समय रैना एक नाम जो कॉमेडी की दुनिया में तेजी से उभरा और अब अब समय के समय पर ग्रहण लगा है। समय रैना जिस वक्त विवादों में थे वह विदेशों में शो कर रहे थे। अभी कहां हैं, किसी को नहीं पता। सोशल मीडिया पर एक स्टोरी डालकर उन्होंने अपडेट दिया कि वो इंडिया गॉट लिटेंट के सारे एपिसोड हटा रहे हैं। समय के साथ- साथ जिनका समय खराब हुआ उसमें रणवीर इलाहाबादिया, जिसके कई शानदार पोस्डकॉस्ट मैंने देखें हैं और उनके काम की तारीफ भी की है।

आशीष चंचलानी ने हाल में ही एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि यह बुरा समय है, जिनसे वह लड़ रहे हैं। सवाल सिर्फ इतना है कि इस पूरे विवाद को आप देखते कैसे हैं। कौन तय करेगा भाषा की मर्यादा क्या है। अश्लीलता कहां से शुरू हो जाती है। इसकी हद क्या है।
अश्लीलता क्या है?
कानून के नजरिए से – BNS 2023 की धारा 294: यह पूर्व की भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292 है जिसके तहत डिजिटल मीडिया सहित अश्लील सामग्री की बिक्री, विज्ञापन अथवा सार्वजनिक प्रदर्शन प्रतिबंधित है। अब अअश्लील क्या है- ऐसी सामग्री जो लैंगिक रूप से विचारोत्तेजक हो,जिसका उद्देश्य लैंगिक विचारों का प्रकोपन करना हो,अथवा व्यक्तियों की नैतिकता या व्यवहार को नुकसान पहुँचाने की संभावना हो। थोड़ी कठिन हिंदी हो गई ना, इसे सरल भाषा में समझना हो, तो इतना समझिए कि ऐसी सामग्री जो आपको उकसाती हो नैतिकता को नुकसान पहुंचाती है। अब सवाल है कि यह कैसे तय होगा कि कौन का कंटेंट नुकसान पहुंचा रहा है। आप करेंगे, आपकी सोशल मीडिया पोस्ट करेगी या मामला कोर्ट में जाएगा। जाहिर है कोर्ट तय करेगा फिर आप अपना गला क्यों फाड़ रहे हैं, क्या आपके चीखने से चिल्लाने से पूरा का पूरा समाज बदल जाएगा।
समय का समय
आप सभी ने इंडिया गॉट लेटेंट (India Got Latent ) पर खूब बात की। शो चलाने वाले समय रैना ने सारे एपिसोड हटा दिए। आप सोचेंगे जब मामला खत्म हो रहा है, तो मैं क्यों लिख रहा हूं शायद ये सही समय है, आप बता सकते हैं कि इस चर्चा के दौरान इस तरह के कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए आपने कोई मजबूत तर्क सुना। अगर आपने सुना है या आपको व्यक्तिगत तौर पर कोई ऐसा रास्ता दिखता है ,तो मेरे कमेंट बॉक्स आप्शन आपके लिए खुला है। अब थोड़ा विवाद पर चर्चा कर कर लेते हैं। इस पूरे शो में मुख्य रूप से रणवीर इलाहाबादिया की टिप्पणी पर सबकी आपत्ति सामने आई। रणवीर ने माता- पिता के निजी रिश्ते को लेकर जो कह दिया वो कहीं से भी ठीक नहीं था। इसके बाद इस शो के कई पुराने क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके बाद जो – जो हुआ आपको सब पता है।
गाली -युवा और इतिहास
दिल्ली में आम बोल चाला की भाषा में युवाओं के बीच एक टर्म खूब इस्तेमाल होता है। एक दोस्त दूसरे दोस्त को बड़ी आसानी से गाली वाला भाषा में संबोधित करता है। उत्तर भारत में भी अगर आप दोस्तों को आपस में बात करते सुन लेंगे तो समझ पाएंगे कि उनके बीच की भाषा भी बहुत शालीन नहीं है। एक फेमस गाना है वक्त निकालकर सुनिये और रिसर्च भी कीजिए कि इस गाने की प्रसिद्धि कितनी है.. Italy di maid, fat cigars Pull up like a sheikh Chauffeured cars, tailored suits Lakhan de pair I’m motherfuc*ing millionaire। शो को लेकर शुरू हुई बहस अगर सलीके से होगी, तो एक ही समस्या सामने आयेगी अश्लीलता….। अब अश्लील होते समय और बिगड़ती भाषा पर तो पहले भी खूब चर्चा हुई। आप कानूनी तौर पर पहले से ही अश्लीलता की परिभाषा समझ ही रहे हैं। क्या यह सिर्फ आज के युवा की बात है बिल्कुल नहीं। समाज में गालियां क्या कुछ दशकों से प्रचलित हुई है बिल्कुल नहीं, महाभारत, कर्ण पर्व के अध्याय 39-41 के बीच कर्ण और उसके सारथि शल्य में विवाद का जिक्र मिलता है। शल्य ने कर्ण को अर्जुन रूपी सिंह के सामने अपशब्द कहे, तो कर्ण ने शल्य तथा उसके मद्र देश के लोगों तथा उनकी स्त्रियों के दुश्चरित्र का वर्णन किया, जिसे जातीय गाली कहा जा सकता है। ऐसा ही एक जिक्र और मिलता है जिसमें श्रीकृष्ण विनाशकारी महाभारत युद्ध को टालकर संधि कराने के लिए पांडवों के दूत बनकर हस्तिनापुर गये थे, दुर्योधन उनसे कुशल क्षेम कुछ इस प्रकार पूछता है: ‘हे दूत!धर्मराज का पुत्र (युधिष्ठिर), वायु पुत्र (भीम), इंद्र का पुत्र (अर्जुन), अश्विनीकुमारों के विनम्र जुड़वां पुत्र (नकुल-सहदेव) नौकर-चाकरों के साथ कुशल से तो हैं?’ दुर्योधन ने किसी पांडव का नाम नहीं लिया किंतु भद्दी गाली दे डाली, शिष्ट शब्दों में, बड़ी कलात्मकता से।
गाली देकर समझा रहे हैं कि गाली देना गलत है
मैंने रणवीर के बयान के बाद कुछ पोस्ट देखे। उनमें रणवीर को मां की गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। मतलब गलत को गलत बताने के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरों के चरित्र पर गंभीर सवाल खड़े करने वाले अपने चरित्र को लेकर कितने गंभीर है। इस पूरी चर्चा में बार- बार ये कहा जाता है कि कुछ भी हो माता – पिता के रिश्ते को लेकर ये नहीं कहना चाहिए। हमारे समाज में मां और बहन से जुड़ी गालियां क्या असामान्य हैं। हर छोटी बात पर गाली देने वालों को कोई रोक कर क्यों नहीं समझाता कि ये गलत है। सोशल मीडिया पोस्ट देखकर तो लगता है जैसे पूरे समाज ने सुधरने का फैसला कर लिया है, अगर कर लिया है तो फिर यह पोस्ट तक ही सीमित ना रहे।
फिल्म और गानों की गाली
कई वेब सीरीज, फिल्म और गाने में लिखी गई गालियां जिसे हम सुनकर भी नजरअंदाज कर देते हैं। भोजपुरी गानों में भौजी, साली, जैसे रिश्तों को क्या अपमान नहीं हो रहा है। होली आ रही है होली में गाने के बोल सुनिए अरे यो तो छोड़िए अभी सरस्वती पूजा के दौरान प्रतिभा विसर्जन के दौरान गाने के बोल याद कर लीजिए। समाज को सुधारने की जिम्मेदारी पूरे समाज की है। किसी एक व्यक्ति की इस भाषा की वजह से आप हत्या कर दें। उसकी मां तक को मारने की कोशिश करें और दूसरी तरफ ऐसे गानों पर रील बनाकर डालें जो अश्लील है तो माफ कीजिए आपका दोहरा चरित्र है। आप समाज नहीं सुधार रहे गंदगी भरे रोस्ते से घटिया प्रसिद्धि की कोशिश कर रहे हैं।
किताबाों की भाषा
अगर मोबाइल की स्क्रीन से नजर हटा तो एक लेखक का नाम बताता हूं उसे पढ़ियेगा और समझियेगा कि अश्लीलता पर आज हो रही बहस आज की नहीं है। उस लेखक का नाम है सआदत हसन मंटो वो कहते थे जो चीज जैसी है, उसे वैसी ही पेश क्यों न किया जाए। टाट को रेशम क्यों कहा जाए.’ ‘क्यों न लिखूं वेश्याओं के बारे में, क्यों वो हमारे माश्शरे (समाज) का हिस्सा नहीं हैं? उनके यहां मर्द नमाज या दुरुह पढ़ने तो नहीं जाते हैं,उन्हें वहां जाने की पूरी इजाजत है लेकिन हमें उनके बारे में लिखने की नहीं. क्यों नहीं?’एक जगह वो कहते हैं कि – “मैं उस सभ्यता, उस समाज की चोली क्या उतारुँगा जो पहले ही नंगी है।” उनकी कई किताबों पर बवाल रहा, ठंडा गोश्त, काली सलवार, हतक, टोबा टेक सिंह।
हल क्या है
अब सबसे बड़ा सवाल कि इसका हल क्या है। इसका सीधे जवाब नहीं दिया जा सकता जवाब एक सवाल के अंदर छिपा है कि आप कैसा समाज चाहते हैं और हम कितने सक्षम है। क्या हम इतने सक्षम हैं कि युवाओं की भाषा पर नियंत्रण कर सकें। हां समय पर जब सीमा लांघ दी जाए तो उन्हें यह बताना जरूरी है कि लेकिन गाली, जान से मारने की धमकी देकर नहीं। कानून के रास्ते से ही। इस पूरी बहस में सिर्फ बहस ना हो निष्कर्ष हो तो ज्यादा बेहतर है।
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