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आखिर कैसे जीत गयी आम आदमी पार्टी ?

मुझे भारी भरकम शब्दों में अपनी बात कहनी आती नहीं लेकिन अरविंद केजरीवाल और आदमी आदमी पार्टी की जीत पर कुछ जरूर कहना चाहूंगा. हमारे गांव में एक कहावत बड़ी मशहूर है “हसले घर बसता है”( जिस पर लोग हंसते हैं वही एक दिन बड़ा मुकाम हासिल करता है) आम आदमी का जन्म ही मजाक और कम आंके जाने से हुआ. एक आंदोलन को विफल कराने की कोशिश  बार बार की गयी. चुनौती दी गयी, राजनीतिक पार्टी बना लो और चुनाव लड़ लो मजाक उड़ाने के लहजे में कही गयी इन बातों को आंदोलन में शामिल कुछ लोगों ने गंभीरता से लिया और आज वही लोग दिल्लीवालों के दिलों में राज कर रहे हैं. 


अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह की राजनीति की शुरूआत की उसका भी खूब मजाक बनाया गया. नयी राजनीति ने ही युवाओं और लोगों को प्रेरित किया और शानदार बहुमत मिला. प्रधानमंत्री ने जिस पार्टी को जंगल जाने तक का फरमान सुना दिया था जनता के फरमान पर उन्ही लोगों को अपने आवास में मुस्कान के साथ फुलों को गुलदस्ता देकर स्वागत और बधाई देते हुए नजर आये. हम जैसे आम लोग जिनकी प्रतिभा और क्षमता को हमेशा कम करके आंका जाता है जिनका मजाक बनाया जाता है उन सभी लोगों के लिए आप की यह जीत एक उदाहरण है. जिनके बच्चों को राजनीति के दंगल में शामिल कर लिया गया. गौत्र तक को बदनाम करने की कोशिश की गयी. आज वही लोग उनके सामने नतमस्तक हैं और जीत की बधाई दे रहे हैं. 


इस तरह की शानदार जीत ऐसे ही थाली में सजकर आपके सामने नहीं आती इसके लिए दिन का चैन और रात की नींद दोनों आप ने कुर्बान कर दी. जी तोड़ मेहनत की. भले ही आम आदमी पार्टी चुनाव जीत गयी हो लेकिन इनकी चुनौतियां खत्म नहीं हुई अब तो इनका असल युद्ध शुरू हुआ है. जनता ने जितना विश्वास इन पर जताया है उन्हें उनके विश्वास पर खरा उतरना है. भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के बाद जीत का एक सिलसिला शुरू कर दिया था. पार्टी के नेताओं का विश्वास कब घमंड में बदल गया कुछ पता नहीं चला, लेकिन जीत के इस घमंड को दिल्ली की जनता ने तोड़ दिया. जीत की कोई गारंटी नहीं होती सच्ची मेहनत और लगन के साथ साफ दिल से की गयी कोशिश का भी बेहद महत्व है. 


राजनीति हमें बहुत कुछ सिखाती है एक पार्टी जिसके पास संगठन है ताकत है पैसा है उसे एक छोटी सी पार्टी ने जो लोकसभा चुनाव में 435 सीटों पर अपनी जमानत जब्त करा चुकी है उसने हरा दी. न धन से न बल से जीत होती है तो कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से. दिल्ली विधानसभा चुनाव ने मेरे अंदर भी एक नयी उर्जा का संचार किया है. शायद मेरी मेहनत में कोई कमी रह जाती है तभी तो रात को  सोते वक् अपनी कमियों का अहसास होता है. मेरे तरफ आपमें से कई लोग होंगे जिन्हें आज अपनी मेहनत कम लगती होगी एक बार पूरी सिद्दत से कोशिश करके तो देखिये फिर आपको जवाब मिलेगा कि आखिर कैसे जीत गयी आम आदमी पार्टी.  

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