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सुनों 2022 तुमसे ये उम्मीद नहीं थी….

नये साल की शुरुआत… 

साल 2022 तुमसे ढेर सारी उम्मीदें थी. उम्मीद थी बदलते वक्त के साथ हालात बदलेंगे लेकिन साल दर साल जिंदगी कट रही है, वक्त आगे बढ़ रहा है. हम भी बड़े ( बुढ़े) हो रहे हैं, तरीख बदल रही है लेकिन लगता है अच्छा वक्त कहीं ठहर सा गया है.  इस साल का  आगाज भी अच्छा नहीं है. मैं सिर्फ कोरोना के नये वैरिएंट को देखकर नहीं कह रहा, निजी तौर पर भी मैं परेशान रहा हूं. साल की शुरुआत का यह मेरा पहला ब्लॉग है. 31 दिसंबर से मैं अस्पताल के चक्कर लगाता रहा. तीन दिनों तक अपनी कार में ही सोता रहा. साल की शुरुआत कुछ यूं हुई कि पता ही नहीं चला कि कब पिछले साल का सफर छूटा और कब नये साल ने दामन थाम कर आगे बढ़ना शुरू कर दिया. 

कल अस्पताल से लौटा हूं और आज से दफ्तर के काम पर लग गया हूं लेकिन इस बार साल की शुरुआत ना सिर्फ मेरे लिए बल्कि कई लोगों के लिए अच्छी नहीं है. मेरे कई सहयोगी, साथी कोरोना संक्रमण का शिकार हो गये हैं. साल की शुरुआत में बढ़ते मामलों का इतना बढ़ जाना कि वह बिल्कुल मेरे सामने आकर खड़े हो जायें परेशान करता है. 

पुराना साल जैसे जैसे गुजर रहा था तब लगा कि इससे बुरा वक्त अब नहीं आयेगा लेकिन नये साल ने आते ही बता दिया कि सबसे बुरा कुछ नहीं होता. हमेशा खराब वक्त के और खराब होने की गुंजाइश रहती है. कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में भी इसी तरह का अनुभव था लेकिन साल की शुरुआत में यह अनुभव मुझे डराने लगा है. लोग कहते हैं भविष्य की ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए लेकिन जिस तरह इस साल की शुरुआत हुई है अभी से चिंता होने लगी है. अगर शुरुआत यह है तो अंजाम क्या होगा ? 

खैर वक्त जैसा भी दिन दिखाये उसकी आंख में आंख डालकर देखना है. वक्त हमेशा ताकतवर रहा है. साल की शुरुआत में ही इस साल ने हमें मजबूत किया है. साल 2022 की शुरुआत ने आते ही यह बता दिया है कि मुझसे ज्यादा उम्मीदें मत रखना.मैं भी गुजरे वक्त की तरह ही हूं. तुमसे ढेर सारी उम्मीदें पाल ली थी मैंने. सोचा था साल बदलेगा तो वक्त बदल जायेगा. जिन खुशियों पर दो सालों से ग्रहण लगा था वापस मिलने लगेगी लेकिन… मुझे अब भी भरोसा है बदलते वक्त के साथ तुम भी बदलोगे 

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