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Justice is Due :डिवोर्स के लिए 10 केस, 120 तारीख, 40 बार की पेशी और सजा मौत

पत्नी पति पर डिवोर्स और गुजारा भत्ते के लिए एक के बाद 10 केस करती है। पति शायद उस केस से लड़ भी लेता लेकिन तमाम सबूत होने के बाद भी न्याय व्यवस्था उसका साथ नहीं देते। इससे पहले कि कोर्ट का फैसला आता पति को मौत की सजा दे दी जाती है। वैसे तो सभी मानते हैं कि 34 साल के व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली लेकिन पत्नी के झूठे और न्याय व्यवस्था में फैसले भ्रष्टाचार से शायद वो लड़ नहीं पाया और… उसने मौत से पहले एक वीडियो बनाया और कहा कि अगर मुझे न्याय मिलता है तो मेरी अस्थियाों का विसर्जन किया जाए। अगर मुझे न्याय नहीं मिलता तो उसे कोर्ट के बाहर ही नाले में बहा दिया जाए। त्महत्या से पहले तुल ने एक घंटे 21 मिनट और 46 सेकेंड का वीडियो बनाया।

अतुल अपने परिवार के साथ

मैंने वो पूरा वीडियो देखा है। अतुल ने इसमें बताया है कि एक महिला चाहे तो पुरुष को पूरी तरह बर्बाद कर सकती है। अतुल एक नहीं दो महिलाओं से परेशान था एक उसकी पत्नी और दूसरी वो भ्रष्ट महिला जज जिसका नाम अतुल अपने वीडियो में ले रहा है। आप सोचिए एक नौकरी करने वाले व्यक्ति पर 10 केस, कई धाराओं में मुकदमा, 120 से अधिक बार कोर्ट केस, 40 बार से अधिक की पेशी। हर बार अतुल को बेंगलुरू से जौनपुर कोर्ट में पेश होने के लिए जाना पड़ता था। एक पेशी में दो उनके दो दिन की छुट्टी जाती थी और साल भर में उन्हें 23 छुट्टियां मिलती है। कई बार कोर्ट में पेश हुए तो सुनवाई नहीं।

अतुल और उसकी पत्नी के बीच झगड़ा किस बात का था
अतुल की शादी साल 2019 के अप्रैल महीने में हुई थी। शादी से पहले पत्नी फोन पर कम बात करती थी। अतुल ने कहा कि मुझे लगा कि यह समझदार और कम बोलने वाली लड़की है लेकिन शादी के बाद मुझे सारे सच का पता चला। अपने इस लंबे वीडियो में अतुल ने बताया कि कोई बड़ी बात नहीं थी। पत्नी अपनी मां से लगातार बात करती थी। उसकी मां उसे समझाती थी कि पति के साथ कैसे रहना है। घर के ज्यादा काम नहीं करने है। पत्नी को घर में काम करने के लिए नौकरानी चाहिए थी जो अतुल ने दी भी। पत्नी जब गर्भवती हुई तो उसने अपना ध्यान नहीं रखा। अतुल की मां बहू का ध्यान रखने आई। इउस दौरान भी पत्नी अपनी मां से घंटो फोन पर लगी रहती थी। पत्नी कोरियन ड्रामा देखती थी उसे शौक था कि उसका पति भी कोरियन हो जाए। पत्नी बिल्कुल काम नहीं करना चाहती थी। कोरोना लॉकडाउन लगा तो पत्नी ने घर का काम करने से इनकार कर दिया। बच्चा संभालने से इनकार कर दिया। झगड़े बढ़ते चले गए।

झूठे मुकदमे का सच

तीन साल से कोर्ट के चक्कर लगा रहे अतुल ने हार मान ली लेकिन अब उसकी मौत के बाद उसकी कहानी इंटरनेट पर वायरल है। यह झुठे केस की कहानी पहली नहीं है। पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आये हैं। आप अपने आसपास ही कई ऐसे केस देख पाएंगे जिसमें महिला ने झूठे आरोप लगाकर पति को जेल भेजा है। इस तरह के मामलों की लंबी सूची है जिसमें घरेलू हिंसा और क्रूरता से जुड़े कानून का ज्यादातर महिलाएं गलत इस्तेमाल करती हैं। इसी साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून और धारा 498A को सबसे ज्यादा ‘दुरुपयोग’ किए जाने वाला कानून माना था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मौजूदा कानून में संशोधन करने के लिए कहा था।

यह पहली बार नहीं था जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल खड़े किए इससे पहले साल 2022 में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर किसी महिला के साथ क्रूरता हुई है, तो उसे क्रूरता करने वाले व्यक्तियों के बारे में भी बताना होगा। पूरी डिटेल देनी होगी कब हुआ, कैसे हुआ सिर्फ यह कह देना कि क क्रूरता हुई काफी नहीं है। साल 2023 के जुलाई में झारखंड हाईकोर्ट ने भी कहा कि इस धारा 498A का दुरुपयोग हो रहा है। जून 2021 में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पति के पास पत्नी के खिलाफ केस शिकायत करने के लिए घरेलू हिंसा जैसा कानून नहीं है।

महिला अधिकारों की बात हो लेकिन पुरुषों के साथ अन्याय के दम पर नहीं

इस पूरे वीडियो को देखकर आपको लगेगा कि बात महिला अधिकारों की हो, उनकी रक्षा भी हो लेकिन पुरुष के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, गलत आरोप पर चुप्पी ठीक नहीं है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के आंकड़ों के मुताबिक, 18 से 49 साल की उम्र की 10 फीसदी महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति पर हाथ उठाया है, वो भी तब जब उनके पति ने उनपर कोई हिंसा नहीं की. इस सर्वे में 11 फीसद महिलाओं ने माना कि उन्होंने पति के साथ हिंसा की है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ पति के साथ हिंसा करने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ जाती है.

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