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नालायक बेटे ! जयंत सिन्हा ने किया हत्या के आरोपियों का स्वागत, दोषी हम भी कम नहीं…

गर आपके हाथ में मोबाइल है 


और व्हाट्सएप पर टिंग  से आये किसी भी मैसेज पर भरोसा करके उसे शेयर करने की आदत भी, तो आप उस भीड़ का हिस्सा हैं, जो 9 राज्यों में असम से लेकर तमिलनाडु तक पिछले 1 साल के दौरान 27 लोगों की पीट-पीटकर हत्या में शामिल रही है. मसलन आपके एक फरजी शेयर ने किसी के जान लेने के लिए कुछ लोगों को प्रेरित जरूर किया है.   

ये, तो हुई हम आम लोगो की बात नेताओं का क्या ? मॉब लिचिंग में मारे गये अलीमुद्दीनके आरोपियों का केंद्रीय मंत्री  जयंत सिन्हा ने माला पहनाकर स्वागत किया. आप जरा सोचिये यह स्वागत क्यों, क्या वह बरी होकर लौटे हैं. बेगुनाह साबित हो गये, उन्हें जबरन फंसाने की कोशिश हुई. बिल्कुल नहीं. जमानत पर रिहा हुए हैं केस चल रहा है. फिर, यह स्वागत किसलिये ? क्या राजनीतिक स्तर इतना गिर गया है कि वोट के लिए किसी भी हत्या को जायज ठहराया जा सकता है ?. क्या इसी कट्टर सोच के साथ राजनीति विकास के रास्ते पर चलेगी ?. कोर्ट फैसला करेगी इस मामले में आरोपी दोषी हैं या नहीं लेकिन जबतक मामला अदालत में हैं उन्हें सम्मान देने की इतनी जल्दी क्यों है ?

अलीमुद्दीन जिनकी हत्या कर दी गयी थी

मॉब लीचिंग के आरोपियों को हीरो कतई नहीं बनाया जा सकता क्योंकि इसमें सिर्फ किसी एक जाति, धर्म या संप्रदाय के लोग नहीं मरते. कोई साधू बच्चा चोरी के शक में भीड़ का शिकार होता है तो कोई अपने खाने पीने के तरीके को लेकर. राजनीति करने वाले लोग बैठकर यह आकड़ा निकालते रहे कि इतने राज्यों में हुई हत्या में कितने हिंदू और कितने मुसलमान मरे लेकिन भीड़ ने हत्या, तो इंसानो की कर दी. ज्यादातर मामलों में हत्या सिर्फ एक अफवाह के कारण हुई अफवाह फैलाने में सबसे अहम भूमिका निभायी उन लोगों ने जो फरजी मैसेज को सच मानकर शेयर कर देते हैं.
Earlier I was the Nalayak Baap of a Layak Beta. Now the roles are reversed. That is twitter. I do not approve of my son’s action. But I know even this will lead to further abuse. You can never win.

— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) July 7, 2018

इन मामलों में राजनीति भी कमाल की होती है. राष्ट्रीय स्तर पर छोड़िये इसे अपने राज्य यानि झारखंड के स्तर पर ही समझ लीजिए. जिस नेता ने आरोपियों का स्वागत माला पहनाकर स्वागत किया . उसके पिता ने अपने  बेटे को नालायक बता दिया. यह भी माना कि पहले मैं एक नालायक बाप था एक लायक बेटा का. अब रोल बदल गया है. पिता पहले भाजपा में थे. अब नहीं है बेटा भाजपा में है.
हमारा सबका अपना नजरिया है. कई लोग जो राजनीति करते हैं उन्हें किसी खास पार्टी से प्रेम है. किसी खास राजनेता से लगाव भी. भाजपा हो या कांग्रेस के समर्थक इस राजनीतिक प्रेम में इतने भी अंधे ना हों जाएं आंखे बंद कर देखने लगें, बगैर सोचे, परखे किसी बात को सच मान लें. हाथ में मोबाइल है दुनिया भर की जानकारियां है, दो मिनट लगता है व्हाट्सएप पर आये मैसेज की जांच करने में. अगर मैसेज की जांच करने का वक्त नहीं, तो हमें उस वायरल मैसेज को शेयर करने का भी अधिकार नहीं.
मैं रामगढ़ में हुई इस हत्या के बाद अलीमुद्दीन के घर गया था. सबसे बातचीत की थी.  यहां पढ़ें प्रभात खबर डॉट कॉम में उस वक्त की गयी ग्राउंड स्टोरी- यहां क्लिक कीजिए   

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