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राम भरोसे जयराम की पार्टी -कितना डालेगी विधानसभा चुनाव पर असर

जयराम महतो 

झारखंडी भाषा संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) कितनी मजबूत है। आना वाला विधानसभा चुनाव पार्टी लड़ेगी या किसी एक व्यक्ति के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा।  अब आप कहेंगे पार्टी का कोई एक चेहरा तो होता ही है, भाजपा में मोदी, कांग्रेस में राहुल, जेएमएम में हेमंत… बात सही है  फिर राजनीति उसी पुराने रास्ते पर है दोस्त… ये मत कहना कि हम कुछ अलग करने आए हैं। पुराने रास्ते पर चलकर नई मंजिल हासिल नहीं होती। ये तो बात रही चेहरे की अब जेबीकेएसएस को थोड़ा और समझते हैं। 

मजबूत कितनी है

कहा जाता है  संघे शक्तिः कलौ युगे । ‘कलियुग में शक्ति संगठन में होती है। संगठन कितना मजबूत है ? पार्टी के अंदर ही विरोध की कई आवाजें हैं जो अब तक सुनी नहीं गई। संगठन बनता है अनुशासन से, नीति से यहां ना नीति नजर आती है ना अनुशासन। पार्टी का सबसे मजबूत चेहरा जयराम महतो ही खुलकर मीडिया के सामने कहते हैं, पार्टी के अंदर ही कुछ लोग हैं जो उन्हें धोखा दे रहे हैं। यह बात मीडिया में कहने वाली नहीं है, आपके घर की आपके संगठन की बात है। अंदर कहिए जो धोखेबाज हैं उन्हें हटाइए, पार्टी के अंदर संदेश दीजिए कि साथ चलने की शर्त क्या है। 

पैसा बांटता है

संगठन को मजबूत करती है पारदर्शिता। पार्टी के कई नेताओं ने चंदा जमा किया। चुनाव लड़ने के नाम पर कई उम्मीदवारों को फंडिग हुई। कहीं विरोधियों ने फंड दिया, कही राज्य की नई राजनीतिक दिशा की उम्मीद रखने वालों ने फंड दिया, कॉरपोरेट कंपनियों ने फंडिंग की और तो और आम लोगों ने लिफाफे में, हाथ में पैसा  थमा दिया। इस भरोसे का अर्थ है कि आप खर्च का हिसाब दें। कहां कितना खर्च हुआ, कितना है, आने वाले समय में कितने की जरूरत है लेकिन यह पारदर्शिता दिखती नहीं है। जयराम फंड के सवाल पर कहते हैं अभी व्यस्त हैं समय नहीं है, जैसे ही समय मिलता है हम सोशल मीडिया पर सारा हिसाब देंगे। माफ कीजिए जयराम भाई समय मिलता है, क्या यह आपकी प्राथमिकता में नहीं है। जनता को हिसाब देने से भी ज्यादा जरूरी है कुछ.. खैर आप नेता आदमी है आप ज्यादा समझते हैं लेकिन मेरे विचार से बात समय की नहीं नियत की है। 

राजनीति में कितना दम 

आप एक जाति विशेष से आते हैं। आप अकेले नहीं है, इस जाति  से कई दिग्गज नेता पहले से राजनीतिक मैदान में है और आप इस खेल के नए खिलाड़ी है। मैंने  चुनाव कवर करते वक्त देखा है कि जनता का विश्वास जीतना जितना मुश्किल है उससे ज्यादा मुश्किल है उस विश्वास पर कायम रहना। सबकुछ एक रात में खत्म हो जाता है चाहे इसे हासिल करने में कई रातों की नींद लगी हो। चुनाव की हार जीत केवल एक व्यक्ति पर नहीं संगठन पर निर्भर करती है। एक काबिल व्यक्ति हमेशा अपने साथ खड़े लोगों की काबिलियत पर भरोसा करता है, उन्हें अवसर देता है। सेकेंड लाइन लीडरशीप आपके पास है ही नहीं। अब आप ईश्वर तो है नहीं कि राज्य की सभी सीटों पर चुनाव प्रचार कर सकेंगे, आपकी पार्टी में आपके बाद कौन है जिसे सुनने, देखने लोग पहुंचेंगे। अगर फोकस शिफ्ट होने, किसी और के मजबूत होने का डर ना हो और खुद पर भरोसा हो तो अपने अलावा दूसरों को भी कार की छत पर खड़े हो कर बोलने का अवसर दीजिए तभी पार्टी मजबूत होगी। 

आखिरी बात

मुझे नहीं लगता कि पार्टी इतनी मजबूत है कि विधानसभा चुनाव पर कोई खास असर डाल पाएगी। अभी से जयराम कह रहे हैं कि दूसरी पार्टियों से बड़े – बड़े ऑफर हैं फिर आप कह रहे हैं हम चुनाव से पहले किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। इसका अर्थ क्या है चुनाव के बाद करेंगे फिर किसके साथ गठबंधन होगी या आप इतने परिपक्व राजनीतिज्ञ हो गए हैं कि अवसर के आधार पर फैसला लेंगे। अगर कांग्रेस- भाजपा किसी के साथ भी गठबंधन करेंगे तो चुनाव प्रचार में किसके खिलाफ बोलेंगे। अगर जिनके खिलाफ बोलकर जीते और वही पार्टी सत्ता में जीत कर आ गई तो आप उनके साथ किस राजनीतिक सुचिता के तहत गठबंधन करेंगे। 

दादा एक बात आउर झारखंड में एगो खाली खोरठा भाषा नाई लागऊ,  झारखंड में 16 भाषा ओं को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।  मेरा इलाका सादरी वाला है तो दादा सादरी में कहो थो… चुनाव खाली पइसा से नी लड़के पारबे, संगठन मजबूत नी रही हल जे ऑफर तोके आव थे नी सउब हवा होई जाई.. मोय चाहो ना कि युवा शादी मन आगे आवय चुनाव लड़ें लेकिन इहां घाघ मन बइठल आहें कोने बट से कमजोर रहले हल तोय गिनतियों में नी आबे…

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