आज हर
न्युज चैनल पर एक ही खबर छाया है . दिल्ली
गैंगरेप पीड़िता की मौत की खबर . लोग इससे बदलाव की उम्मीद कर रहे है .पर यह
उम्मीद बस एक उम्मीद बन कर रह जाएंगी . बड़े बड़े नेताओं के बयान आ रहे हैं कोई
नया साल नहीं मना रहा तो कोई अपना जन्मदिन . इससे पहले उन्हें यह घटनाएं नजर नहीं
आयी या ये आंख वाले अंधे बन कर बैठे थे . अगर हमारे देश में सख्त कानून होता तो इन
मनचलों की इतनी साहस होती क्या . आज कानून में संशोधन की मांग जोरो पर है . जैसे
ही इंडिया टी-20 जीतेगा मसला शांत हो जाएंगा . देश सब भूल जाएगा हम नारे लगा सकते
है भुखे रह सकते है . पर कर कुछ नहीं सकते वाह रे लोकतंत्र यहा 18 साल का बच्चा
सरकार तो बना सकता है पर 18 करोड़ लोग मिलकर एक कानून नहीं हम तो तमाशा देखने वाले
है अगर शो पंसद नही आया तो विऱोध और अगर अच्छा लगा तो सड़क पर जश्न . नया साल आ
रहा है सब भुल कर नये साल में ड़िस्को जाएगे सब भुल जाएगे . कहते है तो बात
निकलेगी तो दूर तलक जाएगी ये दूरी जरा मैं भी देखु की कितने किमी की होती है. वो
13 दिनों तक मौत से लड़ती रही उम्मीद है लोग उसे 13 दिन तक तो याद रखेंगे उसके
लिये लड़ेगे
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