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सरकार के पास नहीं है इन सवालों के जवाब, सदन में मोदी सरकार बोली NO DATA

सरकार से अगर आप यह दस सवाल पूछेंगे तो सरकार कहेगी नो डाटा .आंकड़े बहुत जरूरी है. सरकार अक्सर सवालों के जवाब में आंकड़ा देती है  लेकिन अगर सरकार जवाब के बजाय बस ये कह दे कि आंकड़ा नहीं है, तो .. इस सदन में कई सवाल सांसदों द्वारा पूछे गये और जवाब मिला आंकड़ा नहीं है. 

जवाब नो डाटा 

सड़क पर लॉकडाउन के दौरान लाखों की संख्या में मजदूर लौटे इनमें से कितने मजदूरों की मौत हुई. इस सवाल के जवाब में सरकार ने कहा, आंकड़ा नहीं है. इसी से जुड़ा एक सवाल था.मज़दूरों को मुआवज़ा दिया गया है,तो मंत्री का कहना था कि जब लॉकडाउन के दौरान मरने वाले मज़दूरों के बारे में कोई डेटा ही मौजूद नहीं है तो फिर मुआवज़ा देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.

कौन- कौन से सवाल हैं ? 

सवाल- ल़ॉकडाउन में कितने मजदूरों की मौत हुई, कितनों की नौकरी गयी ?

जवाब- नो डाटा लेकिन वापस लौटने वाले मजदूरों का आंकड़ा दिया जो 104 66152 ( एक करोड़ चार लाख छयासठ हजार एक सौ बावन) मजदूर घर लौटे. 

सवाल-कोरोना काल में कितनी आंगनबाड़ी सेविकाओं की नौकरी गयी ? 

जवाब- नो डाटा 

सवाल – कितनी लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ी ?

जवाब- नो डाटा

सवाल- कितने एमएसएमई बंद हुए ?

जवाब- नो डाटा 

सवाल- अस्पताल में कितने सफाईकर्मी की मौत हुई?

जवाब- नो डाटा 

सवाल- देश में कितने प्लाज्मा बैंक है ? 

जवाब- नो डाटा 

सवाल- कोरोना से लड़ते वक्त कितने डॉक्टर, हेल्थवकर्श की मौत हुई ? 

जवाब- नो डाटा 

सवाल- किसानों के आत्महत्या की वजह क्या है, कितने किसान मारे गये  ? 

जवाब- नो डाटा 

सवाल-  कितने नेता जेल में है ? 

जवाब- नो डाटा

सवाल- कोरोना से कितने पुलिसकर्मियों की मौत हुई ? 

जवाब- नो डाटा


जिसका जवाब सरकार के पास नहीं है यहां है


सरकार ने भले ही नो डाटा कहकर इस सवाल से पीछा छुड़वा लिया लेकिन सोशल मीडिया पर नेता औऱ आम लोगों ने भी सरकार के नो डाटा जवाब की खूब खिंचाई की इस बीच कुछ वेबसाइट या संस्थाएं ऐसी थी जिन्होंने सरकार पर निशाना भी साधा औऱ डाटा भी पेश कर दिया. 

आर्टिकल 14 नाम की एक वेबसाइट ने कहा कि उनके ज़रिए जमा किए गए आंकड़ों के अनुसार केवल चार जुलाई तक 971 लोगों की मौत हुई थी. 216 लोग भूख से, 219 लोग अपने घरों को जाते हुए रास्ते में दुर्घटना से मौत हुई थी और 133 लोगों ने आत्महत्या की थी. इस पर कई मीडिया हाउस ने भी काम किया.बीबीसी ने भी अपनी वेबसाइट पर एक डाटा दिया जिसमें  24 मार्च से 1 जून तक 304 प्रवासी मज़दूर मारे गए थे.इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जानकारी दी जिसमें 382 डॉक्टर की कोरोना से मौत हुई बताया गया.  

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