पूरे देश को कोरोना से सावधान रहने की हिदायत देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ही नियमों की धज्जियां उड़ा दी गयी लेकिन चुनावी रैली थी, उन्हें इंसान नहीं वोट नजरआये होंगे सो सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी की और लौट गये खैर, बंगाल की राजनीति का खेला छोड़िये अब अपने राज्य झारखंड आइये, यहां भी खेला हो गया जिसने आज पूरे राज्य में मास्क नहीं पहनने वालों से जुर्माना वसूलने का आदेश दिया वो ही अपने विधायक और मंत्रियों के साथ बगैर मास्क के क्रिकेट खेल कर चले गये. गजब का खेल है भाई ये तो..
चुनाव और कोरोना वायरस
दोबारा लॉकडाउन होगा क्या ? लोग एक दूसरे से ये सवाल पूछने लगे हैं और सभी सरकारें खेल रही है. शायद इस खेल में कोरोना भी इनके साथ बैटिंग कर रहा है तभी तो चुनावी राजनीति और रैलियों से सारे नियमों को दूर रखा गया है. मेरे इतनी सी प्रतिक्रिया पर ज्ञानी लोग कहेंगे भग बाबा, आप तो खाली कमिये निकालते हैं महाराष्ट्र में हालात खराब हैं बंगाल औऱ उन पांच राज्यों में थोड़ी ना है जहां चुनाव होने हैं.
तो गुरू ऐसा है, प्रधानमंत्री जी ही कहे थे कि आज महाराष्ट्र में जो आंकड़े बढ़ रहे हैं वह घोर लापरवाही की वजह से हैं, केंद्र की टीम भी भेजे थी ऊ भी मोदी जी को यही बतायी तो अब बताइये, ऐसे में चुनाव में खड़ी है लाखों हजारों की भीड़ क्या लापरवाही नहीं है. क्या महाराष्ट्र की तरफ कल इन राज्यों में आंकड़े नहीं बढ़ सकते.. बोलिये.. अरे बोलिये ना.. एक ही जवाब है चुनाव जरूरी है.
क्या सरकार को नहीं है लोगों की चिंता
अब ये भी समझ लीजिए सरकार कि सरकार को चिंता काहे नहीं है. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है, यूपी में पंचायत चुनाव है. इन चुनावों के लिए नियम क्यों ताक पर रख दिये जाते हैं. चुनावी भाषणों में सरकार को ना तो कोरोना के नियमों की चिंता दिखायी देती है और ना ही कोरोना से लोगों के जान जाने का डर होता है.. कई नेता तो ऐसे ही बयान दे दिये हैं कि लोग तो मरते रहते हैं . इन चुनावी रैलियों में खड़ी खचाखच भीड़ में इन्हें इंसान नहीं वोट दिखायी देते हैं. अगर सरकार सच में इन बढ़ रहे मामलों के प्रति गंभीर होती तो देश के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्रियों से बात करने के बाद एक विशाल जनसभा को संबोधित नहीं करते जहां कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही थी.
खतरा बढ़ा तो क्या लगेगा लॉकडाउन
सरकार बता रही है कि 16 राज्यों के 70 जिलों में कोरोना संक्रमण की संख्या में 150 प्रतिशत की बढोतरी हुई है. महाराष्ट्र, पंजाब, अहमदाबाद सहित कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू का फैसला लिया गया. कई बाजार बंद कर दिये गये लेकिन पूर्ण लॉकडाउन का फैसला नहीं लिया गया.
देश में दोबारा पूर्ण लॉकडाउन का फैसला लेना मुश्किल है. देश अबतक लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर सका है. अर्थव्यस्था, छोटे व्यापारी अब भी आर्थिक रूप से कमजोर हैं. जो मजदूर अपने घर लौटे थे उनमें से ज्यादातर अपने काम पर दोबारा वापस लौट गये. सरकार की तरफ से भी कोई संकेत नहीं दिया गया कि दोबारा लॉकडाउन हो सकता है.
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