जिंदगी भी, बेरहम साहूकार है, नींद गिरवी लेकर, ख्वाब बेचती
है… ये लाइन पढ़ी तो लगा जैसे विक्की के लिए ही लिखी गयी हों…
है… ये लाइन पढ़ी तो लगा जैसे विक्की के लिए ही लिखी गयी हों…
इससे पहले कि मैं उसकी कहानी सुनाना शुरू करूं, आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं. आप
कितनी देर सोते हैं ?… जितनी देर भी सोते हों हमारे प्रधानमंत्री श्री
नरेंद्र मोदी से, तो कम ही सोते होंगे ना.. टीवी में, अखबारों में कई बार आपकी तरह
मैंने भी पढ़ा है कि साहब बहुत कम सोते हैं. इन खबरों को देखकर सोचता था कि कोई
होगा जो उनसे भी कम सोता होगा या अपने पीएम इकलौते मेहनती है
?
आप भी अगर मेरी तरह इस सवाल का जवाब ढूढ़ रहे हैं, तो बेवजह मेहनत मत कीजिये. मेरी
मेहनत ने आपके लिए भी जवाब ढूढ़ लिया है.
कितनी देर सोते हैं ?… जितनी देर भी सोते हों हमारे प्रधानमंत्री श्री
नरेंद्र मोदी से, तो कम ही सोते होंगे ना.. टीवी में, अखबारों में कई बार आपकी तरह
मैंने भी पढ़ा है कि साहब बहुत कम सोते हैं. इन खबरों को देखकर सोचता था कि कोई
होगा जो उनसे भी कम सोता होगा या अपने पीएम इकलौते मेहनती है
?
आप भी अगर मेरी तरह इस सवाल का जवाब ढूढ़ रहे हैं, तो बेवजह मेहनत मत कीजिये. मेरी
मेहनत ने आपके लिए भी जवाब ढूढ़ लिया है.
पीएम मोदी को टक्कर देने वाले इस लड़के का नाम विक्की
कुमार है. दिल्ली, मुंबई में नहीं अपने ही शहर रांची में रहते हैं. अब मैंने पीएम
मोदी से ज्यादा मेहनती का नाम, तो आपको बता दिया लेकिन अब आप सोच रहे होंगे, पीएम
मोदी को नींद के मामले में टक्कर देने वाला ये है कौन ? तो
साहब सिर्फ नींद के मामले में नहीं काम के मामले में भी विक्की पीएम मोदी से कम नहीं
है. अगर पीएम 20 हैं, तो विक्की को मैं 21 या 22 तो मानता ही हूं..
कुमार है. दिल्ली, मुंबई में नहीं अपने ही शहर रांची में रहते हैं. अब मैंने पीएम
मोदी से ज्यादा मेहनती का नाम, तो आपको बता दिया लेकिन अब आप सोच रहे होंगे, पीएम
मोदी को नींद के मामले में टक्कर देने वाला ये है कौन ? तो
साहब सिर्फ नींद के मामले में नहीं काम के मामले में भी विक्की पीएम मोदी से कम नहीं
है. अगर पीएम 20 हैं, तो विक्की को मैं 21 या 22 तो मानता ही हूं..
अब तो विक्की को जानने की आपकी इच्छा और तेज हो रही होगी.. आप सोच रहे होंगे पीएम मोदी से सीधी तुलना क्यों? ये समझ लीजिए कि हम उन बच्चों में हैं, जो कभी छोटे उदाहरण से नहीं समझे और यह बात हमारे मास्टसाब भी समझ गये थे, इसलिए हमेशा बड़े लोगों के उदाहरण से ही पाठ समझाते थे. अब हम ऐसे हैं, तो आपको भी वैसे ही समझायेंगे ना. वैसे भी आजकल कहां पीएम मोदी से बड़ा कोई है इस धरती में. इससे पहले की आप विक्की को जानें उसकी उम्र जानिये विक्की सिर्फ 14 साल के हैं और श्री पीएम
मोदी जी कि उम्र 67 साल है.
मोदी जी कि उम्र 67 साल है.
अगर कोई 14 साल का बच्चा 67 वाले को टक्कर दे, तो
लड़के में बात तो होगी है ना.. अब काम की तुलना कर लेते हैं, पीएम पूरा देश संभाल रहे
हैं और विक्की अपनी चाय का ठेला. ठीक उसी तरह जिस तरह पीएम मोदी ने संभाला था.
पीएम मोदी के साथ उनके पिता थे पर यहां विक्की रात के वक्त अपने पिता के बगैर होता
है, हां उसका बड़ा भाई साथ जरूर होता है. पीएम चाय बेचकर बड़े हुए, विक्की भी उसी तरह
चाय बेचकर बड़ा हो रहा है.
लड़के में बात तो होगी है ना.. अब काम की तुलना कर लेते हैं, पीएम पूरा देश संभाल रहे
हैं और विक्की अपनी चाय का ठेला. ठीक उसी तरह जिस तरह पीएम मोदी ने संभाला था.
पीएम मोदी के साथ उनके पिता थे पर यहां विक्की रात के वक्त अपने पिता के बगैर होता
है, हां उसका बड़ा भाई साथ जरूर होता है. पीएम चाय बेचकर बड़े हुए, विक्की भी उसी तरह
चाय बेचकर बड़ा हो रहा है.
उसकी दिनचर्या सुनेंगे, तो हैरान रह जायेंगे..! सुबह
6 बजे उठकर विक्की स्कूल के लिए तैयार होता है. 2 बजे स्कूल से लौटकर रांची के मोरहाबादी
में अपने चाय के ठेले पर पहुंचता है. रात के 10 बजे ठेला मेन रोड फिरायालाल के सामने
ले जाता है. सुबह
के 3 बजे तक ठेला वहां रखता है. वापस घर आकर मुश्किल से दो या तीन घंटे की नींद लेता
है, फिर तैयार होकर स्कूल. लगभग चार सालों से विक्की की यही दिनचर्या है. कभी उसकी
मेहनत और इतनी थकान के बाद भी उसकी कातिल मुस्कान देखनी हो, तो मोरहाबादी में
गांधी प्रतिमा से आगे उसकी चाय दुकान है आइये…
6 बजे उठकर विक्की स्कूल के लिए तैयार होता है. 2 बजे स्कूल से लौटकर रांची के मोरहाबादी
में अपने चाय के ठेले पर पहुंचता है. रात के 10 बजे ठेला मेन रोड फिरायालाल के सामने
ले जाता है. सुबह
के 3 बजे तक ठेला वहां रखता है. वापस घर आकर मुश्किल से दो या तीन घंटे की नींद लेता
है, फिर तैयार होकर स्कूल. लगभग चार सालों से विक्की की यही दिनचर्या है. कभी उसकी
मेहनत और इतनी थकान के बाद भी उसकी कातिल मुस्कान देखनी हो, तो मोरहाबादी में
गांधी प्रतिमा से आगे उसकी चाय दुकान है आइये…
कम परेशानियां नहीं झेली है इस परिवार ने
विक्की के पिता बंधन
महली, मां कांति देवी बड़ा भाई सूरज. मैं लगभग दो सालों से हर दिन का ग्राहक हूं.
पहले रात की शिफ्ट थी, तो दफ्तर से लौटते वक्त रात के 11 बजे विक्की की चाय के
बिना घर नहीं आता था. अब 6 बजे शाम को निकलता हूं, तब भी मोरहाबादी में उसकी दुकान में चाय पिये बगैर
नहीं आता.
महली, मां कांति देवी बड़ा भाई सूरज. मैं लगभग दो सालों से हर दिन का ग्राहक हूं.
पहले रात की शिफ्ट थी, तो दफ्तर से लौटते वक्त रात के 11 बजे विक्की की चाय के
बिना घर नहीं आता था. अब 6 बजे शाम को निकलता हूं, तब भी मोरहाबादी में उसकी दुकान में चाय पिये बगैर
नहीं आता.
मकई सेकते पिता बंधन महली |
पिछले छह महीने में इस परिवार ने खूब तकलीफें झेली है. बीच में
पुलिस के तंग करने की वजह से दोनों मेन रोड में दुकान नहीं लगा पा रहे थे. एक रात मोरहाबादी में दोनों भाई अपने ठेले में सो रहे थे,
एक अनियंत्रित कार ने उनके ठेले पर जोरदार टक्कर मारी.
पुलिस के तंग करने की वजह से दोनों मेन रोड में दुकान नहीं लगा पा रहे थे. एक रात मोरहाबादी में दोनों भाई अपने ठेले में सो रहे थे,
एक अनियंत्रित कार ने उनके ठेले पर जोरदार टक्कर मारी.
दोनों को मामूली चोटें आयी
लेकिन ठेला पूरी तरह टूट गया. ठेला टूटा लेकिन इनकी हिम्मत नहीं. सामने ही एक छोटी
सी जगह पर चाय बेचने लगे. कुछ ही दिन बीते थे कि फिर एक गाड़ी ने इनकी दुकान पर
टक्कर मार दी. इस बार भी किसी को गंभीर चोट नहीं आयी. कुछ दिन और बीते ही थे ऐसी
आंधी आयी की दुकान पर ही पेड़ गिर गया. एक के बाद एक इन हादसों के बाद भी इन्हें
हमेशा मुस्कुराते देखा, हां इन हादसों के वक्त मां की आंखों में कई बार आंसू देखे
लेकिन पिता बंधन और बेटे विक्की के चेहरे पर हमेशा मुस्कान देखी. सोचता हूं, जो इनसे
इतने दिनों में सीखा कौन सी किताब मुझे इतना सीखा सकती थी.
लेकिन ठेला पूरी तरह टूट गया. ठेला टूटा लेकिन इनकी हिम्मत नहीं. सामने ही एक छोटी
सी जगह पर चाय बेचने लगे. कुछ ही दिन बीते थे कि फिर एक गाड़ी ने इनकी दुकान पर
टक्कर मार दी. इस बार भी किसी को गंभीर चोट नहीं आयी. कुछ दिन और बीते ही थे ऐसी
आंधी आयी की दुकान पर ही पेड़ गिर गया. एक के बाद एक इन हादसों के बाद भी इन्हें
हमेशा मुस्कुराते देखा, हां इन हादसों के वक्त मां की आंखों में कई बार आंसू देखे
लेकिन पिता बंधन और बेटे विक्की के चेहरे पर हमेशा मुस्कान देखी. सोचता हूं, जो इनसे
इतने दिनों में सीखा कौन सी किताब मुझे इतना सीखा सकती थी.
परिवार धीरे –
धीरे खड़ा हुआ पुलिस ने परेशान करना कम किया, तो फिर ठेला लेकर मेन रोड जाने लगे
हैं. दोनों को कभी कभी जिंदगी के इन थपेड़ों के साथ पुलिस के डंडे भी खाने पड़ते
हैं. मोरहाबा्दी में 8 बजे के बाद दुकान चलाने पर डंडा, तो कभी मेन रोड में देर
रात तक दुकान खोलने के लिए डंडा. बड़ा
बेटा सूरज अब दुकान में कम वक्त देता है रेडिशन ब्लू में काम सीख रहा है और विक्की
अपनी चाय की दुकान में लगा है. कुछ दिनों पहले से मकई भी पकाकर बेचने लगा है. अब
भी रात के वक्त दोनों भाई मेन रोड में ठेला लगाते हैं.
धीरे खड़ा हुआ पुलिस ने परेशान करना कम किया, तो फिर ठेला लेकर मेन रोड जाने लगे
हैं. दोनों को कभी कभी जिंदगी के इन थपेड़ों के साथ पुलिस के डंडे भी खाने पड़ते
हैं. मोरहाबा्दी में 8 बजे के बाद दुकान चलाने पर डंडा, तो कभी मेन रोड में देर
रात तक दुकान खोलने के लिए डंडा. बड़ा
बेटा सूरज अब दुकान में कम वक्त देता है रेडिशन ब्लू में काम सीख रहा है और विक्की
अपनी चाय की दुकान में लगा है. कुछ दिनों पहले से मकई भी पकाकर बेचने लगा है. अब
भी रात के वक्त दोनों भाई मेन रोड में ठेला लगाते हैं.
कहां तक पढ़े है दोनों बच्चे
विक्की सातवीं क्लास में पढ़ रहा है. जबकि सूरज दसवीं के बाद
होटल मैनेजमेंट का काम सीख रहा है. विक्की
ने आज बातचीत में बताया, कभी स्कूल में टॉप टेन से बाहर नहीं रहा दूसरे या तीसरे
नंबर से भी नीचे कम ही रहा हूं. पहली बेंच पर बैठता हूं. नींद आती है, तो चेहरा धो
लेता हूं. स्कूल से लौट कर खाना खाता हूं और आधे घंटे में दुकान पर. इस नींद को बेचकर
उसके क्या सपने है ? यह जानने की कोशिश की, तो उसने जिंदगी की साहूकारी को
ही ठेंगा दिखाकर कहने लगा, मेरे सपने बड़े नहीं है अभी बस पढ़ना चाहता हूं.
होटल मैनेजमेंट का काम सीख रहा है. विक्की
ने आज बातचीत में बताया, कभी स्कूल में टॉप टेन से बाहर नहीं रहा दूसरे या तीसरे
नंबर से भी नीचे कम ही रहा हूं. पहली बेंच पर बैठता हूं. नींद आती है, तो चेहरा धो
लेता हूं. स्कूल से लौट कर खाना खाता हूं और आधे घंटे में दुकान पर. इस नींद को बेचकर
उसके क्या सपने है ? यह जानने की कोशिश की, तो उसने जिंदगी की साहूकारी को
ही ठेंगा दिखाकर कहने लगा, मेरे सपने बड़े नहीं है अभी बस पढ़ना चाहता हूं.
Leave a Reply