मेरी क्या गलती थी जो ये सब झेल रहे हैं. कभी – कभी सोचते हैं कि जरूर कुछ गलत किये होंगे कि यह सब झेलना पड़ रहा है लेकिन मेरे साथ इतने लोग हैं जो अच्छे हैं उन्होंने क्या गलत किया है…. घर से फोन आता है तो बता नहीं पाते हैं कि कैसे हैं- अपने दोस्त से फोन पर ये बातें साझा करते हुए गुमला से आये सहायक पुलिस के जवान की आंखों में आंसू थे..
इस आंदोलन की कहानी के जरिये आप सफर कर पायेंगे इन आंकड़ों तक और शायद इस कहानी के जरिये आप पूरे मामले की गंभीरता को समझ सकें और उस सवाल को भी जिसका जवाब आपको देना है.
झारखंड सरकार ने साल 2017 में 2500 सहायक पुलिस की भर्ती की थी. उद्देश्य था नक्सल प्रभावित राज्यों को उग्रवाद से बाहर निकालना. नियुक्ति दो वर्ष के अनुबंध पर हुई थी, लेकिन इसमें यह प्रावधान था कि दो वर्ष के बाद इन्हें प्रदर्शन के आधार पर झारखंड पुलिस में स्थायी कर दिया जाएगा. इस बात की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में भी की थी.
सवाल- तो क्या स्थायी नियुक्ति हुई ?
जवाब – बिल्कुल नहीं…
सरकार किस हालत में है, नौकरी दे सकती है ?
सरकार नौकरी देने की स्थिति में है नहीं लेकिन क्या इस राज्य का युवा मुख्यमंत्री इस स्थिति में भी नहीं है कि अपने घर से थोड़ी दूरी पर या यूं कह दूं की दहलीज पर पड़े इन सहायक पुलिस जवानों को सहारा दे सकें, उनसे एक बार मिलकर अपने राज्य की हालत बता सकें….
राज्य किस हालत में है, स्थिति क्या है
झारखंड सरकार केंद्र पर आरोप लगाते हुए कह रही है हमारा 2481.11 करोड़ जीएसटी का बकाया है. 65000 करोड़ सेल और कोल सेक्टर पर और सेस मद में 24000 करोड़ बकाया है. कुल एक लाख करोड़ केंद्र पर बकाया है, पर ये राशि नहीं मिल रही.
केंद्र पैसा क्यों नहीं दे रहा परेशानी क्या है.
अब आप पहुंच गये हैं असल समस्या है. आप खबरों में निजीकरण की खबरें पढ़ रहे हैं. देश की जीडीपी 23.9 फीसद नीचे है. स्थिति की गंभीरता को समझना है तो इतना समझिये की केंद्र औऱ राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन मुश्किल से दे पा रही है.
कई नौकरियां निकाली गयी उसका क्या हुआ
सरकार ने जो नौकरियों के लिए आवेदन निकाले उससे उन्होंने एक हजार करोड़ रुपये कमा लिये. आर आर बी ( रेलवे रिक्रुटमेंट बोर्ड के जरिये वेंकेसी आयी
2016 से लेकर अबतक कई वेंकेसी निकाली गयी कितनों में नौकरी मिली ? एक में भी नहीं
विभिन्न स्त्रोत्र से आवेदन निकाले गये उनकी स्थिति समझिये
10 वीं पास के लिए – 15988
12वीं पास के लिए – 33842
ग्रेजुएट के लिए – 63833
डिप्लोमा/ पीजी -96953
बीटेक और दूसरे प्रोफेसनल कोर्स के लिए- 10503
सैलरी 13 हजार से लेकर 1 लाख तक
मैंने कहा था आपके लिए भी सवाल हैं, जरा पता कीजिए किसे- किसे नौकरी मिली है .
मेरे कई दोस्त मेरे साथ ग्रेजुएट हुए और आज भी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. कारण समझना चाहते हैं चलिए एसएससी से समझते हैं
2011 में ग्रेजुएट हुआ
2012 में पद के लिए नोटिफिकेशन आ गया, परीक्षा दे दी
2013 में पहली परीक्षा का रिजल्ट आया औऱ दूसरी परीक्षा हुई
2014- में परीक्षा का रिजल्ट आ गया पास हो गया
इसके बाद मेडिकल में , उसके हाथ तक नियुक्ति पत्र पहुंचने में कितना समय लगेगा पता नहीं लेकिन 2011 से लेकर 2014 तक का समय उसने एक परीक्षा में बर्बाद कर दिया, वैसे आपको बता दूं कि 2017 की नियुक्ति अभी तक नहीं हुई है. आंकड़े कहते हैं, एसएससी जितनी नौकरी निकालती है उसका 12 फीसद ही दे पाती है.
2016 में देशभर में 2 करोड़ 71 लाख लोगों ने बीए में एडमिशन लिया था देश में 11 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जिनके पास काम नहीं है. माइनिंगस मेंनेटेनेंस, इलेक्ट्रीसिटी, वाटर सप्लाई. कंस्ट्रक्शन सब घाटे में है.
फायदा कहां है?
एग्रीकल्चर में कारण क्या है यही एक वर्ग है जो सरकार पर निर्भर नहीं है.
नौकरी का संकट
अब केंद्र से राज्य लौटे, पंचायत सचिव, पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, दरोगा नियुक्ति, सहायक पुलिस ऐसे कई आंदोलन इस झारखंड ने देखे है. पुलिस को लाठियां भाजते देखा है. पारा शिक्षक पिटे गये, आंगनबाड़ी सेविकाएं पिटी गयी और अब एक वर्दीधारक ने दूसरे वर्दीवाले को पिटा है सहायक पुलिस में काम करने वाले लड़कों के गांव में पोस्टरबाजी शुरू है. नक्सली कह रहे हैं. हमारे साथ आ जाओ..
आंदोलन में शामिल एक युवक ने कहा, .मुझे नहीं चाहिए नौकरी रखिये अपने पास. वर्दी यहीं पर आग लगाकर जंगल वापस लौट जायेंगे वहीं से आये थे वहीं जायेंगे.
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