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झारखंड में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है

गर
फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त, हमी अस्तो, हमी अस्तो, हमी अस्तो
”- (धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो
यहीं है,यहीं है, यहीं है) . यह बात भले कश्मीर के लिए कहीं गयी हो लेकिन झारखंड
में यह बात अगर नेतरहाट के लिए कही जाये, तो गलत नहीं होगी. नेतरहाट में सुबह कमरे
 दरवाजा खोलते ही बादल आपके चेहरे को छु कर
आपके कमरे के अंदरे प्रवेश करेगा तो आप कैसे इसे जन्नत नहीं कहेंगे. रांची से चार
घंटे की ड्राइव, लगभग 150 किमी की दूरी आप पहुंच जन्नत (नेतरहाट) में. शानदार
रास्ते, झरने और चारो तरफ हरियाली. रास्ते में ही कई बार रुकने का मन करेगा. मैं
पहली बार साल 2012 में नेतरहाट गया था, तब से लेकर अबतक कितनी बार जा चुका हूं
गिनती करनी बंद कर दी, हां पिछले महीने ही दो बार नेतरहाट हो आया हूं. 




बदल रहा है नेतरहाट
मैंने इन सात सालों में
नेतरहाट को बदलते देखा है. होटल का जाल बिछ गया, कई तरह की सुविधाएं हो गयी.
नेतरहाट में आज भी वही सुकून है जो उस वक्त था. साल 2012 में भी नेतरहाट में
समस्या नहीं थी. लोग अपने घरों में बड़े आराम से पेइंग गेस्ट के रूप में आपको रखते
थे, घर का खाना खिलाते थे, अभी भी रखते हैं. पहले और अब में बदलाव इतना आया है कि इंटरनेट
की मदद से अब नेतरहाट को जोड़कर पर्यटकों के लिए सुविधाएं आसान कर दी गयी हैं.
योजना बनाइये इंटरनेट से सारी बुकिंग कीजिए और निश्चिंत हो जाइये.



   

नो नेटवर्क जोन में अब
नेटरवर्क है
साल 2012 में नेतहाट नो
नेटवर्क जोन के रूप में जाना जाता था, वहां जाना मतलब पूरी दुनिया से कट जाना फोन
बंद तो बाहरी दुनिया से संपर्क खत्म. अब कई जगहों पर खूब अच्छा नेटवर्क रहता है,
लोध फॉल में भी आपको अच्छा नेटवर्क मिल जायेगा जहां पहुंचना ही पहले कठिन था. जब
हम साल 2012 में जब गये थे, तो हमारी बाइक वहां तक बहुत मुश्किल से पहुंची थी
लेकिन अब आप अपनी कार आसानी से वहां तक ले सकते हैं. इस बार गया था, तो देखा कि
कैसे यहां तक पहुंचने के रास्ते को और बेहतर किया जा रहा है. जहां पहले कोई
सुरक्षा नहीं थी अब वहां आपको पर्यटक मित्र नजर आयेंगे. खासकर बरसात के मौसम में
आपकी सुरक्षा के लिए वहां मौजूद रहते हैं, सतर्क करते हैं.




सुबह ए नेतरहाट और शाम
ए मैगनोलिया पोइंट

बनारस की सुबह और अवध की शाम मशहूर है लेकिन नेतहाट भी आपको इसी के लिए अपनी तरफ खींचता
है. नेतरहाट का सनराइज प्वाइंट वैसे तो अब होटल की वजह से खत्म सा हो गया साल 2012
में यह खुली जगह थी, अब होटल बन गया है तो जगह की खूबसूरती वैसी नहीं है. फिर भी
नेतरहाट में पहाड़ों के बीच से निकलता सूरज आपको अहसास कराता है जैसे सूरज पास की
पहाड़ी में ही अस्त होता हो और वहीं से निकल रहा है . मैगनोलिया प्वाइंट पर शाम का
आनंद लेने के लिए शानदार व्यवस्था है. शौचालय है. सेड बनें हैं और आप बैठे- बैठे
ढलता सूरज देख सकते हैं. यहां ढलते सूरज के साथ आपको महसूस होगा कि जिंदगी की ऐसी
कई शानदार शामें आपने अपने दफ्तर के या घर की चारदिवारी में काट दी. शायद यहां आप
शाम का मतलब समझ सकें. 


कितना सुरक्षित है
नेतरहाट

झारखंड के ज्यादातर पर्यटन स्थलों को लेकर लोगों में भ्रम है कि शाम के वक्त, रात
के वक्त ये जगहें खतरनाक हो जाती होंगी. मैं नेतरहाट कई बार रात के आठ बजे के बाद
पहुंचा हूं, बाइक से तो कभी कार से लेकिन मुझे कभी कोई परेशानी महसूस नहीं हुई.
यहां के लोग भी मदद करने वाले हैं. नेतरहाट कोई बहुत बड़ा शहर नहीं है कि आपको
चारो तरफ रौशनी और लोग दिखें लेकिन छोटे से शहर में खतरा उतना बड़ा भी नहीं है
जितना बड़ा घर  डर ने आपके अंदर बना लिया
है. नेतहाट में कैंप हैं, पुलिस ट्रेनिंग होती है और अब पेट्रोलपंप भी है सुरक्षा
है, इसे लेकर चिंता छोड़ दीजिए.



वक्त निकालिये और निकल
पड़िये

अगर आपके पास दो दिनों की छुट्टी है, तो आप आराम से नेतरहाट, लोध फॉल, बेतला पार्क
की एक छोटी ट्रीप कर सकते हैं. पूरे परिवार के साथ समय बिताने के लिए यह उन शानदार
जगहों में है जिसकी आप कल्पना करते हैं. शिमला, मनाली, दार्जलिंग जैसे शहरों की वह
सारी खूबियां इस छोटी सी जगह में है. मैं नेतरहाट को नेचर हार्ट कहता हूं.
अंग्रेजों ने  इस जगह को नेचर हार्ट नाम दिया था. अंग्रेजी का
यह नाम कब अपभ्रंश होकर नेतरहाट हो गया पता नहीं चला.
आप भी होकर आइये और बताइये की आपका अनुभव कैसा है.
अगर जाने से पहले जन्नत ( नेतरहाट) अपनी मोबाइल स्क्रिन पर देखना चाहते हैं तो
मेरे यूट्टूब चैनल पर जा सकते हैं. 

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