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नेतरहाट : एक चरवाहे की अधूरी प्रेम कहानी , अंतिम भाग

अबतक आपने पढ़ा- एक लड़का जिसके पिता का देहांत हो चुका है, गांव में अपनी मां के साथ रहता है. घर की जिम्मेदारियों ने उसे जल्दी बड़ा कर दिया है. गांव में उसका घर है मां अब चल नहीं सकती. बेटा जानवरों को चराने के लिए जंगल जाता है. किसी लड़की से प्रेम करता है और अपनी मां से भी उसे मिलाना चाहता है. आज भी वह जानवरों के साथ जंगल जा रहे है… पढ़ें आगे की कहानी... यहां  क्लिक कर पढ़ें पहला भाग

मैं वहीं खड़ा था और बुतरु मेरी आंखों से दूर जा रहा था. मैं उसके पीछे भागा, जानवरों को हांकता हुआ बुतरु जंगल के बीच एक खुले मैदान में पहुंच गया. एक घने पेड़ के नीचे मोटे तने के सहारे लुढ़क गया, सूरज की तरफ ऐसे देखा जैसे आज हम घड़ी की तरफ देखते हैं. मैं समझ रहा था कि इसे किसी का इंतजार है.  कमर से बांसूरी निकाली और बजाने लगा. आहहहह…. क्या तान थी. जंगल में सन्नाटे को ऐसे चीर रही थी जैसे किसी ने अचानक तीर निकाला हो और बगैर निशाना साधे सीधे आपके दिल में उतार दिया हो , जानवर चर रहे थे.  मैं उसके पास बैठा  बांसूरी की तान का आनंद ले रहा था. थोड़ी देर ही बिते थे कि घोड़े की टाप और हिनहिनाने की आवाज आने लगी. दूर मैदान की दूसरी छोर पर कोई काले घो़ड़े में चली आ रही है. सफेद रंग का लंबा गाऊन पहने, लाल रंग की बंडी में पिछे रंग के फूल, नीली आंखें भूरे बाल, गोरा चेहरे पर हल्की सी मुस्कान.

बुतरु ने बांसूरी बंद नहीं किया. वो उसके नजदीक आयी कुछ देर खड़ी रही.  आंखें बंद किये बांसूरी बजाते बुतरु को निहारती रही,  फिर उसके एकदम पास आकर बैठ गयी. बांसूरी की आवाज बंद हुई और बुतरु बोला,  आ गयी तुम. उसने हल्के से सिर हिलाया.. थोड़ी देर दोनों पता नहीं क्या बाते करते रहे लेकिन मैगनोलिया अंग्रेजी बोल रही थी और बुतरु अपनी भाषा लेकिन दोंनो एक दूसरे की बात इशारों से समझ रहे थे.

बहुत देर तक दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े बैठे रहे, मैं उन दोनों की बातचीत सुनना चाहता था. थोड़ा नजदीक गया ,तो देखा नीली आंखो में पानी था. मैगनोलिया अंग्रेजी में बुतरु को समझा  रही थी,  मेरे पिता को हमारे प्यार का पता चल गया है. वो मुझे वापस लंदन भेज देना चाहते हैं. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. वहां गयी तो भी तुम्हारे बांसूरी की आवाज मुझे यहां आने पर मजबूर कर देगी. मैं उन्हें कैसे समझाऊं कि तुमसे मिले बगैर महसूस करती हूं जैसे सांस नहीं ले पा रही .

कुछ देर दोनो चुप रहे. सूरज डूब रहा था.  मैगनोलिया अब जाने के लिए उठी ,तो घोड़ा भी हिनहिनाता हुआ खड़ा हो गया. जैसे ही मैगनोलिया घोड़ी की तरफ बढ़ी बुतरु ने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया.  मैगनोलिया बोली, तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी मैं यहीं रहूंगा हमेशा तुम्हारे साथ . बुतरु ने जैसे ही जानवरों को एक जगह जमा करने के लिए बांसूरी मूंह से  लगायी मैगनोलिया ने रोक लिया, अब मत बजाओ मैं जा नहीं पाऊंगी.  हम दोनों एक दूसरी की भाषा ठीक से नहीं समझते लेकिन ये बांसूरी मुझे तुम्हारे अंदर का दर्द समझा देती है, प्लीज आज मत बताओ. बुतरु समझा गया था, मैगनोलिया चली गयी. बुतरु के साथ मैं भी अब उसके घर जाने के लिए उठा ही था कि देखा लाल रंग का ड्रेस पहने कुछ लोग दूसरे रास्ते से आ रहे हैं……….

मैं चिल्ला रहा था . बुतरु को बोल रहा था भाग जा ,  ये लोग मार देंगे तुझे, दोड़कर कभी मैगनोलिया को रोकने की उसे बुलाने की कोशिश करता तो  कभी जोर जोर से आवाज देता. वो दूर चली गयी थी . पता नहीं क्यों एक बार भी उसने दूर से मुड़कर नहीं  देखा.  मैं जानवरों को हांक रहा था ताकि बुतरू उसके पीछे, तो भागे लेकिन वो वहीं खड़ा उन्हें अपनी तरफ आता देखता रहा . वो चार लोग थे बुतरु के नजदीक उतरे उनमें से एक उम्रदराज व्यक्ति आगे आया और बोला तुम्हें कितनी बार समझाया, कई बार मेरे लोग समझा कर गये तुम्हारी भाषा में समझा गये लेकिन तुम मेरी बेटी से मिलना बंद नहीं कर रहे.

बुतरु को स्थानीय भाषा में एक व्यक्ति ने मैगनोलिया के पिता की बात दोहरायी. बुतरु बोला मैं कभी आपकी बेटी से नहीं मिलता, हर बार नयी जगह जाता हूं जानवरों को चराने, पता नहीं कैसे वो मुझे ढुढ़ लेती है ये हमारे प्यार की ताकत है जो हमें जोड़े रखना चाहती है और आप हैं कि इतनी सी बात नहीं समझ रहे, बुतरु की इस बात को अंग्रेजी में बहुत कम शब्दों में उसने बस इतना उसके पिता को समझाया है मेरे प्यार करता हूं अलग नहीं हो सकता. लाल आंखों से पिता बुतरु को देखते रहे और बस अंग्रेजी का एक शब्द कहा, किल हिम .. नो , नो सर प्लीज ट्राई टू अंडरस्टैंड प्लीज डॉट किल हिम. उसके घर में एक बुढ़ी मां है जो चल नहीं सकती. इसका इंतजार करती है… ये जिंदा है तो वो जिंदा है आप एक जान नहीं दो दो जान ले लेंगे. मैं उन्हें समझा रहा था लेकिन वो घोड़े पर चढा और तेजी से चला गया.

दो लोगों ने बुतरु को कसके पकड़ लिया. बुतरु छुड़ाने की कोशिश करता रहा. मैं बुतरु की मदद करने की कोशिश में लगा था लेकिन मेरे हाथ उन्हें छू ही नहीं पा रहे थे. एक सिपाही ने चाकू निकाला ये वही था जो हिंदी और स्थानीय भाषा दोनो समझता था. मैंने उसके सामने हाथ जोड़े, मैंने उससे कहा तुम तो इसे जानते हो प्लीज मत मारो रूको. चाकू मारने से पहले उसने पूछा बोलो उससे मिलना बंद करोगे या नहीं. बुतरु चुप रहा और बांसूरी तरफ देखता रहा अचानक चाकू से उसके उसी सिने पर वार हुआ जहां मैगनोलिया ने अपनी जगह बनायी थी. बुतरु की सांसे उखड़ने लगी थी थोड़ी बहुत जान अभी भी बाकि थी लेकिन इनलोगों ने उसे खाई से नीचे फेंक दिया.

बुतरु के साथ मैं भी उस खाई से गिर रहा था लग रहा था जैसे मैं बुतरु के अंदर कहीं हूं उसकी आंखे बंद हो रही थी मां की आवाज उसके कानों में आ रही थी कि कब घर लेकर आ रहा हूं तू उसे, घोड़े के हिनहिनाने की आवाज आ रही थी गहरी खाई में बुतरु कहीं गुम हो गया और मैं वहीं खड़ा था बुतरु के जानवरों के पास. मैंने घोड़े के हिनहिनाने की आवाज सुनी देखा मैगनोलिया लौटी है बुतरु को ढ़ुड़ रही है मैं इस बार खड़ा रहा उसे कुछ नहीं बताया चुपचाप जानवरों को हांकता हुआ बुतरु के घर पहुंचा.

जानवरों को बांध नहीं सकता था इसलिए उन्हें बाहर छोड़कर अंदर गया तो देखा अबतक घर में दिया नहीं जला, अंधेरा है. मां बार – बार बुतरु को आवाज दे रही है बेटा कहां है रे अबतक, चारो तरफ सन्नाटा है.. धीरे – धीरे बुतरु के मां की आवाज बेटे को को पुकारने के लिए तेज हो रही थी रात का अंधेरा बढ़ रहा था बुतरु के मां की आवाज अब सिसकी में बदल गयी थी मैं उसके घर के बाहर खड़ा अपना सिर उसी की दिवार में टिकाये रो रहा था मैं सब सुन रहा था लेकिन मेरी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था .

काश उस घर में मैं अपनी कल्पना की अंदेरी दुनिया से एक दिया जला पाता, काश उसकी मां को बता पात कि बुतरु चला गया अब कभी वापस ना आने के लिए, काश बुतरु के मां की सिसकी और उसके बहते आंसू पोछ पाता…. काश मेरी कल्पना में इतनी ताकत होती.. काश…….




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