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होली की शुभकानाएं और होलिका मां की जय

सीधे सरल शब्दों में सबसे पहले  आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं.. मेरी शुभकामनाएं छोड़कर अब आप अपने व्हाट्सएप पर मिलने वाली शुभकामनाओं को याद करके बताइये,  एक ही मैसेज कई जगहों से कितने आये हैं.   बधाई देने की जल्दी में हम भी किसी एक मैसेज को चुनकर फारवर्ड कर देते हैं, करते रहते हैं. क्या कभी आपका भेजा मैसेज ही घूमकर आपके पास आया है. ऐसे में खुशी होती है या दुख.

जवाब है मेरे पास कॉपी पेस्ट है तो दुख है ना. दुख इसलिए नहीं कि आपने कॉपी पेस्ट किया दुख इसलिए कि आप पकड़े गये. सामने वाला समझ गया कि आपने उसके लिए खुद कुछ नहीं लिखा, जरा सोचिये, संपर्क के माध्यम बढ़ गये, अपनी बात कहने के कई तरीके हो गये लेकिन हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है. क्या सिर्फ होली की शुभकामनाएं खुद से लिख कर भेज देने में परेशानी है, थोड़ा फीका लगता है ना लेकिन अपनापन तो है.  किसी और के मैसेज को किसी और को चिपका देना मुझे वैसा ही लगता है जैसे किसी के बड़े प्यार से दिये हुए तोहफे को किसी दूसरे को दे देना. मैं दूध का धुला नहीं हूं भइया हाथ जोड़कर मान लेता हूं कि मैं भी मैसेज फारवर्ड करता हूं.



मैसेज फारवर्ड करने वक्त  होलिका मां का ध्यान रखें 

कल होलिका दहन के दिन रांची के कई इलाकों में घूम रहा था. जेल मोड़ के पास नगाड़े बज रहे थे, तो थोड़ी देर रूक गया. एक सज्जन इंस्टाग्राम से लाइव होना चाह रहे थे. थोड़ी मदद के बाद लाइव हुए. मैंने देखा वह सारे सोशल साइट पर मौजूद हैं. लाइव वीडियो मे ढोल बजाया, खूब चिखे, नारा लगाया.  जय होली मइया की… आने जाने वाले लोगों को भी जय होली मइया की नारा लगाने के लिए जिद करने लगे.  मेरी तरफ भी भांवें उछाल कर जिद कर रहे थे,  भइया आप हिंदू हैं , मैंने कहा, हां भाईसाब हूं . अरे तब नारा काहे नहीं लगा रहा है. लगाइये जय होली मइया की. मैंने पूछा भाई होलिका मां कौन हैं. अरे भइया आप तो कह रहे हैं हिंदू हैं, कइसा हिंदू हैं आप ? आपको होलिका मां का नहीं पता. वही हैं जिनके कारण होली मनाया जाता है.

तस्वीर पिछले साल के होली की है. होली दफ्तर में ही मनी थी.  

देखिये मैं बार- बार कह रहा हूं मैं भी कॉपी पेस्ट करता हूं, कई बार भेजने वाले का नाम भी रह जाता है लेकिन कॉपी पेस्ट की होड़ में क्या आप भी जय होलिका मां के नारा और तस्वीर साझा  कर देंगे ?. सोशल साइट में कई चीजें हम ऐसे ही शेयर कर देते हैं. बगैर जांचे, बगैर परखे कि सच्चाई कितनी है. कई बार पत्रकार, तो कभी नेता ऐसी चीजें शेयर कर देते हैं. पिछले दिनों एक सक्रिय  राजनेता जो अच्छे पद पर हैं. मुझे व्हाट्सएप पर एक वीडियो भेजा.  फलां जगह गंभीर दुर्घटना हो गयी है.  मैंने रिपोर्टर को फोन किया.  पता चला कि  कुछ महीने पुराना फुटेज है. उन्हें  फोन किया  जानकारी दी और बिन मांगे  सलाह भी दे डाली. जैसे उन्हें दी वैसे ही आपको दे रहा हूं. त्योहार के जश्न में संदेश छुपा होता है, जीत का, सच्चाई की जीत का . ऐसे दावों को जीतने मत दीजिए जो  हमें ही बांट दे… 

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