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जाओ अब आखिरी सलाम तुम्हें …

जाओ अब आखिरी सलाम तुम्हें, तुम भूल गये

जिंदगी बहुत कुछ देती है, तो  कुछ ले भी लेती है
अगर हंसाती तो कभी रुला भी देती है
जिंदगी है, तो सारी खुशियां है, गम हैं 
बताओ ना ऐसी भी क्या नाराजगी थी 
तुम कैसे भूल गये कि तुम्हारा हर दर्द सुनने के लिए हम हैं
जाओ अब आखिरी सलाम तुम्हें, तुम भूल गये
तुमसे ही तो सीखते थे कि मेहनत रंग लाती है
मेहनत में दम हो तो आसमां भी बाहें खोलकर बुलाती हैं 
दौलत, शोहरत, इज्जत , प्रेम , परिवार सब तो था तुम्हारे पास
 हम थे एक  बार ही सही कर लेते हम पर भी विश्वास 
दर्द था, तो कह देते कि तुम्हारी आंखे क्यों नम हैं 
तुम कैसे भूल गये कि तुम्हारा हर दर्द सुनने के लिए हम हैं
जाओ अब आखिरी सलाम तुम्हें, तुम भूल गये
तुम छिछोरे बनकर भी हम सभी छिछोरे दोस्तों के अपने थे
सच कहूं, तो अपने सपने भी कुछ तुम जैसे थे
आत्महत्या गलत है ,तुमने ही तो बताया था, 
लड़ना है जिंदगी में, जीतना है यही तो सिखाया था 
तुम खुद यूं हार गये इसी बात का गम है  
तुम कैसे भूल गये कि तुम्हारा हर दर्द सुनने के लिए हम हैं
जाओ अब आखिरी सलाम तुम्हें, पर नाराज रहेंगे हमेशा,ये बता दें तुम्हें
तुम अकेले नहीं हारे, हम भी हारे हैं तुम्हारे साथ 
स्टेज पर खड़े होकर जो तुम कहते थे उस पर अब हमें जरा भी नहीं रहा विश्वास 
माना भीड़ थी तुम्हारे शहर में पर कुछ तो होंगे जो तुम्हारे लिए अहम हैं 
तुम कैसे भूल गये कि तुम्हारा हर दर्द सुनने के लिए हम हैं
(मैं सुशांत सिंह राजपूत से जो कहना चाहता था )
 

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