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नोट की ढेरी देखकर सवाल खड़े करने वालों सुनों

सपने में भी देखा है इतना पैसा कभी

तुममें से ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी की चाह किसलिए रखते हो ? जिंदगी आराम से कटे, नौकरी जाने का डर ना हो. बड़ा घर, बागीचा और नौकर हों. दफ्तर लाने ले जाने के लिए सरकारी गाड़ी हो. यानी वो सारी सुख सुविधा हो, जो आईएएस को एक ठसक वाली नौकरी बनाती है. अब कोई ये नहीं बोलेगा कि देश सेवा के लिए आये हैं क्योंकि ऐसा करने  वाले बोलते नहीं है.  

बताओ रुपयों का ढेर किसको अच्छा नहीं लगता ?  सच बताओ क्या ये पैसे देखकर तुम्हारे मन में ख्याल नहीं आ रहा कि नोट का एक बंडल भी पास होता, होगा भी नहीं तुम्हारे पास कभी क्योंकि तुम्हारे पास बेचने को है क्या ? तुम जिस ईमान को बेशकीमती बताये बैठे हो, उसकी कीमत है क्या ? ईमान की कीमत पद और ओहदे से होती है, जितना बड़ा पद उतनी बड़ी कीमत. तुम तो चीख ऐसे रहे हो जैसे तुमने ही कोई खनन का बड़ा काम लिया था और ये पैसे तुमने दान में मैडम को दिये थे.   

अब लॉजिक दोगे कि वो हमारा पैसा है, मजदूरों का पैसा है, गरीबों का पैसा है, हमारा टैक्स, लट पट… भक    अच्छा बताओ, तो  क्या वो पैसा वहां नहीं होता, तो उतने पैसों की ढेरी होती तुम्हारे पास ?  वहां नहीं होता तो कहीं और होता लेकिन तुम्हारे पास तो इसकी फूटी कौड़ी नहीं होता. पैसे की ढेरी देखकर अफसोस मत करो, दुख मत जताओ और ज्ञान भी मत दो. तुम्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और ना ही पड़ना चाहिए, अगर पड़ा भी तो क्या कर लोगे. चाय की टपरी पर चिल्लाओगे, फेसबुक पर ज्ञान बटोगे, सरकार की चिंता करोगे लेकिन तुमसे होगा कुछ नहीं. ना सरकार तुम्हारे कहने से गिरगी, ना सत्ता में बैठे मंत्री ना सरकारी अधिकारी बदलेंगे. बदलेगा कुछ नहीं तो बेकार का लोड मत लो. 

ज्यादा परेशान मत हो, थोड़ा और समझ लो चिंता कम होगी. जो तुम देख रहे हो वो उतना ही है जितना तुम्हारी पॉकिट में चिल्लर होते हैं, सत्ता की सच्चाई देखी कहां है तुमने जो हैरान हो रहे हो. सरकार, बड़े पद या कॉरपोरेट में कोई  दोस्त, रिश्तेदार या कोई अपना हो, तो पूछना उससे कि असल में सत्ता चलती कैसे है ? अगर कोई मिला तो ठीक नहीं मिला तो  तुम इस झूठी शान में जी रहे हो उसी भ्रम में मर भी जाओगे. 

सत्ता पाने, उसे चलाने के लिए जिन चीजों की आवश्यक्ता है ना, तुम कल्पना भी नहीं कर सकते. सच जो तुम देख रहे हो ना उससे कहीं ज्यादा काला है. सबके चेहरे पर कालिख है, बस देखने के लिए तुम्हारे पास वो आंखे नहीं है. कई बार इस कालिख की कोठरी से किसी को धक्के देकर इसलिए निकाल दिया जाता है ताकि उनकी कालिख दिखायी ना दे.  

ज्यादा समझाने की कोशिश तुमको बेकार है, क्योंकि तुम जो समझ रहे हो वो है नहीं, मैं जो समझा रहा हूं वो तुम समझोगे नहीं. तुम्हारी अधूरी समझ ने ही तुम्हें ना समझ बनाकर रखा है, तो वही बनकर रहो अक्सर गड़े खजाने और फेके हुए पैसे पाने का सपना देखने वाले तुम जैसे लोग समझेंगे भी कितना.

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