अगले साल का सहारा
मैं नये साल से बहूत डरता हूं पता नहीं क्यु शायद इसलिए कि
मैं एक साल और बड़ा हो गया जिम्मेदारियां बढ गयी . पर वो नहीं मिला जिसकी चाह में
पूरा साल काट दिया .लोग नये साल में खुश होते है पार्टियां करते है पर नये साल में
आने वाली जिम्मेवारियों को कैसे नजरअंदाज कर देते है . ये साल में दिन भी कितने कम
होते समय कम है और करने को बहुत कुछ . हर साल सोचता हूं कि इस साल कुछ करूगां और
करता हूं पर संतुष्ट नहीं होता . इस साल भी बहूत कुछ खोया और पाया भी पर लगता है
जैसे कुछ कमी रह गयी कोई पुछे की क्या तो शायद बता ना पाउ.
मैं एक साल और बड़ा हो गया जिम्मेदारियां बढ गयी . पर वो नहीं मिला जिसकी चाह में
पूरा साल काट दिया .लोग नये साल में खुश होते है पार्टियां करते है पर नये साल में
आने वाली जिम्मेवारियों को कैसे नजरअंदाज कर देते है . ये साल में दिन भी कितने कम
होते समय कम है और करने को बहुत कुछ . हर साल सोचता हूं कि इस साल कुछ करूगां और
करता हूं पर संतुष्ट नहीं होता . इस साल भी बहूत कुछ खोया और पाया भी पर लगता है
जैसे कुछ कमी रह गयी कोई पुछे की क्या तो शायद बता ना पाउ.
साल का यह चंद अंतिम
नजारा
नजारा
हर तरफ खुशी और उमंग का किनारा
जब बैठा सोचने की क्या मिला इस साल
तो दिल ने दिया दिमाग को दिया थोड़ा सहारा
कर तु भी इस बार कुछ ऐसा जिसे तु कह सकें यह पूरे साल का अचिवमेंट
हमारा
हमारा
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