Tandav Controversy |
सावधान !!!! इसे पढ़ते हुए कतई ये मत सोचियेगा कि लइका हिंदू नहीं है, वामपंथी है, खुद को बुद्धिजिवी समझता है. हम इनमें से कुछो नहीं है. खबर की दुनिया में आठ घंटे बिताते हैं, बाहर भी निकलते हैं तो सब दोस्त यार खाली खबरे का चर्चा करता है. खबर पढ़ते और लिखते रहते हैं, तो मन हुआ हम भी खबर को लेकर हमारी भावना लिख दें, और आपको कुछ लगे कि गरबर है तो आपसे समझने के लिए भी तैयार है कमेंट बॉक्स का ऑप्शन खुला है…
दिन ब दिन हममे सब्र कम हो रहा है, तभी, तो हमारी भावनाएं तुरंत आहत जो जाती है. तांडव वेब सीरीज को लेकर बवाल मचा है, सीरीज हमने भी देखी है और यकीन मानिये हमारी भावनाएं आहत नहीं हुई.अब देखिये भावनाओं को, तो यह है कि हर व्यक्ति पर निर्भर करता है लेकिन एक भावनाएं होती है सामाजिक अगर चार लोगों की एक साथ आहत हो गयी और ये चार लोग नेता टाइप के लोग हैं, तो मान लिया जाता है कि पूरे समुदाय की भावनाएं आहत हो गयी.
काशी गये हैं कभी, वहां की जिंदगी बोली संस्कृति को जिया है, अगर नहीं तो एक पुस्तक है, काशी का अस्सी पढ़ डालिये, चलिये पढ़ने की आदत नहीं है ,तो सन्नी देओल की “मोहल्ला अस्सी” देख लीजिए. आप, तो फिल्में इसी लिये देखते हैं कि बता सकें कि आपकी भावनाएं कहां आहत हो रही है, जरा नोट पेड लेकर बैठियेगा और बताइयेगा कि कहां और किस सीन पर कितनी भावनाएं आहत हुई है. साहेब सिनेमा के इतिहास में ऐसी कई फिल्में हैं, जिसमें ईश्वर से अपनी बात रखने के लिए ऐसी – ऐसी भाषा का इस्तेमाल हुआ है कि आज हो तो किसानों से बड़ा आंदोलन हो जाये.
हम तो माहौल को दोषी मानते हैं, आजकर नौकरी कम है, तो ज्यादातर युवा सोशल मीडिया पर संत बनें बैठे हैं. हल्की सी दाढ़ी बढ़ा लीस लंबी मुंछें रख ली है और बन गये है धर्म के ठेकेदार. फेसबुक पर पीछे सबसे बड़ी वाली फोटो भगवान राम की और आगे अपनी मुंछों पर तांव देती हुई प्रोफाइल फोटो. इनकी फेसबुक प्रोफाइल ही बताती है कि यह आहत गैंग है .
इनका तर्क बड़ा कमाल का होता है. अपनी बात नहीं करेंगे, बात करेंगे दूसरे धर्मों की. मुस्लिम धर्म के बारे में यही कह सकते हैं, क्या जो हमारे लिए कहा, ईसाई धर्म के बारे में ऐसा कह सकते हैं ? इसी तर्क से आपको चुप कराने की कोशिश करेंगे, अगर ये कम पड़ा तो निकालेंगे व्हाट्सएप विश्वविद्यालय का ज्ञान. भाई मेरे आपको दूसरे धर्मों जैसा बनना है या विश्व के सबसे प्रचीन धर्म होने का गर्व बगैर डराये धमकाये करना है. इबादत, प्रार्थना, पूजा आत्मा की शांति के लिए है, दूसरों में डर पैदा करने के लिए नहीं. धर्म का अपमान होगा तो संत है, धर्म के अच्छे खासे जानकर है. धार्मिक संगठन है. तुम राजनीति काहे कर रहे हो दोस्त.
जानते हैं नहीं समझोगो तुम कानूनी रूप से समझोगे तो वो भी कर लेते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फर्क समझाया है, जान बूझकर की गयी गलती औऱ टिप्पणी में फर्क है. लापरवाही से और बगैर इरादे से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है ,तो जुर्म नहीं है. अब तुम बोलोगे ये तो सोच समझकर किया गया है जानते है बदकुच्चन तो कोई आहत गैंग से सीखे, तो भाई साल 2013 में धौनी की एक तस्वीर छपी थी जिसमें उन्हें भगवान विष्णु की तरह दिखाया गया था और हाथों में बड़े ब्रांड के प्रोडक्ट थे याद है. …….अरे उस वक्त तुम इतने एक्टिव नहीं थे, ना गूगल कर लेना..
हां तो उस मामले में हुआ ये था कि कोर्ट ने कहा था कि यह जानबूझकर किया गया काम नहीं है. खाली तुम्हारी नहीं भाई मुस्लिम भाइयों की भी भावनाएं आहत होती रहती है साल 2014 में सल्लु भाई पर भी केस हो गया था रैंप वॉक में अरबी में कुछ लिखी हुई टिशर्ट पहन के टहला दिये थे. अरे हजारों उदाहण पड़ी है फिल्म पीके याद कर लो. अगर पढ़ने लिखने में और सही मायने में तर्क समझते तो गूगल पर आईपीसी की धारा 295A के बारे में पढ़ने की कोशिश करो.
चलो, तो ऐसा है गुरु फिल्म बनाने वाले आगे से ध्यान रखेंगे,अब तांडव के साथ – साथ फिल्मी दुनिया के बहुते लोग समझ गये कि हिंदू धर्म में लोगों की भावनाएं जल्दी आहत होती है आगे से कुछ भी बोलने , लिखने और दिखने से पहले पचास बार सोचेगा लोग, जीतो तो तुम ही ना औऱ अगर ध्यान नहीं रखा तो तुम तो बैठे ही तुरंत आहत हो जाना कर देना एफआईआर, रोड जाम, चक्का जाम, भारत बंद ..
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