रहे
हैं. एक- एक करके ना काम करेंगे, चार हाथ थोड़े हैं.  जब हम अस्पताल पहुंचे, तो थोड़ी देर बाद कुछ और
लोग पहुंचे उनसे बात की तो पता चला ये वही लोग है जिनसे इनका झगड़ा हुआ जो थाने
में थे. खैर इस घटना के बाद बात आयी गयी हो गयी. आज सुशील जी ने कहा उन्हें थाने
से फोन आया था उन्होंने बुलाया है. हम 

आज दोपहर में फिर थाने गये. इस बार सुशील जी
ने उनके साथ मारपीट करने वाले लोगों का मोबाइल नंबर और गाड़ी नंबर दोनों का पता
लगा लिया था हमें उम्मीद थी कि इस बार पुलिस कोई एक्शन लेगी. थाने पहुंचे, तो हीरा
लाल पहले से बैठे हुए थे. जाते ही बोलने लगे अरे आपलोग तो दस बजे आने वाले थे इतना
लेट काहे कर दिये. सुशील जी ने जवाब दिया सर कोशिश की लेकिन लेट हो गया. सुशील जी
ने बताया कि मैंने उनका पता लगा लिया है और मोबाइल नंबर और गाड़ी नंबर पुलिस वाले
को दिया. उसने परची अपनी जेब में रख ली और कहा, अच्छा ठीक है अब, तो हम छुट्टी पर
जा रहे हैं. आयेंगे तो देखेंगे.  मैंने कहा
आप छुट्टी पर जा रहे हैं लेकिन ये काम रुकने वाला , तो है नहीं आपकी जगह कोई और कर
लेगा, तो हीरा लाल हंसने लगे औऱ कहा अरे तब तो आपको पते नहीं है. मैंने कहा क्या,
तो कहने लगे मेरा काम कोई नई करेगा. देखिये आपको दिखाते हैं उसने दूसरे पुलिस वाले
से पूछा ए जी हम छु्ट्टी पर जा रहे हैं मेरा एक केस है आप कर दीजिएगा क्या

?
उसने चंद माइक्रो सेकेंड के अंदर ही ना में उत्तर दे दिया. हमने आज हीरा लाल से
बैठकर बहुत देर बात की उसने भी खुलकर बात की कहा देखिये सर हमलोग ई सब रोज देखते
हैं
,
आपलोग जैसे सोचते हैं कि पुलिस काम करती है वैसे नहीं करती

हमारा
तरीका है अनुंसधान का समझे
.. अब आपलोग कार का नंबर दिये हैं ,
तो
हम डीटीओ ऑफिस जायेंगे कार का नंबर से मालिक का पता लगायेंगे मालिक को बुलायेंगे
उससे पूछताछ करेंगे. भले आपलोग मारपीट करने वाले को पहचान लिये हैं
. उसका
फोन नंबर भी पता कर दिये लेकिन ऐसे थोड़ी ना कि आपके कहने पर चलेंगे. उसने पुलिस
में काम के अनुभव का भी जिक्र किया और कहा देखिये 8 बजे से बैठे हैं कभी कभी 12
13
घंटा ड्यूटी करना पड़ता है. छुट्टी नहीं मिलता अब मेरा बेटा आ रहा है कहिये आपके
काम के कारण हम घर नहीं जायें. अब हम तीन दिन बाद आयेंगे तो आपके केस का जांच
होगा. इन दो मुलाकातों में हीरा लाल से कई बार जोरदार बहस भी हुई तो कभी उसने अपनी
तकलीफ सुनाकर दोस्ताना व्यवहार भी किया. 

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