काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्धाटन किया. आप मानें या ना मानें लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसका असर तो पड़ेगा. मैं साल 2019 में इस जगह था, जब घर टूटने शुरू हुए थे. कई प्राचीन काल के मंदिर मिले थे. बनारस के लोग इस दोनों तरीके से देखते हैं. उस वक्त मैंने इस कॉरिडोर को बनारस के नजरिये से समझने की कोशिश की थी. उस वक्त प्रभात खबर में यह कॉरिडोर की पूरी कहानी आयी थी. मैं आपके लिए उस वक्त का यह वीडियो आज इसलिए लेकर आया हूं ताकि आप टीवी से इतर भी उस वक्त की कहानी को देख सकें.
हम टीवी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को देखकर अपने आंकलन करते हैं . बनारस के लोगों का अपना मिजाज है, अपना मत है. हर मुद्दे पर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया रहती है. बनारस के भव्य बनने की कहानी तो आप सभी देख रहे हैं लेकिन बनने की इस प्रक्रिया में बनारस के लोगों ने भी बहुत कुछ देखा है.
बनारस का अपना मिजाज है, अपना रंग है, अपना रस है तभी तो यह बनारस है. मैं कई शहर घूमा हूं लेकिन बनारस वाली चकम मुझे कहीं नजर नहीं आयी. बनारस में वो सब है जिसकी हम तलाश किये फिरते हैं. बनारस में गंगा है तो कई कहानियां भी है.
गंगा कितनी साफ हुई नहीं हुई इस पर बात करूंगा तो आप मुझे भी राजनीतिक दलों से जोड़ देंगे लेकिन कभी बनारस जाना हो तो वहां के मल्लाहों से बात कीजिएगा और समझने की कोशिश किजिएगा कि ज्यादातर नांव किनके हैं, असल में मल्लाहों की स्थिति क्या है ? बनारस को टीवी के नजरिये से नहीं अपनी नजर से देखियेगा और असल बनारस का मिजाज समझने की कोशिश कीजिएगा.
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