बंगाल की राजनीति में मुस्लिम वोटबैंक |
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं की स्थिति क्या है ? ममता बनर्जी को चुनाव आयोग की तरफ से मिली नोटिस का टीएमसी को फायदा होगा या नुकसान ? ये तो हम आगे आंकड़े में समझ लेंगे लेकिन बंगाल चुनाव में नेताओं की कम भगवान की चर्चा ज्यादा रही. कोई जयश्री राम के नारे लगा रहा है, तो किसी ने चंडी पाठ शुरू कर दिया है. मंदिर – मंदिर भगवान के दर्शन हो रहे हैं. क्या आपने किसी नेता को मस्जिद में नमाज पढ़ते देखा, चर्च जाते देखा, गुरुद्वारा में माथा टेकते देखा, नहीं ना. कारण है वोट बैंक. मुझे बहुत बुरा लगता है लोगों को जात – धर्म के आधार पर बांटना लेकिन माफ कीजिए हम बंटे ही इस तरह है.
आंकड़ों में समझिये वोटबैंक और इसके पीछे की राजनीति
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बंगाल में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या करीब 53 लाख है. ये राज्य की कुल आबादी का करीब 5.8 फीसदी है. वहीं राज्य में दलित समुदाय की जनसंख्या 2.14 करोड़ है, जो कुल आबादी का करीब 24 फीसदी हिस्सा है. इस तरह से बंगाल में अनुसूचित जनजाति और दलित समुदाय की आबादी करीब 30 फीसदी बैठती है, जो राजनीतिक तौर पर काफी अहम है. बंगाल में अनुसूचित जनजाति की आबादी दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दक्षिणी दिनाजपुर, पश्चिमी मिदनापुर, बांकुड़ा और पुरुलिया इलाके में है.
यहां अनुसूचित जनजाति के लिए 16 सीटें सुरक्षित हैं. वहीं, दलित समुदाय राज्य की करीब 68 सीटों पर सघन रूप से फैला हुआ हैइसके अलावा भी ये दोनों समुदाय अन्य सीटों पर सियासी प्रभाव रखते हैं. इसीलिए बीजेपी और टीएमसी दोनों ही पार्टी की नजर एसटी-एसटी समुदाय के वोटों पर है.
भाजपा की इस वोटबैंक पर क्या है स्थिति
अब समझिये इस पूरी राजनीति के पीछे का आधार क्या है इसके लिए आपको साल 2019 में लौटना पड़ेगा. लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की बंगाल में बड़ी जीत के पीछे एससी और एसटी समुदाय की अहम भूमिका रही .. बीजेपी ने राज्य की 42 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. इतना ही नहीं बीजेपी को करीब 40 फीसदी वोट मिले थे. विधानसभा चुनावों में पहली बार 27 से 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटरों को लेकर काफ़ी खींचतान मची है.पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में 27.01 प्रतिशत मुस्लिम थे.
किन इलाकों में कितना वोटबैंक
अब यह आँकड़ा 30 प्रतिशत के क़रीब पहुँच गया है.राज्य के मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और दक्षिण 24 परगना ज़िलों में मुसलमान मतदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत से ज़्यादा है.कुछ इलाक़ों में तो यह और भी ज़्यादा है. मिसाल के तौर पर मुर्शिदाबाद में क़रीब 70 प्रतिशत और मालदा में 57 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं.मुर्शिदाबाद और मालदा में 34 विधानसभा सीटें हैं. यह ज़िले बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं. विधानसभा की 294 सीटों में से 100 से 110 सीटों पर इसी तबके के वोट निर्णायक हैं.
क्यों अहम भूमिका निभाता है मुस्लिम वोटबैंक
बांग्लादेश सीमा से लगे राज्य के ज़िलों में मुस्लिमों की आबादी बहुतायत में है. मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर में तो कहीं-कहीं इनकी आबादी 50 फ़ीसद से ज़्यादा है. इनके अलावा दक्षिण और उत्तर 24-परगना ज़िलों में भी इनका ख़ासा असर है.विधानसभा की 294 सीटों में से 70 से 100 सीटों पर इस तबक़े के वोट निर्णायक हैं. साल 2006 तक राज्य के मुस्लिम वोट बैंक पर वाममोर्चा का क़ब्ज़ा था. लेकिन उसके बाद इस तबक़े के वोटर धीरे-धीरे ममता की तृणमूल कांग्रेस की ओर आकर्षित हुए और साल 2011 और 2016 में इसी वोट बैंक की बदौलत ममता सत्ता में बनी रहीं.
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