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पत्रकारिता जिनकी वजह से जिंदा है उन्हीं की हत्या हो रही है

दो दिनों तक अमित की लाश लावारिश बतायी गयी

जिनकी वजह से पत्रकारिता जिंदा है, वही मारे जा रहे हैं. दिनभर में चार प्रेस कॉन्फ्रेंस कवर कर लेना ही पत्रकारिता नहीं है. असल पत्रकार वही है जो  गांवों से दूर दराज इलाकों से खबरें निकाल कर लाते हैं. पत्रकारिता है, कतार में खड़े आखिरी लोगों तक योजनाएं पहुंच रही हैं या नहीं यह देखना.  अमित को मैं इसी तरह की खबरों के लिए जानता था. कई बार फेसबुक पर बात होती, कभी खबर को लेकर जरूरत होती थी, तो फोन कर लेता था. आज खबर मिली  न्यूज कोड में काम करने वाला पत्रकार अमित तोपनो की हत्या कर दी गयी.

अमित ने जिन स्टोरी पर काम किया 

कई खबरें देने वाला आज खबर बनकर आया था. अमित खूंटी इलाके से थे और मेरा अमित से विशेष रिश्ता था क्योंकि न्यूज कोड में काम करने से पहले वह वीडियो वॉलेंटियर के लिए काम करते थे. गांव के स्कूल में तड़ित चालक लगवाने से लेकर राशन समय पर ना मिलने की खबर उन्होंने की थी. 

आप याद कीजिए खूंटी इलाके में सबसे बड़ी घटना क्या हुई ?… पत्थलगड़ी. इस घटना में भी अंदर की खबर अमित के पास थी. सूत्रों के हवाले से कई खबरें अमित की होती थी.

न्यूज कोड में अमित की कई स्टोरी छपी है

छोटे मामलों तक तो ठीक था लेकिन अमित की पहुंच अवैध खनन, अफीम की खेती, पीएलएफआई नेताओं तक हो गयी थी और अमित यहां से खबरें निकालने लगे थे.  कई बार मुलाकात में उसने ऐसी हीं कई खबरों का जिक्र किया. कहा, भैया आप तो जानते हैं, हमको ठीक से टाइप करने नहीं आता है हम आपको जानकारी इनबॉक्स कर देंगे आप खबर बना लीजिएगा.

अमित ने कई बार फोन कर कहा था कि मेरी जान को खतरा है. कई महीनों से उससे संपर्क में नहीं था. कुछ दिन पहले जब फेसबुक से उसके लापता होने की जानकारी मिली, तो डर गया लेकिन मन को बस इतनी तसल्ली दी कि वह ठीक होगा कहीं घूमने निकल गया होगा.

आज सुबह फिर लापता होने की फेसबुक पोस्ट जब मेरे मोबाइल से निकली, तो मैंने न्यूज कोड में काम कर रहे एक साथी को फोन किया. उसने जो जानकारी दी वह हैरान करने वाली थी. उसने बताया, भैया आपको पता नहीं है अमित की हत्या हो गयी. मैं हैरान रह गया. मैंने एक और साथी को फोन किया जो खूंटी से हैं और पत्थलगड़ी के खिलाफ लड़ते रहे हैं. उन्होंने भी बताया कि मुझे लगता है, उसकी हत्या किसी और कारण से हुई  खूंटी के साथी ने बताया कि  न्यूज कोड बंद होने के बाद अमित ओला कैप चला रहा था. हत्या किस वजह से हुई यह तो पता नहीं लेकिन अमित कई खबरों के पीछे था.

जिसके पास खूंटी जैसे इलाके की कई खबरें थी. जिसने अपनी खबरों से कई बदलाव ला दिये. अब क्या हम सभी उसे पत्रकार मानेंगे,  अगर नहीं तो कोई बात नहीं क्योंकि अमित जहां काम करता था वहां के लोग भी उसे पत्रकार मानेंगे कि नहीं पता नहीं.

 ना जानें खूंटी की कितनी खबरें, समस्याएं सामने लेकर आया. कई बार  उसकी स्टोरी की वजब से बदलाव आया. आज जब उसकी मौत हो गयी तो इस पर चर्चा होगी कि वह पत्रकार था या नहीं. मैंने प्रेस क्लब के एक साथी को फोन  किया उनसे पूछा कि अमित के परिवार वालों की कोई मदद प्रेस क्लब से हो सकती है क्या.
उनका पहला सवाल था कि वह किस संस्थान में काम करता था. मतलब साफ है कि अगर वह किसी संस्थान का नहीं तो पत्रकार नहीं है. अमित पत्रकार है या नहीं वह किसी संस्थान में उसके काम करने से तय किया जाना है लेकिन अमित का काम गूगल और वेबसाइट में दिखता है. अब तय कर लीजिए वह पत्रकार है या नहीं.

जो खबर मेरे पास  आयी – राँची डोरंडा थाना क्षेत्र के घाघरा में मिले कल एक युवक के शव मिला था, जिसकी शिनाख्त खूंटी के तोरपा, निचितपुर  निवासी अमित तोपनो  के रूप में हुई।अमित के परिवार वालों और दोस्तों ने इनकी पहचान की,मिली जानकारी के अनुसार मृतक अमित तोपनोू पूर्व में न्यूज़कोड नाम के संस्थान में पत्रकार रह चुका है।कल सुबह के करीब 8 बजे के आसपास डोरंडा थाना क्षेत्र के घाघरा में एक युवक का शव देखा गया

जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी डोरंडा थाना की पुलिस को दी। काफी देर तक शव की शिनाख्त नहीं होने के चलते  पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज भेज दिया था। इस मामले कि जानकारी मृतक के दोस्त और परिजन को मिली जिसके बाद मृतक के परिजन और दोस्तों ने शव की शिनाख्त अमित तोपनो के रूप में की,मृतक के परिजन और दोस्तों का कहना है कि उसकी हत्या की गई है।

मृतक अमित तोपनो  पूर्व में न्यूज कोड नाम के संस्थान में पत्रकार रह चुका है।वर्तमान में वह ओला कैब में ड्राइवर का काम करता था।शनिवार के शाम से उसका कोई पता नहीं चल पा रहा है। सुबह उसका शव घाघरा में मिला काफी देर तक उसका शव का पहचान नहीं हो पाया था। देर शाम उसके परिजनों और दोस्तों ने उसके शव की पहचान की..

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