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Cornavirus- लॉकडाइन में बाहर घूमने वाले मजबूर हैं या तो मजदूर हैं

कोरोना वायरस ने हम सबको घर में बंद कर रखा है जो बाहर आजाद घूम रहे हैं वो मजबूर हैं या मजदूर हैं. आनंद बिहार में लगभग 20 हजार मजदूर फंसे थे.

 पूरी मीडिया ने इस खबर पर फोकस किया. न्यूज चैनल से लेकर अखबार तक में यहां की तस्वीर और खबर थी . घटना सिर्फ आनंद बिहार बस स्टैंड की नहीं है हमारे और आपके घरों के आसपास जो नेशनल हाइवे है उस तरफ का रुख करेंगे तो पायेंगे कि लोग पैदल अपने गांव – घर के लिए निकल पड़े हैं.


आखिर सरकार की क्यों नहीं सुन रहे मजदूर 

केंद्र सरकार और राज्य सरकार बार- बार यह संदेश दे रही है कि आप जहां है वहां रहें. आपके रहने और खाने की व्यस्था है लेकिन सवाल है कि मजदूर क्यों नहीं सुन रहे ? उन्हें किसका डर है अगर भोजन और आसरा मिल रहा है तो मजदूर घर क्यों जाना चाहते हैं. हम और आप दोनों इस सवाल का जवाब ढुढ़ सकते हैं जरा सोचिये कि हम गांव छोड़कर शहर का रुख किसलिए करते हैं सिर्फ इसलिए कि हमारा परिवार ठीक ढंग से चल सके, घर में पैसा हो. हम घर की स्थिति ठीक करने के लिए कमाते हैं. अगर कोई बीमारी हमारे घर को बिगाड़ेगी, हमारे अपनों को जान का खतरा होगा तो आप क्या करेंगे.


मजदूरों की घर की याद आ रही है

कई लोग इन मजदूरों से नाराज है कहते हैं उन्हें घऱ की याद आ रही है. जो मजदूर सालों पर रोजी रोटी के लिए घर से दूर रहता है उस वक्त उसे घर की याद नहीं आती. हर तकलीफ में रहता है लेकिन ऐसे वक्त में जब  उसके परिवार पर संकट हो तो कैसे वह किसी कमरे में बंद होकर रहेगा. ध्यान रखियेगा हम यहां किसी एक व्यक्ति की बात नहीं कर रहे. हमने तो सिर्फ आनंद बिहार बस स्टैंड पर 20 हजार लोग देखें हैं यह आंकड़ा कहीं बड़ा है. घर की याद नहीं हर बार घर की चिंता ही इन्हें घर से दूर करती है औऱ यही चिंता इन्हें इतने बड़े खतरे में भी घर जाने पर मजबूर कर रही है.

सरकार बातों पर क्यों भरोसा नहीं कर रहे मजदूर 

मैंने कई मजदूरों के बयान सुनें हैं कहते हैं सरकार कबतक खिलायेगी? कबतक रखेगी. कई मजदूर बता रहे हैं कि हम दो दिन से भूखे हैं, बच्चा भूखा है कोई व्यस्था नहीं है. जरा सोचियेगा कि इन्हें भरोसा क्यों नहीं है सरकार पर. कारण है क्योंकि यही सरकार कहती है कि घर में काम मिलेगा. अगर सरकार इन्हें घर पर काम देती तो यह घऱ छोड़कर इतनी दूर क्यों आते. किसानों के लिए कई योजनाएं है अगर इन योजनाओं का लाभ मिलता तो अपनी जमीन छोड़कर शहर में छोटे से कमरे में पूरी दुनिया क्यों बसा लेते. लोग सवाल करते हैं कि इन्हें भरोसा क्यों नहीं होता जब केंद्र सरकार राज्य सरकार कह रही है तो यह रूक क्यों नहीं जाते. जवाब साधारण सा है कि इनका भरोसा तोड़ा किसने  है…

सरकार पर नहीं मजदूर हम और आप पर तो भरोसा करेंगे

कोरोना वायरस के हारने जीतने की कहानी आप बाद में पढ़ते रहियेगा, हाथ धोना सोशल मीडिया पर सीखते रहियेगा. घर में बंद रहकर सारे वेबसीरीज, फिल्में देखते रहियेगा लेकिन इन मजदूरों का जिक्र अपनी सोशल मीडिया पर जरूर कीजिएगा बात सरकार के नाकामी की बिल्कुल नहीं है, बात यह भी नहीं है कि सरकार कोशिश नहीं कर रही है औऱ भाजपा, कांग्रेस, राहुल और नरेंद्र मोदी की तो बिल्कुल नहीं है बात है इन सभी पार्टियों के एक के बाद एक चलती सरकारों के दौरान मजदूरों के भरोसे की जीत की. सरकार पर तो भरोसा इन मजदूरों को है नहीं शायद हम पर और आप पर भरोसा करें तो लिखियेगा, बोलियेगा, समझाइयेगा. सुरक्षित रहें तो देश सुरक्षित रहेगा. 

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