झारखंड विधानसभा चुनाव |
मईंया सम्मान योजना या गोगो दीदी योजना ? अबकी बार झारखंड में किसकी सरकार …. मां और बहनों को सम्मान देने के नाम पर यह वोट की राजनीति नहीं है ? जो जितना सम्मान ( पैसा ) देगा क्या राज्य में उसी की सरकार बनेगी। क्या इस सम्मान के इतर कुछ देखा नहीं जाएगा। झारखंड में हार औऱ जीत कैसे तय होगी आज इस सवाल के जवाब को तलाशते हैं।
आपके वोट करने का तरीका क्या है ? मेरा सवाल है कि आप वोट करते वक्त किन बातों का ध्यान रखते हैं। आप जिस भी नेता को चुन रहे हैं उसे किस आधार पर चुनते हैं। पार्टी देखते हैं, नेता की योग्यता देखते हैं, जात देखते हैय़ वोट क्या सोच कर देते हैं… मेरे इस सवाल के पीछे जो वजह है… वो है राजनीतिक पार्टियों की तरफ से किए जाने वाले वादे। उनके वादे औऱ दावे देखकर तो लगता है कि वो आपको ठगना सीख गए हैं।
मुख्यंमत्री हेमंत सोरेन |
अरे नाराज क्यों हो रहे हैं। सच बताइये वो कब से रोजगार देंगे, भत्ता देंगे सरीखे वो सारे वादे जो आपकी रोटी, कपड़ा और मकान की मूल सुविधाओं के ईर्द गिर्द घूमती है वो देने का वादा कर रहे हैं ? आपको याद नहीं है तो अपने घर के बुजुर्गों से पूछिए… । क्या सच में वो आपको यब सब दे देगी ? अगर देगी तो अगली बार क्या वादा करेगी ? आपको नहीं लगता कि सरकार सही से अपना काम करे, ना कि रेवड़ी बांटने का लालच देकर वोट हासिल करे..
आप कह सकते हैं ये कि यह मध्यम वर्ग के एक व्यक्ति की राय है इसलिए मैं इन मुफ्त की योजनाओं के पक्ष में कम हूं , आप मुझे ताना मारते हुए यह भी कह सकते हैं कि जिसके पेट भरे होते हैं ,वो क्या जाने गरीबों का दर्द.. वैगरह.. वैगरह..। आपके आधार पर अक्षम कौन है, आपके लिए गरीबी की क्या परिभाषा है। गरीब कौन है ?
शहर में रहने वाला वो परिवार जो काम की तलाश में अपना गांव छोड़कर शहर में मजबूरी की मजदूरी कर रहा है वो गरीब है, या गांव में अपने कच्चे टूटे से मकान में अपनी जिंदगी जी रहा है परिवार गरीब है, या वो गरीब है जो किसी मंदिर, दरगाह में हाथ फैलाए आपसे पैसे- खाना मांग रहा है, या वो जो शरीर पर चिथड़े पहने दर- दर भटक रहा है पीठ पर बोरी लादे। गरीब की कोई एक परिभाषा है या गरीब, महागरीब जैसा भी कुछ है। मांग कर खाने वाले साधु, संत भी होते हैं.. वो गरीब हैं ? गरीबी क्या है, कौन है गरीब। हमारी सरकार उन्हें गरीब मानती है जिनके पास लाल कार्ड है।
एनडीए गठबंधन |
कौन है गरीब ?
एक ऐसे परिवार की कल्पना कीजिए जिसमें पांच सदस्य हैं एक बुजुर्ग मां- बाप। बहू और बेटा और 4 साल का बच्चा। गरीबी रेखा से नीचे वाला परिवार जिसका गांव में एक कच्चा मकान है। थोड़ी सी जमीन है जिससे गुजारा होता है। क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं इस परिवार की आय कितनी होगी।
1. पिता और मां को वृद्धा पेंशन – 2000 ( एक- एक हजार कुल दो हजार)
2. पत्नी को मईंया सम्मान योजना – 2500 ( पच्चीस सौ )
3. राशन – प्रति व्यक्ति पांच किलो राशन – 25 किलो
कुल – 4500
इतनी सरकारी योजना फिर क्यों गरीब है परिवार
परिवार में पांच लोग बगैर काम किए 4500 सौ रूपए महीने हासिल कर रहे हैं। खाने के लिए राशन की व्यवस्था सरकार कर रही है। शिक्षा के लिए आंगन बाड़ी, उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन, पीएम और अबुआ आवास के तहत घऱ, शहर के लिए ग्राम गाड़ी, बिजली मुफ्त, विवाह सहायता योजना, जानवर पालने, खेती के लिए कई तरह की योजनाएं। आपको लगता है कि इतनी सरकारी योजनाओं के बावजूद भी गांव में गरीबी, भूखमरी जैसी चीजें होंगी और अगर है तो क्यों है।
गरीब राज्य है झारखंड
हमारा राज्य भी बहुत गरीब है लेकिन राज्य असल में क्या है। देश के कुल खनिजों का 40% राज्य में उपलब्ध है। राज्य खाना पकाने के कोयले, यूरेनियम और पाइराइट का एकमात्र उत्पादक है। यह भारत में कोयला, अभ्रक, कायनाइट और तांबे के उत्पादन में पहले स्थान पर है। राज्य में ऊर्जा, लौह, अलौह, उर्वरक, औद्योगिक, आग रोक, परमाणु, सामरिक, कीमती और अर्ध-कीमती खनिजों के संभावित भंडार हैं। राज्य 79,714 वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्र में फैला है जिसमें 29.61% वन क्षेत्र है और भारत के कुल खनिज संसाधनों का लगभग 40% हिस्सा इसके पास है। राज्य कोयला भंडार में पहला स्थान, लौह में दूसरा स्थान, तांबा अयस्क भंडार में तीसरा स्थान, बक्सूइट भंडार में 7वां स्थान रखता है और प्राइम कोकिंग कोल का एकमात्र उत्पादक है। वर्तमान में झारखंड राज्य सालाना 15,000 करोड़ रुपये के विभिन्न प्रकार के खनिजों का लगभग 160 मिलियन टन उत्पादन कर रहा है और लगभग 3,500 करोड़ रुपये का खनिज राजस्व उत्पन्न कर रहा है।
सरकार अगर मुफ्त योजनाओं के नाम की जगह असल में काम करे। अपने वादों को पूरा करे, घोषणा पत्र के कितने वादे पूरे हुए ? कितना काम हुआ उस आधार पर मतदान हो तब ही हालात बदल सकते हैं….
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