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सच झारखंड उड़ रहा है ! इस आंधी में कहीं आप न उड़ जाएं सीएम साहब

विरोध , आंदोलन, मांग और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन. लोकतंत्र में
हमें आजादी है कि हम सरकार की नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकते हैं.
अपनी जायज मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए अनशन कर सकते हैं. मैं दिल्ली गया
हूं, जंतर मंतर पर कई राज्यों से लोग केंद्र तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए इकट्ठा
होते हैं. कोई नर्मदा बचाने की गुहार लेकर पहुंचा है, तो कोई अलग राज्य की मांग लेकर
पहुंचा है, वन रैंक वन पेंशन की मांग हो या जनलोकपाल की, सब मांगे जंतर मंतर तक
पहुंचती हैं. 


पिछली सरकारें भी आंदोलन और विरोध अनसुने करती थी और नयी सरकार भी कर
रही है. सरकारें कहीं नहीं बदलती केंद्र सरकार और राज्य सरकार बहरेपन में एक जैसी है
,
जैसे दिल्ली में जंतर मंतर है
. वैसे ही हर राज्य में एक जगह होती है
जहां आंदोलनकारी और प्रदर्शनकारी सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए इकट्ठा होते
हैं. खासकर ये वैसी जगहें होती है जहां से सरकार तक आवाज पहुंच सके राजभवन,
मुख्यमंत्री आवास या विधानसभा.
 

झारखंड में राज्य
सरकार इस वक्त कई परेशानियों से जुझ रही है. लिट्टीपाड़ा का उपचुनाव हार चुकी
भारतीय जनता पार्टी शायद आकलन कर रही होगी, यूपी और अन्य राज्यों से चला भाजपा की जीत
का रथ, इस आदिवासी बहुल इलाकों में कैसे रूक गया. राज्य सरकार को भी इस विचार करना
चाहिए. राज्य में कभी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. पहली बार सबसे ज्यादा
सीटें भाजपा को मिली है. मुख्यमंत्री रघुवर दास को लोगों ने विश्वास के साथ चुना
है. इतने विश्वास और आकांक्षाओं के बाद जब उम्मीदें टूटती है तो परिणाम बुरा होता
है.

 आंखे खोलिये झारखंड उड़ रहा है, कहीं इस तेज आंधी में परखच्चे
ना उड़ जाएं

राज्य सरकारें अपने आसपास के विरोध और आंदोलन को कैसे देखती
हैं, उनतक आवाज कैसे पहुंचती है और कैसे फैसला होता है कि किस से बात करनी है या
किसे देखना तक नही. पिछले एक सप्ताह में प्रभात खबर फेसबुक लाइव के जरिये डेस्क से
बाहर निकलने का मौका मिला. फेसबुक लाइव में सबसे पहले हमने जो मुद्दा चुना वह
छात्रों से जुड़ा था. 

 

जेपीएससी हमेशा विवादों में रहा है. आजतक जितनी भी परीक्षाएं
हुई, सभी में उस पर आरोप लगे. छात्रों ने आरोप लगाया यहां के छात्रों को छोड़कर
बाहर के छात्रों को मौका दिया जा रहा है. हमने लाइव कार्यक्रम किया. सरकार तुरंत
जागी छात्रों के आक्रोश को समझा और कार्यक्रम खत्म होने के तुरंत बाद ही छात्रों
को मुख्यमंत्री ने बातचीत को न्यौता दिया.


दूसरा फेसबुक लाइव हुआ रांची विश्वविद्यालय के पी. जी
छात्रावास की हालत पर वीसी ने तुरंत छात्र नेता को फोन किया और नैक की टीम की
दुहाई देकर भरोसा दिया कि जल्द ही इस पर काम होगा.

जयपाल सिंह स्टेडियम और बारी पार्क की मुहिम पर हुआ प्रभात खबर फेसबुक लाइव, देखें वीडियो

तीसरा फेसबुक लाइव जयपाल सिंह स्टेडियम और बारी पार्क को बचाने
की मुहिम पर हुआ, इस मामले में सरकार गहरी नींद में है लेकिन इस आंदोलन को यहां के
व्यापारी और प्रभावशाली लोग चला रहे हैं. सरकार इस पर भी कुछ न कुछ जरूर करेगी.

असल में हमारा झारखंड कहां है?

राज्य सरकार को अपनी आंखे खोलकर आपसपास के आंदोलन और अंसतोष को
देखना चाहिए. ऐसे कई आंदोलन है जिसकी आवाज सरकार को सुननी चाहिए. किसी के फेसबुक
लाइव करने या दबाव डालने पर नहीं स्वत
: संज्ञान लेना चाहिए.  पिछले कई दिनों से कृषक मित्र मोहरबादी मैदान
में आंदोलन कर रहे हैं, यह पैसे वालों का आंदोलन नहीं है, इनके पास आप तक आवाज
पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाला कोई टीम नहीं है. 

अपनी मांगो
के लिए धरने पर बैठे हैं, कोई मीडिया वाला आ रहा है, तो आपके खिलाफ नारेबाजी करके
अपना रोष प्रकट कर रहे हैं. आपने ही तो वादा किया था. अब पुरा करने का वक्त है और
अगर आपके वादे में कोई तकनीकी पेंच है, तो मिलकर बात कर लीजिए. सरकारी योजनाओं को
किसानों तक पहुंचाने में इनकी अहम भूमिका है. फसल बीमा योजना , बीज वितरण जैसे कई
कामों को यही तो करते हैं. किसानों की हालत हम सभी जानते हैं. भले ही आपके राज्य
में किसानों ने कम आत्महत्या की हो लेकिन देश के दूसरे राज्यों के आकड़ों से कुछ
तो सबक लीजिए.

नीतियां बदले और काम करे सरकार

झारखंड में कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सरकार को तुरंत ध्यान
देना चाहिए. पुलिस बहाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिन छह राज्यों को कटघरे में
खड़ा किया है उनमें झारखंड भी शामिल है. एक तरफ बेरोजगार युवक घूम रहे हैं दूसरी
तरफ सुप्रीम कोर्ट रिक्त पदों को लेकर सवाल खड़े कर रहा है.  मोमेंटम झारखंड में राज्य सरकार की तरफ से एक
चेहरे को लेकर की गयी पोस्टरबाजी झारखंड के लोगों में चर्चा का विषय है. यकीन
मानिये मुख्यमंत्री जी इससे आपका प्रचार नहीं हुआ बल्कि आपकी छवि को नुकसान पहुंचा
है. 


हर चौक चौराहे पर आपका चेहरा भई हम सभी जानते हैं आप सीएम है , आपने ही
निवेशकों को बुलाया है फिर यह पोस्टरबाजी किसके लिए थी. आपके  नेता और अफसरों के बीच की दुरियां पहले ही अखबारों
की सुर्खियां बन गये हैं. आपको बैठकर सोचना चाहिए कि राज्य किस दिशा में जा रहा
है. क्या केंद्र सरकार की नीतियों को कॉपी पेस्ट करने से ही काम चल जायेगा या
राज्य के मिजाज और आबादी के आधार पर योजनाएं बनानी होगी. 


एनजीओ, निजी कंपनियों के
दम पर विकास का कितना रास्ता तय किया जा सकता है. क्या अफसरों के भरोसे और उनकी
नीतियों के दम पर राज्य विकास करेगा या जनप्रतिनिधि और आमलोगों को भी इसमें
भागीदारी निभानी होगी. हम आपके राज्य के निवासी है मैं भी एक आम मतदाता हूं. दुख
होता है जब अपने आसपास इतने विरोध और उम्मीदें टूटते हुए देखता हूं.    

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