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क्या 2024 में डुमरी विधानसभा में यही परिमाण होगा या पासा पलटेगा?

क्या फिर डुमरी दोहरायेगा इतिहास 

क्या साल 2024 के विधानसभा चुनाव में डुमरी उपचुनाव का यही परिणाम होगा ? डुमरी उपचुनाव ने भले ही एक सवाल का जवाब दे दिया लेकिन इस जीत ने नया सवाल खड़ा कर दिया है। अगले विधानसभा सीट में बेबी देवी चुनाव मैदान में नहीं होंगी। इस बार इस सीट से चुनाव लड़ेंगे जगरनाथ महतो के बेटे अखिलेश कुमार महतो उर्फ राजू।  

डुमरी विधानसभा उप चुनाव में स्व : जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी चुनाव जीत गयीं। NDA प्रत्याशी यशोदा देवी और आईएनडीए की प्रत्याशी बेबी देवी के बीच  कांटे की टक्कर देखने रही।  बेबी देवी ने यशोदा देवी को 17156 वोटों से हराया। एनडीए और इंडिया गठबंधन के सभी साथी मानते हैं कि इस जीत में जगरनाथ महतो का बड़ा हिस्सा है। जनता उनसे प्रेम करती थी यही वजह है कि बेबी देवी ने जीत हासिल की है। 

अपने पहले सवाल के जवाब को इस जीत टटोलने की कोशिश करें आप अपना आंकलन भी बताइयेगा ये मेरी निजी, व्यक्तिगत राय है।

आंकड़े समझिए

 झामुमो की उम्मीदवार बेबी देवी को करीब 1,35,480 वोट मिले है। आजसू की उम्मीदवार यशोदा देवी को लगभग 1,18,380 वोट मिले हैं। जीत का अंतर 17 हजार से कुछ ज्यादा वोट का है। अब सीधे चलते हैं पुराने आंकड़े पर जिस समय साल 2019 में जगरनाथ महतो चुनाव जीते थे उस वक्त उनकी जीत का अंतर कितना था कितने वोट मिले थे।  जेएमएम से जगरनाथ महतो ने साल 2019 में  आजसू की यशोदा देवी को करीब 34,288 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। जगरनाथ महतो को पहली बार 2005 में जीत नसीब हुई. उसके बाद 2009, 2014 व 2019 में ये सिलसिला ज़ारी रहा। 

आंकड़ों से समझ पा रहे हैं तो ठीक है नहीं तो साधारण सरल शब्दों में समझिए जब पूरे देश में मोदी की लहर में कई पुराने नेता हवा हो गये थे वहीं जगरनाथ महतो अपने क्षेत्र से जीत हासिल की थी। इस बार डुमरी उपचुनाव के जो नतीजे आये हैं वो इशारा कर रहे हैं कि अगर जगरनाथ महतो के बेटे अखिलेश महतो ने मेहनत नहीं की तो जीत मुश्किल है। 

जनता का मिजाज 

क्षेत्र की जनता ने बेबी देवी का साथ दिया है जरूरी नहीं है कि वह अखिलेश महतो में जगरनाथ महतो की छवि देख पाए। अखिलेश इसी बार चुनाव के मूड में थे बेबी देवी भी चाहती थी कि उनका बेटा पिता की विरासत संभाले लेकिन समय से पहले उनके कम उम्र की चर्चा तेज हो गयी बेबी देवी को आगे आना पड़ा लेकिन अगले चुनाव तक अखिलेश की उम्र भी पूरी हो रही है और वह चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हो जायेंगे। जीत का अंतर पिछली बार से कम हुआ यशोदा देवी ने कड़ी टक्कर दी है। एआईएमआईएम ने भी मुस्लिम वोट पर अपनी पकड़ कमजोर कर ली तो यह जीत आसानी से मिली है।  

आसान नहीं होगी राह 

अगले विधानसभा चुनाव में अखिलेश महतो ऊर्फ राजू की राह आसान नहीं होगी। पिता की विरासत अपने कांधे पर लेने के लिए उन्हें एक बेहतरीन समय मिला है जिसमें वह जनता के बीच जाकर यह बता सकते हैं कि वह इस जिम्मेदारी के योग्य हैं वह अपने पिता की तरह सोचते हैं। अगर इसमें राजू सफल रहे तब तो ठीक और अगर नहीं रहे तो…  

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