गुरमेहर कौर सोशल मीडिया पर इन नाम की खूब चर्चा है. बड़े-
बड़े पत्रकार, खिलाड़ी, अभिनेता सब कुछ न कुछ कह रहे हैं. रामजस कॉलेज में एबीवीपी
के छात्रों द्वारा कार्यक्रम ना करने देने
का विरोध ठीक था, लेकिन मां की गाली, पत्थरबाजी का समर्थन शायद ही कोई करेगा. गाली गलौज, मारपीट धमकी अब लोकतंत्र का अहम हिस्सा है. लोकतंत्र में विरोध का हक
सबको है लेकिन रेप की धमकी और पिता की शहादत पर सवाल खड़े करने को शायद ही कोई
देशभक्ति कह दे. गुरमेहर एक राजनीतिक पार्टी और चंद भक्तों का विरोध झेल रही है.
कुछ लोग भले ही एक पार्टी या विचारधारा से इतर नहीं सोच पाते लेकिन जो सोचते हैं
उन्हें मां की गाली या रेप की धमकी देने का अधिकार कहां से मिलता है.
क्या किया है गुरमेहर ने
एबीवीपी के गाली गलौज और पत्थरबाजी के विरोध में एक लड़की खड़ी होकर बस इतना कह
रही है कि मैं एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से नहीं डरती… क्या एक लड़की खुलकर अपनी
बात नहीं कह सकती. एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने उसे दिखा दिया कि रेप की धमकी, पिता
की शहादत पर सवाल खड़े करने पर भी नहीं डरोगी. डर बहुत कमाल की चीज है. जब भी हम
कहते है, नहीं डरते तो कुछ लोग अहसास कराने लगते हैं कि डर क्या है. निर्भया कांड
के बाद पूरा देश कैसे एकजुट हुआ था याद है. फिर आज इतने अलग – थलग
क्यों. क्या रेप की धमकी देना कम बड़ा अपराध हो गया.
शांति की बात करेंगे तो गाली दोगे
भारत- पाकिस्तान के बीच कई बार मुलाकातों से पहले भारत ने कहा, हम
शांति चाहते हैं. आखिर इस बयान में गलत क्या है. गुरमोहर ने अपने पिता को कारगिल
युद्ध में खो दिया. उस वक्त उनकी उम्र दो साल की थी. जिस वीडियो के एक क्लिप को
निकालकर बवाल मचाया जा रहा है. एक साल पहले गुरमेहर ने उसे पोस्ट किया था. उसमें ऐसे 36 बोर्ड रखकर
उन्होंने अपनी बात रखी है. उस पूरे
वीडियो की कहीं चर्चा नहीं है. उन्होंने इस वीडियो में बताया है कि कैसे पिता के
शहीद होने के बाद उन्हें मुसलमानों से नफरत हो गयी थी. गुरमेहर कैसे इससे बाहर
निकल पायीं इसकी कहानी है. सोशल मीडिया के इस दौर में लोग एक क्लिप काटकर बात की
धारा हीं दूसरी दिशा में मोड़ने की कोशिश कर देते हैं. कुछ लोग बगैर सच जाने उसमें
कमेंट करते हैं.
लिखने और बात कहने के लिए कितने आजाद है हम
सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखना मुश्किल है. खासकर किसी खास पार्टी, धर्म जाति या
समुदाय पर कोई बात लिख दी तो इनबॉक्स तक में गालियां पड़ती है. ये ऐसे लोग होते
हैं जो अपनी इमेज के कारण आपकी पोस्ट पर गालियां नहीं दे सकते. इमेज बचाने के
चक्कर में आपका इनबॉक्स एक बंद दरवाजा है जहां ये अपना असली रूप दिखाते हैं. किसी
एक पक्ष का पैरोकार होना अच्छी बात है लेकिन जो लोग सबको समान रूप से देखते हैं,
उन्हें तो निष्पक्ष रहने दीजिए.
डरना मत गुरमेहर
कुछ लोगों को तुम्हारी निडरता से डर है गुरमेहर, तुम डरना मत. बाकियों का नहीं पता
लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूं. तुम्हें अपनी बात खुलकर कहने की आजादी है. तुमने इस
पूरे विवाद से खुद को अलग कर दिया. तुमने कह दिया कि तुम अब अकेले रहना चाहती हो,
यही तो चाहते हैं. यह लोग की तुम पीछे हट जाओ. तुम्हारा मुकाबला किसी एक व्यक्ति
से नहीं है गुरमेहर, पूरी की पूरी टोली से है. यह ऐसे लोग है जिन्होंने देशभक्ति
का सर्टिफिकेट बांटने का ठेका ले रखा है और कुछ
कितने आजाद है हम
सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखना मुश्किल है. खासकर किसी खास पार्टी, धर्म जाति या
समुदाय पर कोई बात लिख दी तो इनबॉक्स तक में गालियां पड़ती है. ये ऐसे लोग होते
हैं जो अपनी इमेज के कारण आपकी पोस्ट पर गालियां नहीं दे सकते. इमेज बचाने के
चक्कर में आपका इनबॉक्स एक बंद दरवाजा है जहां ये अपना असली रूप दिखाते हैं. किसी
एक पक्ष का पैरोकार होना अच्छी बात है लेकिन जो लोग सबको समान रूप से देखते हैं,
उन्हें तो निष्पक्ष रहने दीजिए.
डरना मत गुरमेहर
कुछ लोगों को तुम्हारी निडरता से डर है गुरमेहर, तुम डरना मत. बाकियों का नहीं पता
लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूं. तुम्हें अपनी बात खुलकर कहने की आजादी है. तुमने इस
पूरे विवाद से खुद को अलग कर दिया. तुमने कह दिया कि तुम अब अकेले रहना चाहती हो,
यही तो चाहते हैं. यह लोग की तुम पीछे हट जाओ. तुम्हारा मुकाबला किसी एक व्यक्ति
से नहीं है गुरमेहर, पूरी की पूरी टोली से है. यह ऐसे लोग है जिन्होंने देशभक्ति
का सर्टिफिकेट बांटने का ठेका ले रखा है और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इन्हें दे
रखा है. भारत मां का हम भी सम्मान करते हैं लेकिन किसी की मां को गाली देकर नहीं,
सेना के साथ हम भी खड़े हैं लेकिन उनको मिलने वाले खराब खाने पर चुप्पी साध कर
नहीं, कश्मीर हम भी चाहते हैं लेकिन वहां के लोगों को प्लैट गन से मारकर नहीं,
जनगण मन पर हम भी खड़े होते हैं लेकिन
किसी के डर से नहीं. इन फरजी देशभक्तों की टोली बढ़ रही है. तुम डर गयी तो हम जैसे
लोगों के हौसलों का क्या होगा ?. डरना मत गुरमेहर
सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखना मुश्किल है. खासकर किसी खास पार्टी, धर्म जाति या
समुदाय पर कोई बात लिख दी तो इनबॉक्स तक में गालियां पड़ती है. ये ऐसे लोग होते
हैं जो अपनी इमेज के कारण आपकी पोस्ट पर गालियां नहीं दे सकते. इमेज बचाने के
चक्कर में आपका इनबॉक्स एक बंद दरवाजा है जहां ये अपना असली रूप दिखाते हैं. किसी
एक पक्ष का पैरोकार होना अच्छी बात है लेकिन जो लोग सबको समान रूप से देखते हैं,
उन्हें तो निष्पक्ष रहने दीजिए.
कुछ लोगों को तुम्हारी निडरता से डर है गुरमेहर, तुम डरना मत. बाकियों का नहीं पता
लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूं. तुम्हें अपनी बात खुलकर कहने की आजादी है. तुमने इस
पूरे विवाद से खुद को अलग कर दिया. तुमने कह दिया कि तुम अब अकेले रहना चाहती हो,
यही तो चाहते हैं. यह लोग की तुम पीछे हट जाओ. तुम्हारा मुकाबला किसी एक व्यक्ति
से नहीं है गुरमेहर, पूरी की पूरी टोली से है. यह ऐसे लोग है जिन्होंने देशभक्ति
का सर्टिफिकेट बांटने का ठेका ले रखा है और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इन्हें दे
रखा है. भारत मां का हम भी सम्मान करते हैं लेकिन किसी की मां को गाली देकर नहीं,
सेना के साथ हम भी खड़े हैं लेकिन उनको मिलने वाले खराब खाने पर चुप्पी साध कर
नहीं, कश्मीर हम भी चाहते हैं लेकिन वहां के लोगों को प्लैट गन से मारकर नहीं,
जनगण मन पर हम भी खड़े होते हैं लेकिन
किसी के डर से नहीं. इन फरजी देशभक्तों की टोली बढ़ रही है. तुम डर गयी तो हम जैसे
लोगों के हौसलों का क्या होगा ?. डरना मत गुरमेहर
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