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प्यार में शर्त

                प्यार में शर्त 


मेरा एक मित्र प्रकाश पिछले कुछ दिनों से बहुत उदास है. हमारे साथ रहकर भी वो
आजकल कहीं और होता है. मैंने कितनी बार पुछा उससे यार बात क्या है पर कुछ बतता भी
नहीं मेशा उसकी नजरें फोन पर और गली के एक रास्ते पर होती थी मुझ समझते देर न लगी
की कहीं ना कहीं ये चक्कर इसकी महिला मित्र (गर्लफ्रेंड) को लेकर है. मैंने उसकी
दोस्त का नाम लेकर पूछा यार वो कैसी है उसने मुझे ऐसे देखा जैसे मैंने उससे उसकी
किडनी मांग ली कुछ देर तक वो मुझे देखता रहा फिर अचानक  उसके आंखों में आंसु आ गये. उसने कहा बस रख
दिया ना तुने दुखती रग पर हाथ.

मैंने कहा जब रख दिया तो बता कि दर्द का कारण क्या है उसने कहा पता नहीं यार
पिछले कुछ दिनों से वो(श्वेता) ना फोन उठा रही ना ठिक से बात कर रही है. मैंने
मिलने की कोशिश भी की पर वो घर से बाहर भी नहीं निकल रही है.उसके दोस्तों से बात
की तो वो कहते है श्वेता को भुल जाओ. क्या करूं.

मैंने कहा मैं कोशिश करता हूं क्या बात है जानने की मैंने उसकी दोस्त खुशबु से
बात की उसने कहा उसे कहो कि वो उसे भुल जाएं उसकी शादी हो रही है और वो इस रिश्ते
को आगे नहीं बढ़ाना चाहती. मैंने कहा कितना आसान होता है तुम लड़कियों के लिए नये रिश्ते
जोड़ना और पूराने रिश्तों को भुल जाना. वो बिना कुछ कहें चली गयी. शाम को मेरे
दोस्त ने फोन कर के पूछा क्या हुआ बात हुई तेरी मैं समझ नहीं पा रहा था क्या कहूं.


मैने कुछ देर में फोन करने की बात कह कर फोन रख दिया मैने श्वेता का फोन ट्राई
किया फोन लग गया मैंने कहा मुझे तुमसे बात करनी है हां बोलो प्रकाश से क्यूं बात
नहीं कर रही हो उसने कहा क्यूंकि मैं शादी कर रही हूं इतना कह कर उसने फोन कट कर
दिया.

दूसरे दिन मेरी मुलाकात प्रकाश से हुई मैंने उसे कहा यार श्वेता की शादी हो
रही है वो हसने लगा मैं चौक गया लगा कहीं ये पागल तो नहीं हो गया. थोड़ी देर के
बाद जब उसकी हंसी बंद हुई मैंने कहा साले मुझे बता तो सही बात क्या है कहता है यार
अजीब है जब हमारी मुलाकात हुई थी  और हमने
दोस्त बनने की सोची तो हम दोनों को लगा की हम एक दूसरे से प्यार करते है और मैंने
प्यार का इजहार किया पर मेरी शर्त थी कि हम शादी नहीं करेगें उसने कहा ठिक है

पर मुझे नहीं पता थी कि इन कुछ दिनों मैं उसके इतने करीब हो जाऊंगा कि उसके
सिवा मैं किसी और के साथ जिंदगी नहीं बिता पाऊंगा. उसने मुझसे इतना प्यार किया मैं
उसके बगैर रह नहीं पा रहा शायद मेरे प्यार में कमी थी कि उसने एक बार ये भी नहीं
कहा कि मेरी शादी हो रही है.

मुझे समझ नहीं आया कि उसकी इस बात का मैं क्या जवाब दूं पर मुझे आज लगता है कि
श्वेता राजेश से इतना प्यार करती थी कि उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इतना कह
सकें कि मैं किसी और की होने जा रही हूं . राजेश आज भी उसे याद करता है शाम में
बिना उसका नाम लिया वो रह नहीं सकता आज भी उसकी नजरें फोन पर और उस गली में होती
है शायद आज भी वो श्वेता का इंतजार कर रहा है.            

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