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500 के पुराने नोट को मेरा अंतिम खत

प्रिय 500 के पुराने नोट
अब तुम्हारी यादें है बस….
                                  
 मुझे पता है तुम ठीक नहीं  हो. सभी अब तुम्हें नापसंद करने लगे हैं. तुम या तो बैंक में बदले जा रहे  हो या गंगा में बहाये जा रहे हो. कई न्यूज चैनल में तुम्हारे जलाये जाने की भी खबरें दी है. तुम्हारी इस हालत पर मन बहुत दुखी है लेकिन मेरा यकीन मानों मैंने तुम्हारे साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया. ना ही तुम्हें बदलने के लिए घंटो लाइन में खड़ा रहा और ना ही तुम्हें सस्ते दामों में बेचा है. पेट्रोल भराने और डीटीएच लगवाने और कुछ कपड़े खरीदने में तुम अपने अंतिम वक्त में काम आ गये. 
तुम चले गये लेकिन तुमसे जुड़ी कई यादें हैं जो शायद वक्त के साथ धुंधली हो जाए लेकिन जब – जब मुझे मेरा बचपन, मेरे स्कूल के दिन या पहली नौकरी की याद आयेगी तुम भी बहुत याद आओगे. बचपन से में तुम्हें पाने की इच्छा तो कई बार रही लेकिन तुम उस वक्त बहुत कम ही मेरे पास आये. तुम पहली बार कब मेरी जेब में आये शायद तुम्हें याद ना हो क्योंकि तुम्हारे लिए तो हर ठिकाना एक यात्रा के पड़ाव की तरह था तुम्हारी इस यात्रा में मैं भी एक पड़ाव की तरह होऊंगा लेकिन मुझे तुम्हारा पहली बार आना याद है. 2001 में मैं हॉस्टल में रहकर पढ़ता था तब मां ने 500 का नोट देते हुए कहा था लो कुछ मन करे तो खा लेना और अपना ध्यान रखना. मुझे याद है तुम्हें देखकर घर से दूर रहने का गम थोड़ा कम हो गया था. हॉस्टल में कई दिनों तक तुम ही तो थे जिसकी सूरत देखकर घर की यादें कम हो जाती थी. मुझे याद है तुम ही थे जिसके कारण मेरे शुरूआत में कई दोस्त बनें. कई दिनों तक तुम साथ रहे लेकिन तुम्हारा साथ तब छूट गया जब मुझे किसी और का साथ चाहिए था. दोस्त बनाने के लिए मुझे तुम्हें बनिये की दुकान पर देना पड़ा तुम्हारा साथ छुटा लेकिन जाते- जाते भी तुमने सबक दे दिया.  दोस्त साथ थे वो तुम्हारी वजह से थे .तुम गये तो वो भी चले गये. इसके बाद से ही तुम्हारा आना जाना लगा रहा. होस्टल में तुम हर महीने मां के साथ आ जाते थे. 
तुमसे यारी कम रही यारा…. 
2003 में हॉस्टल छूटा तो तुमसे रिश्ता भी टूट गया लेकिन तुम्हारे साथ की आदत हो गयी थी. उस वक्त तुम्हारे स्नेह में मैंने एक बार चोरी भी की. वॉक मैन, बंदूल, लेजर लाइट जैसी चीजें तुम्हारे बदले में मिली. लेकिन तुम्हारे द्वारा दी गयी खुशी ज्यादा दिनों तक मेरे चेहरे पर नहीं रही. मां के उदास चेहरे ने मुझे तुम्हें चुराने का जुर्म कूबलने पर मजबूर कर दिया लेकिन तुम फिर भी वापस नहीं आये क्योंकि दुकानदार ने वॉकमैन वापस लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद तुमसे रिश्ता थोड़ा कम हुआ. 
कभी मेहमान का आना तुम्हारे आने के संकेत देता था लेकिन कई मेहमानों का प्यार भी 500 बनकर नहीं आता था. समय बढ़ता गया और तुमसे मेरा प्यार भी. मेरी पहली नौकरी में तुम एटीएम मशीन से बहुत खुशी के साथ आवाज करते हुए निकले थे. उसके बाद से ही तुम्हारा और मेरा साथ रहा. कई बार जब तुम मेरे बटुए में अकेले बचते तो तुम्हारा साथ छोड़ने का बिल्कुल मन नहीं करता.  तु
तुम वापस आ रहे हो… हे ना

म यकीन मानों तुम्हारे साथ ने उस वक्त जो खुशी देती थी उतनी ही तकलीफ आज तुम्हारे जाने की खबर ने दी है.

 जब मैं 500 रुपये का जाने का दुख जता रहा हूं तो हजार के नोट को बुरा नहीं मानना चाहिए क्योंकि “ऐ हजार के नोट तुम तो कभी मेरे पहुंच में थे ही नहीं” आते भी थे तो तुम्हें देखकर अक्सर दुकानदार कह थे.” ऐ भइया चेंज दीजिए ना”. मुझे ये कहने में जरा भी गुरेज नहीं कि तुमसे मेरा रिश्ता कमजोर रहा है. इसलिए तुम्हारे जाने का दुख थोड़ा कम है. यही कारण है कि तुम्हारा पुर्नजन्म भी नहीं हो रहा बल्कि दूसरे जन्म में तुमसे दोगुणा पावरफुल नोट आ रहा है. शायद मेरा स्नेह ही है कि तुम एक बार फिर नये रंग में वापस आ रहे हो लेकिन तुम्हारे मेकओवर ने मुझे ओवर इमोशनल कर दिया है. उम्मीद करता हूं तुम्हारा और मेरा साथ तुम्हारे मेकअप के बाद भी बना रहेगा.
                                                                                                                            तुम्हारे विदा से दुखी 
                                                                                                                             तुम्हारा …….

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