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Life Journey And journalism

माना कि कमजोर दिल है मेरा 

जिंदगी में कुछ अलग अनुभव हमें रोज होता पर कभी कभी कुछ अनुभव बड़ी सिख दे जाते
है . ऐसा ही कुछ अनुभव मुझे आज हूआ. मैं आज होटवार जेल एक दोस्त के पापा से मिलने
गया . दोस्त बहुत नजदीकी सबसे अजीज है . अपनों को तकलीफ में देखने का वो अनुभव
बहुत ही तकलीफ देह था. घर से होटवार तक का सफर तो यु ही बीत गया पर जैसे ही वहां
पहुंचा लोगों की भीड़ देखकर मन की हलचल अचानक शांत हो गयी . अब अंदर जाने के लिए
अपने दोस्त के साथ खड़ा था . वही पर खड़े पुलिसवाले ने पहले पूरी तरह जांच . 



फिर
कहा कि 10 ,20 दे दिजिए चाय पानी के लिए . वहां से बिना किसी दान के हम आगे बड़े दोस्त
अपने पापा के लिए खाने का कुछ सामान लेकर आया था . उसकी भी जांच की गयी अब जांच के
बाद पुलिसवालों ने क्रिमरोल का एक पैकट देखा और कहा इसे अंदर ले जाने की इजाजत
नहीं है. और अलग कर दिया तभी दूसरे पुलिसवाले ने कहा अरे ले जाने दिजिए . इतना
सामान चेक किया है चाय पानी का कुछ दो और ले जाओं, हमने सामान बैग में रखा और बिना
कुछ दिए अंदर चले गये. अब रसीद कटानी थी दोस्त के मामा अंदर गये और उन्होंने कहा
कि मैने इजाजत ले ली है चलो . अब हम पूरे सामान के साथ अंदर की ओर बढ़ने लगे .



 ये
मेरा पहला अनुभव था जब मै किसी से मिलने के लिए जेल में जा रहा था . अंदर जाकर मै
दंग रह गया एक बड़ा सा कमरा नुमा स्थान जहा दो दिवाल थे एक कैदियों की तरफ दो
दूसरा जो मिलने आया हो उसकी तरफ दोनों तरफ जाले लगे हुए थे . सब एक ही जगह खड़े
होकर हाल चाल पुछ रहे थे . कितनों की आखें नम थी तो कोई थोड़ी देर की खुशी में
पागल था . कोई अपने एक साल के बच्चे को लेकर अपने पिता से मिलाने लाया था. तो कोई
अपनी बेटी का सामना नहीं कर पा रहा था . ऐसा लग रहा था जैसे भावना से फैलें सैलाब
का गहरा संमुद्र हो .



हर किसी की अपनी कहानी कोई किस जुर्म में बंद है ये तो समझना
मुश्किल था. पर एक पल के लिए लगा इतना दर्द इनके लिए तो सबसे बड़ी सजा यही है कि
अपने एक साल के बच्चे को गोद नही ले पाना . अपनी रोती हुई बच्ची के आसु ना पोछ
पाना .

एक तरफ ये नजारा तो दूसरी ओर पुलिस वालो की घुसखोरी , सबका रेट फिक्स है अगर
आप पैसें भेजना चाहते है तो सौ रुपये पर दस रुपये कटेंगें सामान अंदर भेजना है तो
आपकी समझदारी के हिसाब से रेट तय होगा . आज दुख हुआ कि एक स्थान जहां जुर्म के लिए
सजा दी गयी है लोग अपनों से दूर होकर रो रहे है . उनकी तकलीफ का इस तरह से फायदा
उठाना दर्द पहुंचा गया .

कभी कभी कुछ लोगों को रोता
देखकर आसु झलक आयें आज महसुस हुआ कि  अनजान
का दर्द भी अपने दर्द जैसा ही होता है . कभी
कभी उस सोर में बिना कुछ कहे कुछ कैदी अपने परिवार वोलों
से बहुत कुछ कह जा रहे थे . परिवार वोलों का वही पूराना सा सवाल कैसे हो और उनका
जवाब ठिक हूं . 



उनकी आखें बहुत कुछ कह जाती है . जिस तरह से वो अपनों को देखते है
. आपको रुला देने के लिए काफी है. एक बेटी जो अपने पापा से मिलने तो आयी है पर
उनके सामने रोना नहीं चाहती . तो मिलती नहीं . ऐसे कई नजारे यहां देखने को मिल
जाते है . जो आखों में आसु ला ही देते है . दोस्त बोलते है कि मै बहुत कमजोर दिल
का हूं  पर अगर ऐसा नजारा देखकर भी लोग
हसते हुए बाहर निकलते है तो हां शायद मै कमजोर हूं ………

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