यारी के दिन

में बांटे जाते थे.फुचके की दुकान पर पैसे देने के वक्त सभी बहाने बनाते थे.
याद आते हैं वो दिन जब क्लास से अलग अपनी अलग क्लास लगती
थी.अक्सर उस क्लास में
सपनों की बातें होती थी, याद आते हैं वो दिन जब दोस्त की टी-सर्ट अच्छी लगी तो उससे उसी
वक्त बदल लेते थे. बदले में शाम की चाय के
पैसे का वादा करते थे.
थी.अक्सर उस क्लास में
सपनों की बातें होती थी, याद आते हैं वो दिन जब दोस्त की टी-सर्ट अच्छी लगी तो उससे उसी
वक्त बदल लेते थे. बदले में शाम की चाय के
पैसे का वादा करते थे.
याद आते हैं वो दिन जब चाय की दुकान पर ही देश का हाल बताते
थे. गंभीर मुद्दो पर देश को रास्ता दिखाते थे. याद आते हैं वो दिन जब हम सभी साथ हंसते थे. हर पल साथ रहने
का वादा करते थे.
थे. गंभीर मुद्दो पर देश को रास्ता दिखाते थे. याद आते हैं वो दिन जब हम सभी साथ हंसते थे. हर पल साथ रहने
का वादा करते थे.
आज सभी दोस्त आसपास हैं पर साथ नहीं. अब हम सभी अकेले हंसते हैं , छुप कर रोते हैं , बदाम के
तरह अब कुछ शेयर नहीं करते. वो सपने कहीं खो
गये जो अपनी क्लास में देखे थे .महीनों नहीं मिलते कुछ रास्ते में दिख गये तो एक छोटी
सी मुस्कान देकर चले जाते हैं. शायद मैं ही बदलने में वक्त लेता हूं . शुक्रिया
दोस्तों जिंदगी की इस नयी सीख के लिए .
तरह अब कुछ शेयर नहीं करते. वो सपने कहीं खो
गये जो अपनी क्लास में देखे थे .महीनों नहीं मिलते कुछ रास्ते में दिख गये तो एक छोटी
सी मुस्कान देकर चले जाते हैं. शायद मैं ही बदलने में वक्त लेता हूं . शुक्रिया
दोस्तों जिंदगी की इस नयी सीख के लिए .
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