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दिवाली और मिठाई के डब्बे

खुशियां भी अब बंद डब्बे में आती है जो इसकी कीमत चुका सका खुशियां उसी के साथ चली गयी.  इन बंद डब्बों की खासियत भी कमाल की है. इन बंद डिब्बों में कई तरह के रिश्ते बंद होते हैं. बस आप जरा आंख खोलकर समझने की कोशिश कीजिए इन डब्बों के माध्यम से कैसी मिठास बांटी जा रही है.  आज सुखदेव नगर थाने में था. किसी कारण से वहां लंबे वक्त के लिए बैठना पड़ा. कुछ घंटों के वक्त ने  इन बंद डब्बों की खासियत का अहसास करा दिया . मेरे बाद  थाने में कई  लोग  पहुंचे सबके हाथ में मिठाई के डब्बे .

थानेदार से मिलकर सबने दिवाली की शुभकामनाएं दी और डब्बा थमा दिया. कुछ लोगों ने थानेदार साहेब के साथ – साथ सिपाहियों का भी ध्यान रखा. थाना प्रभारी के कमरे से  बाहर निकला तो देखा कि काजू बरफी बट रही है. डब्बे खुल चुके थे और मिठास बंट रही थी मिठाई मुझ तक पहुंची मैंने हाथ जोड़कर मना कर दिया. पता नहीं क्यों मेरे हाथ डिब्बे तक गये ही नहीं,  मैं सोच रहा था मैंने ऐसा क्यों किया ?  इसमें गलत क्या है ? कई लोग सैनिकों को संदेश दे रहे है. हमारी पुलिस भी तो दिन रात हमारी सेवा में लगी रहती है.  अगर कोई उनके साथ खुशियां बांट रहा है,  तो  मुझे परेशानी क्यों हो रही है ?.

मेरे इस सवाल का जवाब मुझे थाने में ही मिल गया. जवाब आपको बताऊंगा नहीं. बल्कि कुछ सवाल आपसे करूंगा.  अगर आप जवाब देंगे तो शायद ही कोई सवाल आपके मन में रहे.  हम में से कितने लोग हैं, जो थाने में मिठाई लेकर पहुंचते हैं ?  जो  मिठाई लेकर पहुंचे वो कितने आम लोग थे और कितने खास लोग  ?. अगर आपके पास इन सवालों का जवाब है तब तो आपके पास कोई और सवाल नहीं होगा.

थाने का अनुभव मेरे लिए कभी अच्छा नहीं होता. शायद ही कभी ऐसा हुआ कि मैं किसी थानेदार या सिपाही से प्रभावित होकर लौटा हूं.   कई चीजें देखकर तकलीफ होती है, हालांकि उनका व्यवहार मेरे साथ हमेशा से अच्छा रहता है बैठने के लिए कुरसी ऑफर करते हैं. अच्छे से बातचीत करते हैं इसका कारण भी शायद यही है कि वो मुझे एक पत्रकार के तौर पर जानते हैं.  लेकिन,  कई लोगों के साथ उनका व्यवहार मुझे तकलीफ देता है. कहते हैं , कोर्ट कचहरी किसके लिए अच्छी होती है  लेकिन उनका क्या जिनके पास कोई और रास्ता नहीं. भले ही कोर्ट कचहरी  अच्छी ना सही लेकिन जिंदगी में इससे ज्यादा बुरी चीजें तो हैं जो इस रास्ते पर बढ़ने को मजबूर कर देती है.

 हालात से टूटा हुआ इंसान थाने और कचहरी के चक्कर लगता है और कई बार कुरसी पर बैठे हुए लोगों के व्यवहार उन्हें और तोड़ देते हैं. खैर अभी कहां वक्त है जो आप और हम  इन चीजों की चिंता करेंगे.  अभी तो हम सबके जीवन में रौशनी है. मिठास है.

आप सभी को दिपावली की शुभकामनाएं. आपके जीवन में रौशनी और मिठास की भरमार हो बस दुआ है कि वो मिठास बंद डब्बों वाली मिठाई जैसी ना हो. पुलिस वाले, सैनिक, सरकारी कर्मचारियों.( सभी विभाग) के साथ- साथ दिवाली की सफाई में मदद करने वाले मजदूर, सफाई से निकले कचड़े को उठाने वाले,  मेरे घर में अपने मिट्टी के दिए से  रौशनी फैलाने वाले कुम्हार, करंज तेल बनाने वाले किसान, और उसे हम तक पहुंचने वाले छोटे व्यपारियों का भी शुक्रिया और ढेरों शुभकामनाएं. इन सबके बाद अगर कुछ शुभकामनाएं मेरी झोली में बाकि रहे तो सभी परिवार वाले, गुरूजन, मित्र, सहयोगी आपस में बांट लें. 

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