Disclaimer – इस लेख को पढ़ने से पहले मैं आपको बता दूं, मैं देशी उत्पाद का समर्थन करता हूं. समाज सेवक, बाबा, गुरू और व्यापारी में फर्क भी समझता हूं. समाज सेवक, बाबा या गुरु होते हुए अच्छा व्यापारी नहीं बना जा सकता. देश और व्यापार की चिंता में फर्क होता है. आप उन्हें दूसरे व्यापारियों की तरह अच्छा व्यापारी मान सकते हैं. बाबा रामदेव में एक सफल व्यापारी के सारे गुण हैं यही कारण है कि पतंजलि आज इतना बड़ा ब्रांड है. इसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए. इस लेख में एक व्यापारी की रणनीति का जिक्र है इसे कोई भी देशभक्ति, धर्म और देशहित से जोड़कर ना देखे. अगर कोई इस लेख को इन सबसे जोड़कर देखता है तो उसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा.
बाबा के प्रोडक्ट और टेस्ट पास करने की रेस
बाबा के दावे हैं दावों का क्या
बाबा पर सरकार ने कार्रवाई भी की है. दिसंबर 2016 में पतंजलि आयुर्वेद पर गलत और भ्रामक विज्ञापन के लिए 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. ये जुर्माना क्यों लगा था यह भी जान लीजिए पतंजलि का नमक, सरसों का तेल, बेसन, शहद और अन्य प्रोडक्ट क्वॉलिटी टेस्ट में फेल हो गए थे.विज्ञापनों की निगरानी करने वाली संस्था एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने बाबा की कंपनी को गुमराह करने वाले विज्ञापनों के लिए फटकार भी लगायी थी. साल 2017 मेंA SCI ने पाया कि फिर पतंजलि के 33 में से 25 विज्ञापनों में ASCI नियमों का उल्लंघन हुआ था .
बाबा के प्रोडक्ट और टेस्ट पास करने की रेस
बाबा रामदेव एक व्यापारी की तरह मौका समझते हैं. याद कीजिए जब मैगी को लेकर विवाद हुआ, तो बाबा रामदेव ने अवसर समझा और पतंजलि का नूडल्स बाजार में उतार दिया. 2015 में मैगी में लेड यानी शीशा की मात्रा जरूरत से ज्यादा पायी गयी थी जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थी. मैगी की चर्चा खूब रही लेकिन बाबा रामदेव के प्रोडक्ट का क्या हाल रहा किसी ने नहीं पूछा, शायद बाबा की छवि ब्रांड पर हमेशा भारी पड़ती रही है यही कारण है कि इस पर सवाल नहीं होते ना इसकी कमियों पर चर्चा होती है. फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मेरठ में बाबा के नूडल्स के सैंपल टेस्ट किए था. उसमें पाया गया कि इसकी क्वॉलिटी खराब है. इसके अलावा स्वाद के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पाउडर की मात्रा भी तीन गुना ज्यादा है. आज मैगी भी खूब बिक रही है और बाबा के नूडल्स भी दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ा यही बाजार है.
बाबा के प्रोडक्ट देशी हैं और इस विश्वास के साथ खरीदे जाते हैं कि इसमें जरा भी मिलावट नहीं है. शुद्ध है लेकिन जब इस तरह की खबर या रिपोर्ट सामने आती है तो इसकी भी चर्चा नहीं होती उदाहरण भरे पड़े हैं. बाबा के सिर्फ एक प्रोडक्ट की बात नही है कई प्रोडक्ट की जांच हुई . लखनऊ में पतंजलि के 50 प्रोडकट्स की जांच की गयी जिसमें शहद भी शामिल था. शहद सहित 21 प्रोडक्ट्स को खाद्य विभाग ने सेहत के लिए हानिकारक बताया था . अब बाबा के कट्टर समर्थक यह कहेंगे कि अपने देश में ही बाबा साजिश का शिकार हुए. विदेशी कंपनियोें की साजिश थी.
अच्छा अपने देश की चर्चा छोड़िये, विदेश चले अरे, कहां इंग्लैंड और अमेरिका चले गये. बगले में चलते हैं ना.. नेपाल. यहां भी टेस्ट लैब में बाबा के प्रोडक्ट फेल हो गये थे. नेपाल ने प्रोडक्ट्स को बेचने पर रोक लगा दी थी. नेपाल की लैब में बाबा रामदेव के छह उत्पाद फेल हुए थे जिनमें – गाशर चूर्ण, बाहुची चूर्ण, आमला चूर्ण, त्रिफला चूर्ण,अदविया चूर्ण और अश्वगंधा शामिल था.
अच्छा चलिये अब आपकी यह बात भी मान ली कि बाबा को देश और विदेश में घेरा गया देशी उत्पाद था बाबा साजिश के शिकार हो रहे थे. अब साल 2017 में वायुसेना के कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) से भी पतंजलि के आंवला जूस को हटा दिया गया था. क्यों आप खूद खोजिये और पढ़िये..
बाबा के दावे हैं दावों का क्या
अब बाबा के प्रोडक्ट से बाहर निकल कर बाबा के दावों की पड़ताल करते हैं. बाबा ने ना सिर्फ कालाधन वापस लाने का दावा किया था बल्कि उन्होंने कैंसर और एचआईवी ठीक करने का दावा किया था. इनकी क्या स्थिति है आप खुद पड़ताल कर लीजिए हमसे ज्यादा नहीं हो पायेगा ज्यादा करेंगे तो लोग विरोधी, देशी प्रोडक्ट का दुश्मन और ना जाने क्या – क्या बोलने लगेंगे.
कहीं सरकार भी तो साजिश नहीं कर रही बाबा के साथ
बाबा पर सरकार ने कार्रवाई भी की है. दिसंबर 2016 में पतंजलि आयुर्वेद पर गलत और भ्रामक विज्ञापन के लिए 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. ये जुर्माना क्यों लगा था यह भी जान लीजिए पतंजलि का नमक, सरसों का तेल, बेसन, शहद और अन्य प्रोडक्ट क्वॉलिटी टेस्ट में फेल हो गए थे.विज्ञापनों की निगरानी करने वाली संस्था एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने बाबा की कंपनी को गुमराह करने वाले विज्ञापनों के लिए फटकार भी लगायी थी. साल 2017 मेंA SCI ने पाया कि फिर पतंजलि के 33 में से 25 विज्ञापनों में ASCI नियमों का उल्लंघन हुआ था .
तेरा क्या होगा कोरोनिल
अब कोरोना की दवा पर बात कर लें, ताजा मुद्दा तो यही है. बाबा रामदेव ने इस दवा पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में रिसर्च कराया. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के साथ रजिस्टर ही नहीं है. जिन लोगों ने रिसर्च किया है उन्हें पहले ऐसा करने का ज्यादा अनुभव नहीं है. कोरोनिल नाम की इस दवा को अश्वगंधा, गिलॉय और तुलसी से बनाया गया है. जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में पतंजलि की तरफ से इस दवा पर रिसर्च किया गया. संस्थान की वेबसाइट पर जाकर पता चला कि यह रजिस्टर्ड नहीं है.
अब कोरोना की दवा पर बात कर लें, ताजा मुद्दा तो यही है. बाबा रामदेव ने इस दवा पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में रिसर्च कराया. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के साथ रजिस्टर ही नहीं है. जिन लोगों ने रिसर्च किया है उन्हें पहले ऐसा करने का ज्यादा अनुभव नहीं है. कोरोनिल नाम की इस दवा को अश्वगंधा, गिलॉय और तुलसी से बनाया गया है. जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में पतंजलि की तरफ से इस दवा पर रिसर्च किया गया. संस्थान की वेबसाइट पर जाकर पता चला कि यह रजिस्टर्ड नहीं है.
क्या हुआ तेरा वादा
बाबा के पुराने दावों को जिक्र करेंगे तो यह लेख लंबा हो जायेगा और आपके गालियों का डोज भी बड़ सकता है जो कोरोना काल में मेरे लिए खतरनाक है इसलिए ताजा दावे का जिक्र कर लेता हूं. यह पहली बार नहीं है जब बाबा रामदेव ने कोरोना की दवा का जिक्र किया. अप्रैल के महीने में उन्होंने कहा था अगर अपनी नाक के जरिए सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है. अगर सरसो तेल नाक के जरिये लेने से कोरोना खत्म हो जाता है, तो इस कोरोनिल की जरूरत क्या थी ? मस्ती से पूरा देश घर में सरसो की तेल नांक में लिये बैठे रहता देश टनटन हो जाता. बाबा की जयकार होती और पूरी दुनिया नाक में सरसो का तेल डालकर ठीक हो जाती.
बाबा रामदेव ने दवा पर कैसे किया शोध
देखिये मैं बार- बार कह रहा हूं अपन चाहते हैं कि भारत कोई ऐसी दवा बना ले जिसे पूरी दुनिया इस्तेमाल करके हममें क्षमता भी है लेकिन इस तरह के दावे हमें कमजोर करते हैं. अब बाबा रामदेव ने जिस तरह स्टडी की उसकी सच्चाई क्या है. इसमें उन मरीजों को शामिल नहीं किया गया जिन्हें ज्यादा खतरा था. इसमें 35 से 45 साल के लोगों को शामिल किया गया जिनमें लक्षण ना के बराबर थे. अब आईसीएमआर और स्वास्थ विभाग का आंकड़ा देखिये जाकर कि कोरोना वायरस से किन्हें ज्यादा खतरा है युवाओं को या उन्हें जो बुढ़े हैं.
अब मुंह मत फुलाइये बाबा का कई प्रोडक्ट हम भी इस्तेमाल करते हैं भाई. पुराने इलाज के तरीकों पर भी विश्वास करते हैं. बस किसी भी दावे पर आंखे बंद करके भरोसा नहीं करते. संकट इसी का है आंख खोलने से सच दिखता है और दिखता है तो मेरा लिखना बनता है.आप भी भक्तिकाल के सच से बाहर निकलेंगे तो और आंख खोलेंगे तो बाबा से पूछा तो जायेगा, अयं बाबा आप तो पहले कालाधन पर बोलते थे अब चुप काहे हो गये, भ्रष्टाचार पर बोलते थे चुप काहे हो गये. पेट्रोल और महंगाई पर भी बोलते थे चुप काहे हो गये. योग गुरू से आगे बढ़कर बाबा रामदेव कालाधन के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा बन गये अब व्यापारी हैं, तो उन्हें उसी नजर से देखा जाना चाहिए. तो बाबा नहीं व्यापारी बोलिये, आंदोलन से कूद कर भागने वाले सलवारी बोलिये..
अंतिम बात- कई कंपनियां हैं जो कोरोना की दवा बनाने का दावा कर रही हैं. हमने उन पर क्यों टिप्पणी नहीं कि तो जाहिर है हम बाबा के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने वाले हैं हमारा विश्वास भी उनसे जुड़ा है. अभी तक दुनिया भर में कोरोना को लेकर दवाई बनाने के नाम पर कितने भी शोध किये जा रहे हैं उनके रिसर्च बताते हैं कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हैं कोरोना खत्म करने या कोरोना को मारने वाली नहीं है तो कोरोना खत्म करने का दावा करके दवा बेचना गलत लग रहा है बस…
Leave a Reply