का कानून और जंगल का कानून एक जैसा हो जाए तो..
जंगल में बड़े जानवरों को शिकार करने की आजादी है. शहर में भी यही होने लगे तो.. उन्नाव की घटना बताती है कि हमारा शहर भी अब जंगल में तब्दील हो रहा है. पीड़िता दो सालों से चीख- चीख कर अपने साथ हुए रेप के लिए न्याय की गुहार लगा रही है.
आज उसकी जान को ही खतरा है, पिता मर चुके हैं, चाचा की मौत हो चुकी है, मासी,चाची सब मारी जा चुकी हैं, छोटे चाचा जेल में हैं. मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वह शहर में भी इन ताकतवर जानवरों से बचने के उपाय बतायें.. मेरा शहर ही जंगल बन जाए और विधायक और बडे अधिकारी आपको अपना खुराक समझने लगें तो कैसे जिंदा रहा जाए ?
90 किलोमीटर तक उलटी दिशा से नंबर प्लेट पर कालिख पुता हुआ ट्रक आता है. ट्रक की टक्कर एक कार से हो जाती है जिसमें उन्नाव रेप की पीड़िता, वकील दो महिला रिश्तेदार जो इस केस की अहम गवाह थीं मारी गयीं. वकील और पीड़िता लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर हैं. मां चीख- चीख कर कह रही है कि यह दुर्घटना नहीं साजिश है….
विधायक सेंगर और ट्रक जिससे हादसा हुआ |
अब समझिये शहर कैसे जंगल बन रहा है
जंगल के कानून और शहर के कानून में फर्क है. शहर में छोटे और कमजोर व्यक्ति को जिंदा रहने और जीने का अधिकार है लेकिन जब यह अधिकार खत्म होने लगे तो क्या फर्क है शहर और जंगल में.
मामला अदालत पहुंचा तो शुरू हुआ मौत का सिलसिला
4 जून साल 2017 उत्तर प्रदेश के उन्नाव के माखी गांव में एक 17 साल की युवती के साथ विधायक गैंप रेप करते हैं. दुखी परिवारअपनी बच्ची को लेकर थाने पहुंचता है. पुलिस मामला दर्ज करने से इनकार कर देती है. परिवार सीधे मुख्यमंत्री के पास पहुंचता है, सुनवाई नहीं होती. परिवार अदालत का दरवाजा खटखटाता है. अदालत को दिये गये आवेदन में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम होता है. विधायक को जब पता चलता है कि मामला अदालत तक पहुंच गया है अपने चमचों के साथ विधायक पीड़िता के घर पहुंचता है, परिवार वालों को जान से मारने की धमकी देता है, मारता है, पीटता है.
पिता समेत तीन परिवार वालों की पहले ही हो चुकी है हत्या
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विधायक पीड़िता के पिता को उठा लेता है. पेड़ में बांधकर पिता की पिटाई की जाती है आंखे के नीचे से खून निकल रहा है, पीठ पर जख्म के निशान हैं, शरीर में कई जगह की चमड़ी निकल चुकी है, विधायक को लगता है कि पिता इलाज के लिए अस्पताल चला जायेगा, मामला खुल जायेगा, तो उस पर अवैध हथियार रखने का झूठा मुकदमा डाल दिया जाता है. रात भर उसकी पुलिस कस्टडी में पिटाई होती है. उसे मेडिकल के लिए जिला अस्पताल ले लाया जाता है 3 अप्रैल की शाम को पिता स्वस्थ बताकर दोबारा पुलिस कस्टडी में भेज दिया जाता है, दूसरे दिन यानि 4 अप्रैल को पिता की मौत जेल के भीतर हो जाती है.
पिता से जबरदस्ती 16 पन्नों पर अंगूठा लगवाया जाता है. इस अंगूठे के निशान में भी स्याही कम और लहू ज्यादा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर में 18 जगह गंभीर चोट होने की बात सामने आयी कांधे की हड्डी टूटी मिली,पीठ पर जख्म, खून के धब्बे हैं शरीर में. इस बीच दो चश्मदीदों की मौत और हो जाती है. अबतक इस मामले से जुड़े तीन लोगों की मौत हो जाती है. पिता की हत्या हो चुकी, पिता के बड़े भाई की हत्या हो चुकी है. छोटे वाले चाचा जेल में हैं उन पर भी झूठा मुकदमा करके उन्हें फंसा दिया गया है.
मुख्यमंत्री, बड़े अधिकारी को लिखा था ,पिता मर जायेंगे
इस बीच पीड़िता न्याय के लिए दर – दर भटकती है लेकिन जंगल के कानून में सबकी सबसे ताकतवर की चलती है, यहां भी वही हो रहा है. 3 अप्रैल 2018 को अदालत में केस आया उसी दिन पिता को विधायक पेड़ में बांधकर पीट रहे थे पीड़िता की मां ने पुलिस अधिक्षक उन्नाव से मिलने की पूरी कोशिश की लेकिन जब नहीं मिले तो उनतक एक पत्र पहुंचा दिया गया, जिसमें जिक्र था कि कैसे विधायक पीड़िता के पिता को पीट रहे हैं, झूठे केस में फंसा रहे हैं उनकी हत्या कर सकते हैं. इस बीच पीड़िता को लगातार धमकी दी जा रही थी. मुख्यमंत्री के पास भी लगातार गुहार लगायी जा रही थी कि पिता मर जायेंगे.
इतना ताकतवर क्यों है विधायक ?
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर साल 2002 में बसपा में शामिल होते हैं. इसी टिकट पर बीएसपी उन्नाव सदर से चुनाव जीत जाती है. 2007 में सेंगर बसपा छोड़ समाजवादी पार्टी में आ गया, वह बंगरमऊ से चुनाव लड़ता है जीतता है, 2012 में भगवंत नगर से चुनाव लड़ता है जीत जाता है. दस साल सपा के साथ रहने के बाद वह भाजपा में आता है वह बंगरमऊ से दोबारा चुनाव जीत जाता है. चार चुनाव लगातार जीतने वाला विधायक जो तीन अलग- अलग जगह से चुनाव लड़ा तीन बड़ी पार्टियों में रहा ताकतवर होगा, इतना ताकतवर कि वह पार्टी से भी बड़ा हो गया. ये ताकत होती है नेता की, जिसके आगे सब नतमस्तक हैं.
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