मेरे गांव की यात्रा का यह तीसरा और अंतिम भाग है. गांव के इस वीडियो के साथ कोशिश है कि कुछ अलग किया जाए गांव की यात्रा के साथ इस नये यात्रा की भी शुरुआत है. सबके पास वक्त बराबर ही है सबको 24 घंटे ही मिलते हैं कई लोग इसी वक्त में बेहतर कर जाते हैं तो कई हम जैसे लोग सोचने में वक्त काट रहे हैं.
झारखंड में चलने वाले कई यूट्यूब चैनल अपने सब्सक्राइबर की संख्या छिपा कर रखते हैं कारण है उनका कम सब्सक्राइवर होना है. हमने तब भी यह नहीं किया जब शुन्य थे और अब भी नहीं जब 600 के पार हैं. मानता हूं संख्या बहुत कम है लेकिन संख्या से कम सफर हिम्मत से जारी रहेगा उम्मीद है कि औऱ सहयात्री जुड़ेगे
Leave a Reply