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मल्टीपल मायलोमा से लड़ रहीं हैं शारदा सिन्हा, क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

छठ मतलब शारदा सिन्हा.. उनके आवाज के बगैर छठ पर्व अधूरा है। इस वक्त शारदा सिन्हा अस्पताल में भर्ती हैं। दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों की निगरानी में हैं, शारदा सिन्हा पिछले करीब छह वर्षों से ब्लड कैंसर से लड़ रही है। उन्हें मल्टीपल मायलोमा है। 26 अक्टूबर को एम्स के कैंसर सेंटर में मेडिकल आंकोलाजी वार्ड में भर्ती किया गया, जहां उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया गया है।

देश ही नहीं दुनिया भर में छठ पर्व की पहचान में शारदा सिन्हा का बड़ा योगदान है। विदेशों में रह रहे भारतीय जब छठ पर्व में शारदा सिन्हा के गाने बजाते हैं तो विदेशी भी उनकी आवाज के जादू में खिंचे चले आते हैं। ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। शारदा सिन्हा की आवाज का जादू बॉलीवुड के कई गानों में भी सुनाई देता है। गाने के बोल से नहीं उनकी आवाज से गाने की पहचान होती है।

कौन हैं शारदा सिन्हा
1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में शारदा सिन्हा का जन्म हुआ। बचपन से ही संगीत का शौक रहा। 1980 में शारदा सिन्हा ने ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से अपने केरियर की शुरूआत की। इस शौक ने अपनी पहचान बनाई उन्हें शारदा सिन्हा को संगीत में उनके योगदान के लिए 1991 में ‘पद्म श्री’ और 2018 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया । इसके अलावा कई तरह के सम्मान जिनमें ‘बिहार कोकिला’ और ‘भोजपुरी कोकिला’ जैसे खिताबों से नवाजा गया।

उन्हें ‘भिखारी ठाकुर सम्मान’, ‘बिहार गौरव’, ‘बिहार रत्न’, और ‘मिथिला विभूति’ सहित कई अन्य पुरस्कार मिले। गाने ने ना सिर्फ पहचान दी बल्कि संपत्ति भी दी। एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि उनकी कुल संपत्ति 16 से 42 करोड़ के आसपास है। शारदा सिन्हा की दो संतान है। बेटी वंदना और बेटा अंशुमान सिन्हा । पति ब्रज किशोर का निधन इसी साल सितंबर के महीने में ब्रेन हेमरेज से हुआ वो 80 साल के थे.

शारदा सिन्हा की कौन सी बीमारी है
मल्टीपल मायलोमा रक्त कैंसर हैं। अगर किसी को यह बीमारी हुई तो कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती हैं। वे आपकी हड्डियों और रक्त में अत्यधिक प्रोटीन (जिसे इम्युनोग्लोबुलिन कहा जाता है) छोड़ते हैं। यह पूरे शरीर में बनता है और अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है।

इसके लक्षण क्या हैं
इस बीमारी के लक्षण पहले से दिखाई नहीं देते लेकिन हड्डी में दर्द, कमजोरी और थकान के साथ- साथ वजन कम होना भूख ना लगना ।

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